जेनरिक दवाओं की अनदेखी पर शासन सख्त, ब्रांडेड दवा लिखी तो नपेंगे सरकारी चिकित्सक
जेनरिक दवाओं की उपेक्षा ओर ब्रांडेड दवाओं मोह अब चिकित्सकों को महंगा पड़ेगा। मंगलवार को शासन से भी जन औषधि केंद्र को क्रियाशील रखने के लिए अपर नेदिशक सीएमओ व सरकारी अस्पतालों के मुख्य चिकित्साधीक्षकों को दिशा निर्देश दिए गए हैं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। ब्रांडेड दवा के फेर में जेनरिक दवा की अनदेखी, दम तोड़ते जन औषधि केंद्रों पर दैनिक जागरण के समाचारीय अभियान का व्यापक असर हुआ है। अभियान से प्रेरित होकर जनपद स्तर पर तो सरकारी व निजी चिकित्सकों, अधिकारी पहल कर ही चुके हैं, मंगलवार को शासन से भी जन औषधि केंद्रों को क्रियाशील रखने के लिए अपर निदेशक, सीएमओ व सरकारी अस्पतालों के मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को दिशा-निर्देश दिए ही हैं। मंडलायुक्त-डीएम को भी कड़ाई से अनुपालन करवाने के आदेश दिेए गए हैं।
दर्द नहीं देंगी महंगी दवा, अब जेनरिक का सहारा
महंगी ब्रांडेड दवा रोगियों का दर्द बढ़ा रही हैं। केंद्र सरकार ने रोगियों को सस्ती जेनरिक दवा उपलब्ध कराने के लिए करीब चार वर्ष प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना शुरू की। जनपद में इस समय 14 जन औषधि केंद्र संचालित हैं। पूर्ण रूप से क्रियाशील जन औषधि केंद्रों की बात करें तो चार-पांच ही होंगे। वजह, निजी चिकित्सक ही नहीं, सरकारी अस्पतालों में भी बाहर की ब्रांडेड दवा लिखी जाती है। इससे जन औषधि केंद्रों के पास रोगी पहुंच ही नहीं पाते। दैनिक जागरण ने जेनरिक दवाअों को बढ़ावा देकर जन औषधि केंद्रों की दशा सुधारने के लिए समाचारीय अभियान चलाया, जिसे पाठकों ने काफी सराहा तो काफी चिकित्सक और केमिस्ट भी प्रभावित हुए। शहर के काफी चिकित्सकों ने आगे बढ़कर जेनरिक दवा लिखना शुरू कर दिया। पहली बार महंगी ब्रांडेड बनाम सस्ती जेनरिक दवा को लेकर एक बहस शुरू हुई। लोगों ने विशेषज्ञों की सलाह ली, असर को लेकर चर्चा की। कुछ ब्रांडेड लिखने वाले चिकित्सक भी जेनरिक के पक्ष में डटकर खड़े हुए। रोगी मेडिकल स्टोर तक पर जाकर जेनरिक दवा की बात कर रहे हैं, इससे केमिस्ट भी उहापोह में है। सरकारी अस्पतालों में सबसे ज्यादा असर दिखा है। वहीं, मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर मंगलवार को अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद की अोर से दिशा-निर्देश दिए गए। स्पष्ट कहा है कि चिकित्सालयों में दवाअों की सूची एवं उपलब्धता प्रदर्शित की जाए।
इनका कहना है
शासन की मंशा के अनुसार जन औषधि केंद्रों को क्रियाशील करने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। यदि किसी सरकारी डाक्टर ने बाहर की दवा लिखी तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।
- डा. वीके सिंह, अपर निदेशक-चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण।