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    बाट-माप विभाग में भ्रष्टाचार की मोहर !

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 20 Apr 2018 03:30 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : बाट-माप विभाग में भ्रष्टाचार की मोहर से दुकानदार आजिज हैं। आरो

    बाट-माप विभाग में भ्रष्टाचार की मोहर !

    जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : बाट-माप विभाग में भ्रष्टाचार की मोहर से दुकानदार आजिज हैं। आरोप है कि अफसर अपने विभाग के अधिकृत एजेंटों के जरिये अवैध उगाही कराते हैं। बिना नवीनीकरण के माप व तौल का काम भी खूब ही चल रहा है। ग्राहक घटतौली के शिकार हो रहे हैं।

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    बाट-माप विज्ञान विभाग के नियमानुसार हर दो साल बाद बाट, तराजू व इलेक्ट्रॉनिक वेट मशीन (कांटा) की जांच होती है। बाट पर मोहर लगती है तो इलेक्ट्रॉनिक कांटे पर जांच के बाद टैग (सील) लगती है। बाजार में बड़ी संख्या में बिना मोहर के बांट व बिना नवीनीकरण टैग के कांटे इस्तेमाल किए जा रहे हैं। मोहर व टैग लगाने के लिए विभाग ने जिले में दो दर्जन एजेंट अधिकृत किए हैं, जो रिपेय¨रग, इलेक्ट्रॉनिक कांटों का निर्माण व बिक्री करते हैं। जिस एजेंट के पास मरम्मतीकरण का लाइसेंस है, वे सिर्फ इसी काम के लिए अधिकृत है। महावीर गंज किराना व्यापार मंडल के कोषाध्यक्ष पवन किराना ने बताया कि अक्सर बैठक में इस भ्रष्टाचार की शिकायत की जाती है। 30 किलो के इलेक्ट्रॉनिक कांटे के टैग नवीनीकरण का शुल्क 250 रुपये है। वसूला 400 से 500 रुपये तक जाता है। बहाना विभाग के अफसरों को देने का लगाया जाता है।

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    विभाग के अधिकृत रिपेय¨रग कारोबारियों को आरोपित करना सरासर गलत है। अफसरों के नाम पर वसूली की जा रही है तो डीलर हमसे शिकायत कर सकते हैं। कार्रवाई की जाएगी। व्यापारी तय रेट दें।

    हरीश प्रजापति, वरिष्ठ निरीक्षक, बाट-माप विज्ञान विभाग हम तो वह करते हैं, जो अफसर चाहते हैं। प्रति सील व मोहर के हिसाब से कमीशन का खेल लखनऊ तक है। नोएडा के एक एजेंट ने इस खेल का विरोध किया तो उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया था। इस भ्रष्टाचार की जांच हो।

    गुड्डू, अध्यक्ष, बाट-माप व्यापार वेलफेयर एसोसिएशन अलीगढ़

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