पूंजीवाद के बिना सरकारों का शासन करना मुश्किल : डा. संतोष गौतम Aligarh news
ख्यान के वक्ता डा. संतोष कुमार गौतम थे। व्याख्यान का विषय कार्ल मार्क्स और साम्यवाद था । जिसमे एक राष्ट्र के सकारात्मक आर्थिक विकास में राजनीतिक विचारधाराओं के महत्व पर चर्चा गई। पूंजीवाद पर कहा कि वर्तमान में पूंजीवाद के बिना किसी भी सरकार का शासन करना मुश्किल है।

अलीगढ़, जेएनएन । मंगलायतन विश्वविद्यालय ने व्याख्यान श्रृंखला के तहत कार्ल मार्क्स और साम्यवाद पर एक व्याख्यान का आयोजन किया । व्याख्यान के वक्ता डा. संतोष कुमार गौतम थे। व्याख्यान का विषय "कार्ल मार्क्स और साम्यवाद" था । जिसमे एक राष्ट्र के सकारात्मक आर्थिक विकास में राजनीतिक विचारधाराओं के महत्व पर चर्चा गई। पूंजीवाद पर अपनी बात रखते हुए कहा कि वर्तमान में पूंजीवाद के बिना किसी भी सरकार का शासन करना मुश्किल है।
देश के विकास के लिए राजनीतिक विचारधारा का महत्व होता है
डा. संतोष गौतम ने बताया कि किसी भी देश के विकास के लिए राजनीतिक विचारधारा का बहुत महत्व होता है। वर्तमान में निरपेक्ष साम्राज्य, संवैधानिक राजतंत्र, लोकतंत्र और साम्यवाद दुनिया की चार प्रमुख राजनीतिक विचारधाराएं हैं। इन्ही विचारधाराओं के आधार राष्ट्रों की शासन व्यवस्था चलती हैं। इस व्याख्यान में मार्क्सवाद और साम्यवाद के संबंध में कार्ल मार्क्स की अंतर्दृष्टि पर चर्चा की गई। श्री गौतम ने बताया कि कार्ल मार्क्स के विचार में इतिहास पूंजीपति वर्ग और मजदूर वर्ग के बीच संघर्ष का परिणाम है। मार्क्स ने विश्व समाज को छह प्रमुख समूहों में वर्गीकृत किया। अर्थात्, आदिम साम्यवाद, दासता प्रणाली, सामंतवाद, पूंजीवाद, समाजवाद और साम्यवाद। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र इन छह चरणों से गुजरकर साम्यवाद प्राप्त कर सकता है। व्याख्यान में उन देशों के बारे में भी जानकारी दी गई, जहां साम्यवाद अभी भी जीवित है। व्याख्यान में भारत में साम्यवाद और कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास पर भी चर्चा की गई। इस दौरान प्रो. शिवाजी सरकार, प्रो. उल्लास, प्रो. राकेश शर्मा, डा. अशोक उपाध्याय, डा. देवेंद्र, डा. सुकृत श्रीवास्तव, मनीषा उपाध्याय, मयंक जैन, रामकुमार पाठक आदि मौजूद रहे।
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