सड़क मार्ग से गाजियाबाद जाना है तो दिन में ही जाइए, रात में अंधेरों का साम्राज्य है, जानिए मामला Aligarh news
गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे पर तमाम जगहों पर लाइटें नहीं लगी हैं जहां लगी भी हैं तो वह अधिकांश जलती नहीं जिसके चलते हाईवे अंधेरे में डूबा रहता है। अलीगढ़ से दिल्ली तक जाने में 400 रुपये के करीब टोल टैक्स लगता है मगर हाईवे पर सुविधाएं कुछ भी नहीं हैं।

अलीगढ़, जेएनएन। गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे पर तमाम जगहों पर लाइटें नहीं लगी हैं, जहां लगी भी हैं तो वह अधिकांश जलती नहीं, जिसके चलते हाईवे अंधेरे में डूबा रहता है। अलीगढ़ से दिल्ली तक जाने में 400 रुपये के करीब टोल टैक्स लगता है, मगर हाईवे पर सुविधाएं कुछ भी नहीं हैं। ये छह साल में भी पूरी तरह से रोशन नहीं हो सका। गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे पहले जीटी रोड के नाम से जाना जाता था। इसकी चौड़ाई बमुश्किल 5.500 मीटर थी। दिल्ली को जोडऩे वाला यह प्रमुख मार्ग भीषण जाम से जूझता रहता था। वर्ष 2011 के करीब यह भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएचएआइ) में शामिल हो गया। वर्ष 2014 में यह बनकर तैयार हो गया। अलीगढ़ के लोगों को पहली बार फोरलेन पर यात्रा करने का मौका मिला था, उन्हें लगा कि इसपर दिन और रात कभी भी फर्राटा भरेंगे, मगर ऐसा नहीं हो रहा है। रात में हाईवे अंधेरे में डूबा रहता है, जिससे वाहन चालकों को काफी परेशानी होती है।
यहां नहीं लगी लाइटें
गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे पर गभाना मोड़ पर लाइट नहीं लगी हैं। यहां कट भी है, जिससे रात में मुडऩे पर काफी दिक्कत होती है। चूहरपुर और भरतरी के पास भी लाइट नहीं है। महरावल ओवरब्रिज पर अलीगढ़ के लिए सर्विस लेन निकल रही है, यहां भी लाइट नहीं है। रात में कई वाहन गलत साइड में चले जाते हैं, जिससे हादसे का डर बना रहता है। खेरेश्वरधाम चौराहे पर अस्थायी लाइट की व्यवस्था की गई है। वहां बड़े पोल पर लगी हुई थी, वो आंधी में गिर गई। चौराहे से बोनेर की तरफ बढ़ते हुए ओवरब्रिज पर तो लाइटें लगी हैं, मगर हाईवे पर नहीं लगाई गई हैं। ओवरब्रिज पर लाइटें लगने के बाद भी जलती नहीं हैं।
बाहर से आने वालों को होती है दिक्कत
गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे सीधे दिल्ली को जोड़ता है। इसलिए वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर आदि शहरों से लोगों का निकलना काफी होता है। रात में हाईवे अंधेरे में डूबे होने के चलते वो कई बार रास्ता भटक जाते हैं। तमाम बार गड्ढे आदि नहीं दिखाई देते हैं, जिसके चलते उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यही स्थिति दिल्ली की तरफ से आने वाले यात्रियों की भी रहती है।
इनका कहना है
हाईवे पर सिर्फ ओवरब्रिज और आबादी वाली जगहों पर ही लाइट का प्रविधान है। अन्य जगहों पर नहीं है। ओवरब्रिज पर जिन जगहों पर लाइटें नहीं जल रही हैं, उन्हें ठीक कराया जा रहा है। एक हफ्ते में सभी लाइटें ठीक हो जाएंगी।
पीपी सिंह,, परियोजना प्रबंधक, एनएचएआइ
पब्लिक पीड़ा
हाईवे पर टोल सबसे अधिक महंगा है, मगर सुविधाएं कुछ नहीं हैं। हाईवे रात में अंधेरे में डूबा रहता है। ओवरब्रिज पर लाइटें लगी हुई हैं, मगर अधिकांश जलती नहीं हैं, जिससे रात में काफी दिक्कत होती है।
-कैलाश
हाईवे को बने छह साल से अधिक समय हो गया, मगर पूरी तरह से हाईवे लाइटों से जगमग नहीं हुआ। यदि लाइट लगी होती तो बाहर से आने वाले यात्रियों को काफी सुविधा होती।
-प्रवीन ठाकुर
हाईवे के निर्माण के समय ही ध्यान नहीं दिया जाता है। कई हजार करोड़ों रुपये खर्च हो जाते हैं, मगर लाइट के लिए कोई बजट नहीं होता है। वर्षों से हाईवे अंधेरे में डूबा हुआ है।
मोनू शर्मा
सबसे अधिक टोल गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे पर है, मगर रख-रखाव में सबसे पीछे है। यदि एक महीने का ही टोल देख लिया जाए तो पूरा हाईवे लाइट से रोशन हो जाएगा।
राहुल कुमार
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