नोट करें करवा चौथ की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि; यूपी के इस जिले में चांद निकलने की टाइमिंग
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी को करवा चौथ मनाया जाता है। इस दिन सुहागिनें निर्जला व्रत रखकर चंद्रोदय के बाद अर्घ्य देती हैं पति की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात से शुरू होकर 10 अक्टूबर की शाम तक रहेगी चंद्रोदय रात 817 बजे होगा। करवा चौथ व्रत से संकटों से मुक्ति मिलती है।

जागरण संवाददाता, अलीगढ़। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रखकर चंद्रोदय के बाद अर्घ्य देती हैं। दीर्घायु, उन्नति और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं।
चतुर्थी तिथि नौ अक्टूबर की रात 10.54 बजे से शुरू होकर 10 अक्टूबर को देर शाम 7.38 बजे तक रहेगी। चंद्रमा के उदय का समय रात 8.17 बजे है।
चतुर्थी तिथि नौ अक्टूबर की रात 10.54 बजे अगले दिन देर शाम 7.38 बजे तक रहेगी
ज्योतिषाचार्य हृदयरंजन शर्मा ने बताया कि पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5.32 से रात आठ बजे तक है। चन्द्रमा को अर्घ्य देने का समय रात 8.17 से 9.30 बजे तक रहेगा। पौराणिक कथा के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले जाते हैं। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आते हैं। द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। वह कहते हैं कि यदि वह कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करें तो इन सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है।
पूजन विधि
करवा की पूजा कर उसके साथ शिव-पार्वती की पूजा का विधान है, क्योंकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था इसलिए शिव-पार्वती की पूजा की जाती है।
पूजा में कुमकुम, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मेहंदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ का प्रयोग करते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।