गांधीजी ने पूर्व सांसद शीला गौतम के कंधे पर हाथ फेर जताया था स्नेह
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद करके पूर्व भाजपा सांसद शीला गौतम गदगद हो जाती हैं।
अलीगढ़ (जेएनएन)। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद करके पूर्व भाजपा सांसद शीला गौतम गदगद हो जाती हैं। कुछ पुराने स्मरण उन्होंने कुछ इस तरह सुनाए और बताया कि मैं उन सौभाग्यशाली लोगों में शामिल हूं, जिन्होंने गांधीजी को देखा और सुना। मुझे दो बार गांधीजी को देखने का मौका मिला। मेरे पिता मोहनलाल गौतम महान स्वतंत्रता सेनानी थे।
मेरे पिता ने चंद्रशेखर के साथ किया काम
गभाना से 12वीं की परीक्षा पास कर वे 18 साल की उम्र में लाला लाजपतराय के साथ चले गए। उन्होंने काफी समय तक चंद्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह व रामप्रसाद बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों के साथ काम किया। लाला लाजपतराय की मौत के बाद पिताजी 1928 में इलाहाबाद में रहने लगे। जिस मकान में पिताजी रहते थे, उसी के ऊपरी हिस्से में लाल बहादुर शास्त्री रहते थे। मेरा व मेरी बहन का जन्म उसी मकान में हुआ। मकान के सामने पार्क भी था। बात 1935-36 की होगी, तब मेरी उम्र छह-सात साल की रही होगी। महात्मा गांधीजी पार्क में सभा को संबोधित करने आए थे। तब मैंने उन्हें देखा था। सभा के बाद उन्होंने मेरे व अन्य बच्चों के कंधे पर हाथ फेर कर स्नेह जताया था।
गांधी की सभा देखने गई थी मैं
1937 में जब कांग्रेस की यूपी में अंतरिम सरकार बनी तो गोरखपुर के बांसगांव विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर बाबूजी (पिताजी) लखनऊ आ गए। रहने के लिए एक भुतहा मकान देखा गया, जिसमें पंद्रह-बीस कमरे थे। आचार्य नरेंद्र देव, जयप्रकाश नारायण व डॉ. राम मनोहर लोहिया ने वह मकान तलाश किया था। इस मकान के नीचे के हिस्से में हम रहने लगे। 1937-38 में गांधीजी कांग्रेस के एक कार्यक्रम में भाग लेने लखनऊ आए थे, तब हम भी उन्हें देखने पहुंचे। हालांकि बाबूजी साथ लेकर नहीं गए थे, दूसरों लोगों के साथ मैं कार्यक्रम में गई थी। गांधीजी की सभा में भीड़ खूब जुटती थी।

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