गांधी-इरविन समझौता होने तक स्वतंत्रता सेनानियों ने नहीं मानी थी हार, जानें कैसे मिली सफलता
साबरमती आश्रम से दांडी के दौरान महात्मा गांधी की गिरफ्तारी के बाद अलीगढ़ समेत देशभर में स्वतंत्रा संग्राम शुरू हो गया था। यहां छात्र जमींदार कांग्रे ...और पढ़ें

अलीगढ़, विनोद भारती। साबरमती आश्रम (अहमदाबाद) से दांडी (गुजरात) यात्रा (1930) के दौरान महात्मा गांधी की गिरफ्तारी के साथ ही अलीगढ़ समेत देशभर में स्वतंत्रा संग्राम शुरू हो गया। यहां छात्र, जमींदार, कांग्रेस नेता, अध्यापक तक नमक सत्याग्रह से लेकर अन्य क्रांतिकारी गतिविधियों में कूद पड़े। महिला व बुजुर्ग भी पीछे नहीं रहे। भारतीयों की आवाज दबाने के लिए अंग्रेजों ने दमन चक्र शुरू कर दिया। स्वतंत्रता सेनानियों को एक-एक कर जेल में डाला जाने लगा। यातनाएं दी गईं। इस क्रांति से अनेक स्वतंत्रता सेनानियों का उदय हुआ। तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन भी यह समझ गया। उसने समझौते के प्रयास शुरू कर दिए। पांच मार्च 1931 को महात्मा गांधी व लार्ड इरविन के बीच समझौता हुआ। सैकड़ों राजनैतिक बंदियों को अंग्रेजों ने रिहा कर दिया। इरविन समझौते से पूर्व की घटनाओं पर नजर डालें...
नमक कानून तोडऩा
स्वतंत्रता सेनानी प्रो. चिंतामणि शुक्ल ने अपनी पुस्तक 'अलीगढ़ जनपद का राजनैतिक इतिहास में लिखा है कि गांधीजी की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस नेता तसद्दुक अहमद शेरवानी, ठा. मलखान सिंह, ठा. टोडर सिंह, ज्वाला प्रसाद जिज्ञासु, हाफिज उस्मान और ख्वाजा अब्दुल मजीद आदि ने नमक कानून तोडऩे की योजना बनाई। अचल ताल स्थित ठा. टोडर ङ्क्षसह की कोठी में सत्याग्रह आश्रम खोला गया। स्वयं सेवक विदेशी कपड़ों व शराब की दुकानों पर धरना देते। जनता के लोग आश्रम के संचालन को अनाज, कपड़ा और रुपया देने लगे। कृष्ण दुलारी समेत अनेक महिलाएं भी आंदोलन में कूद गईं। अतरौली के चुन्नीलाल व उनके पुत्र शिवकुमार व बनारसी दास को जेल भेज दिया गया। कंपनी बाग पर नमक कानून तोड़ा जाता था।
विट्ठल भाई पटेल ने भरा जोश
केंद्रीय असेंबली के स्पीकर विट्ठल भाई पटेल त्यागपत्र देकर आंदोलन में कूद पड़े। देशभर में भ्रमण किया। अलीगढ़ आए। लायल लाइब्रेरी (मालवीय पुस्तकालय) में सभा हुई। उन्होंने कहा, 'भविष्य के इतिहासकारों को यह लिखने दो कि जब भारत माता को नौजवानों की जरूरत थी, उस समय वे अपनी पुस्तकों के पन्नों को उलटने में संलग्न थे। विद्यार्थियों, स्कूल कालेजों में आग लगा दो। अपनी मातृभूमि की सेवा में निकल पड़ो।Ó
खान अब्दुल गफ्फार खां का आगमन
लाल कुर्ती दल के मान नेता अब्दुल गफ्फार खां ने भी यहां आकर आजादी की अलख जगाई। कहा-अगर बम सब भारतवासी ... भी होते तो अंग्रेज में हमें काबू न कर पाते। कैसी शर्म की बात है कि हम आदमी होकर भी गुलाम हैं।
छात्रों ने छोड़ी पढ़ाई, पुरुषोत्तम ने लहराया तिरंगा
स्वतंत्रता संग्राम का असर छात्रों पर भी पड़ा। आठवीं के छात्र पुरुषोत्तम व अन्य ने गवर्नमेंट हाईस्कूल पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा दिया। पुलिस की खूब मार पड़ी। राम शंकर याज्ञनिक समेत कई लोगों को जेल की सजा मिली। इस दौरान ठा. नवाब ङ्क्षसह चौहान, त्रिलोकीनाथ, रामगोपाल आजाद, लज्जाराम आदि ने डीएस इंटर कालेज से विद्यार्थी जीवन को तिलांजलि दे दी। क्रांतिकारी गतिविधियों में संलिप्त रहने पर मार सही, जेल गए।
प्रमुख गिरफ्तारियां
ठा. मलखान सिंह, ठा. टोडर सिंह, नवाब चौहान, मास्टर अनंतराम, अब्दुल जीद, नंद कुमार देव मोहन लाल गौतम समेत सैकड़ों लोगों की गिरफ्तारियां अलीगढ़ व अलीगढ़ से बाहर हुईं। आजादी के मतवाले घरों से निकल पड़े। हालात को भांपते हुए वायसराय लार्ड इरविन के आदेश पर 25 जनवरी 1931 को गांधीजी रिहा कर दिए गए। डा. जयशंकर सर तेज बहादुर सप्रू के प्रयत्न से 17 फरवरी को गोलमेज सम्मेलन हुआ। पांच मार्च को गांधी-इरविन समझौता हुआ।

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