विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष के बीच तीखी बहस, मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी के सामने हुई गरमा-गरमी
अलीगढ़ में जिला कोर कमेटी की बैठक में प्रभारी मंत्री की मौजूदगी में छर्रा विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष के बीच तीखी बहस हुई। विधायक ने पदयात्रा के लिए कॉलेज से अनुमति न मिलने का मुद्दा उठाया, जबकि अध्यक्ष ने कहा कि उनसे अनुमति नहीं मांगी गई। बैठक में शहर की सड़कों की खराब स्थिति और एसआईआर फीडिंग की धीमी गति पर भी चर्चा हुई।

सर्किट हाउस में जिला कोर कमेटी की बैठक में मौजूद मंत्री व अन्य।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। जिले में विकास कार्यों की समीक्षा के लिए आयोजित जिला कोर कमेटी की बैठक सोमवार को उस समय गरम हो गई, जब प्रभारी मंत्री चौ. लक्ष्मी नारायण की मौजूदगी में छर्रा विधायक रवेंद्र पाल सिंह व जिला पंचायत अध्यक्ष विजय सिंह आमने-सामने आ गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दोनों प्रतिनिधियों के बीच तीखी नोकझोंक होती देख बैठक में कुछ देर के लिए तनाव की स्थिति बन गई।
सर्किट हाउस में जिला कोर कमेटी की बैठक में उठा विवाद, मंत्री के सामने ही तेज हुई बहस
सर्किट हाउस में आयोजित बैठक में छर्रा विधायक ने राष्ट्रीय एकता पदयात्रा के दौरान छर्रा कस्बा स्थित जिला पंचायत द्वारा संचालित श्री रघुनंदन इंटर कालेज द्वारा समापन कार्यक्रम के लिए अनुमति न दिए जाने का आरोप लगाया। विधायक ने कहा कि उनकी पदयात्रा का अंतिम कार्यक्रम कॉलेज में होना था, जिसकी सूचना पहले ही दी जा चुकी थी। प्रधानाचार्य द्वारा प्रारंभ में अनुमति भी दे दी गई थी, लेकिन बाद में इनकार कर दिया गया। उनका कहना था कि यह पूरी तरह अनुचित था। पदयात्रा को प्रभावित करने वाला निर्णय था।
छर्रा विधायक ने पदयात्रा में कॉलेज से अनुमति न मिलने का रखा मुद्दा, अध्यक्ष ने किया बचाव
जिला पंचायत अध्यक्ष विजय सिंह ने इस पर कड़ा विरोध दर्ज करते हुए कहा कि कालेज की प्रबंधक होने के नाते अनुमति देना उनका अधिकार था। विधायक की ओर से उनके पास कोई अनुरोध नहीं आया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पदयात्रा की होर्डिंग में जिला पंचायत अध्यक्ष होने के बावजूद उनका फोटो नहीं लगाया गया, जबकि जिले की प्रथम नागरिक होने के नाते उन्हें कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अगर मुझसे अनुमति मांगी जाती तो मैं इसे अवश्य देती। मेरे स्तर पर कोई बाधा नहीं थी।
पदयात्रा किसी व्यक्ति विशेष की नहीं, संगठन स्तर की थी
इस पर विधायक ने जवाब दिया कि पदयात्रा किसी व्यक्ति विशेष की नहीं, बल्कि संगठन स्तर की थी। होर्डिंग कार्यकर्ताओं द्वारा तैयार किए गए थे, इसलिए उन पर फोटो न होना स्वाभाविक था। उन्होंने कहा कि मामले में प्रधानाचार्य को पहले अनुमति देने और बाद में इनकार करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया, न कि अध्यक्ष को। दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप इतना बढ़ा कि प्रभारी मंत्री व सांसद काे हस्तक्षेप कर शांत कराना पड़ा। इस मौके पर सांसद सतीश गौतम, मेयर प्रशांत सिंघल, कोल विधायक अनिल पाराशर, खैर विधायक सुरेंद्र दिलेर, इगलास विधायक राजकुमार सहयोगी, महानगर अध्यक्ष इंजीनियर राजीव शर्मा, जिलाध्यक्ष कृष्णपाल सिंह लाला, एमएलसी चौ. ऋषिपाल सिंह, महानगर महामंत्री शिव नारायण शर्मा समेत अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
