Sawan 2022: सावन माह में अलीगढ़ के खेरेश्वर धाम में बढ़ जाती है श्रद्धालुओं की भीड़, प्राचीन कहानियों में बताया महत्व
अलीगढ़ में खेरेश्वर धाम का विशेष महत्व है। प्राचीन कहानियों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने यहां शिवलिंंग स्थापित की थी। सावन में भक्तों की भीड़ और अधिक बढ़ जाती है। श्रद्धालुओं को परेशानी न हो। इसलिए महिला व पुरुष भक्तों की अलग-अलग लाइन होती हैं।

अलीगढ़, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ में खेरेश्वर धाम बेहद अहम है। सावन माह में श्रद्धालुओं की भीड़ और अधिक बढ़ गई है। खास बात यह है कि द्वापर युग के अंतिम समय में जनपद बुलंदहशहर के रामघाट जाते समय भगवान श्रीकृष्ण खेरेश्वर धाम में ठहरे थे। यहां शिवलिंग पर जलाभिषेक किया था। प्राचीन कहानियों में इसका महत्व विस्तार से बताया गया है।
शिवलिंग के रूप में भोलेनाथ
अलीगढ़ शहर से पांच किलोमीटर दूर पलवल, टप्पल व अलीगढ़ हाईवे पर खेरेश्वर महादेव मंदिर सिद्धपीठ है। यहां पर भगवान शंकर शिवलिंग के रूप में है। मंदिर को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचिलित हैं जो कि दूर-दराज के भक्तों की आस्था से जुड़ी हैं। Sawan Month में यहां शिवभक्तों की आस्था देखने लायक होती है। मंदिर में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ देखते हुए अलग-अलग लाइन लगाने के लिए व्यवस्था की है। शिवरात्रि पर खेरेश्वर धाम में मौजूद शिवलिंग पर 24 घंटे में सात लाख श्रद्धालु जलाभिषेेक करते हैं।
खेरेश्वर धाम का इतिहास
सदियों पूर्व अलीगढ़ का नाम कौशांबी था। कौशांबी के राजा कोशिरिव को हराकर कोल्हापुर नाम का राक्षस यहां का राजा हुआ। उसने कौशांबी का नाम बदलकर कोल कर दिया। कोल पर दैत्यराज कोलासुर कब्जा होने पर साधु-संतों एवं प्रजा पर असहनीय अत्याचार होने लगे। जिसकी गूंज मथुरा राज दरबार तक पहुंची। Lord Krishna अपने बड़े भाई बलराम के साथ द्वापर युग के अंतिम समय में रामघाट गंगा स्नान के लिए अपनी सेना सहित यहां से होकर गुजरे तो उन्होंने खैर मार्ग पर कोल नगर से लगभग पांच किलोमीटर दूर स्थित प्राचीन खेरे पर अपना पड़ाव डाला था। गंगा स्नान से लौटकर फिर से खेरे (टीले) पर आकर यहां का राज पांडवों को सौंपा और यहीं पर भगवान शिव की शिवलिंग की स्थापना की।
Khereshwar Temple की विशेषता
आस्था बढ़ने के साथ मंदिर का महत्व लगातार बढ़ता चला गया। आक्रांता महमूद गजनवी ने मंदिर को लूटने के लिए आक्रमण किया और तोड़फोड़ करते हुए लूटपाट की थी। लेकिन शिवलिंग को क्षति नहीं पहुंचा पाए। इससे लगातार इस मंदिर की प्रसिद्धि और बढ़ती चली गई और श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती रहीं। हरिदासपुर में जन्मे संत हरिदास से भी इसका जुड़ाव रहा है।
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खेरेश्वर धाम की खास बातें
- शहर से आठ किलोमीटर दूर है खेरेेश्वर मंदिर
- भगवान कृष्ण ने स्थापित की थी शिवलिंग
- खेरेश्वर मंदिर में बल्देव के साथ आए थे श्रीकृष्ण
- सावन माह में लगता है मेला
- शिवरात्रि पर 24 घंटे में सात लाख श्रद्धालु करते हैं जलाभिषेक
खेरेश्वर मंदिर जाने के लिए टेंपो, ई रिक्शा व सिटी बस की है सुविधा
भगवान शिव का मंदिर ख़ैर बाईपास सड़क पर स्थित है, जो नेशनल हाइवे 91 व राज्य राजमार्ग 22 को जोड़ता है। शहर के केंद्र से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित खेरेश्वर धाम सार्वजनिक परिवहन की सुविधाएं हैं। यमुना एक्सप्रेस वे, पलवल, फरीदाबाद, गुड़गांव व हरियाणा जाने के लिए रोडवेज बसें खेरेश्वर मंदिर के सामने से होकर गुजरती हैं। मंदिर जाने के लिए टेंपो, ई रिक्शा के अलावा ई सिटी बसें भी उपलब्ध हैं।
मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। दूसरे प्रांतों के श्रद्धालु भी यहां भोले बाबा के दर्शन करने आते हैं। जो भक्त यहां पर सच्चे मन से मनोकामना करता हैं। भगवान शिव उसकी इच्छा पूरी करते हैं।
प्रह्लाद गिरि, मुख्य महंत
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