सीएम ग्रिड की सड़कों पर जनप्रतिनिधियों का गुस्सा
कोर कमेटी की बैठक में इसके बाद शहर की सड़कों की स्थिति भी बड़ा मुद्दा रही। जनप्रतिनिधियों ने कहा कि सीएम ग्रिड योजना के नाम पर पूरे शहर की सड़कें खोदी पड़ी हैं। कहीं नाला खोद दिया गया है तो कहीं सड़क उखाड़कर छोड़ दी गई है। खैर रोड व महेंद्र नगर की स्थिति को बेहद खराब बताते हुए शहर विधायक ने नगर निगम पर जमकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि निर्माण की तुलना में सड़कों को तोड़ने का काम ही ज्यादा हो रहा है। प्रभारी मंत्री ने नगरायुक्त को सड़कों में सुधार के निर्देश दिए। इस पर शहर विधायक ने कहा कि वे स्वयं साथ में भ्रमण करेंगी।
एसआईआर फीडिंग में सुस्ती पर प्रभारी मंत्री की नाराजगी
एसआईआर अभियान की समीक्षा के दौरान सामने आया कि जिले की सात विधानसभा क्षेत्रों में कोल व शहर विधानसभा सबसे पीछे चल रही हैं। स्वर्ण जयंती नगर, मानसरोवर, ज्ञान सरोवर, नौरंगाबाद समेत कई बूथों पर फीडिंग बेहद धीमी है, जबकि कुछ विशेष बूथों पर यह काम तेज है। प्रतिनिधियों ने शिकायत की कि बीएलओ घर-घर नहीं जा रहे हैं। बूथों से ही फार्म वितरित कर रहे हैं, जिससे रफ्तार प्रभावित हो रही है। इस पर निर्णय लिया गया कि अब बीएलओ के साथ सहायक भी तैनात किए जाएंगे जो सुस्त बूथों पर तेज़ी लाने का काम करेंगे।
आरोप-प्रत्यारोप पर क्या बोले दोनों प्रतिनिधि
यह मेरी निजी पदयात्रा नहीं थी, बल्कि संगठन का कार्यक्रम था। होर्डिंग कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए थे, इसलिए उन पर फोटो का सवाल नहीं उठता। कालेज को पहले ही जानकारी थी। अनुमति भी दी जा चुकी थी, लेकिन बाद में मना कर दिया गया। बैठक में मैंने केवल इतना मुद्दा उठाया था। जिला पंचायत अध्यक्ष का नाम मैंने नहीं लिया, लेकिन फिर भी उन्होंने विरोध किया। इसका मतलब साफ है कि उन्होंने जानबूझ कर अनुमति नहीं दी। रवेंद्र पाल सिंह, विधायक छर्रा
जिले की प्रथम नागरिक होने के नाते मुझे पदयात्रा का निमंत्रण मिलना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। कालेज की प्रबंधक होने के नाते अनुमति लेना मेरे स्तर से जरूरी था पर विधायक की ओर से कोई खबर नहीं आई। मैं भी इसी विधानसभा क्षेत्र के वार्ड की सदस्य हूं। अन्य सभी विधानसभा क्षेत्रों से मुझे निमंत्रण मिला था। इसके अलावा विधायक ने मेरे प्रस्तावित अंत्येष्टि स्थल का भी विरोध किया। उन्होंने बैठक में यहां तक कहा कि मेरा दो महीने में कार्यकाल खत्म हो जाएगा। यह जनता द्वारा चुने प्रतिनिधि के लिए बेहद गलत भाषा है। −विजय सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष

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