फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को अपनाने होंगे ये उपाए
फसल की अच्छी पैदावार के लिए किसान रसायनिक खाद और कीटनाशकों का अत्याधिक उपयोग कर रहा है। इससे फसल की पैदावार तो सामान्य ही रही है लेकिन जमीन उगाने लायक नहीं बचती। पैदावार बढ़ाने और जमीन उपजाऊ बनी रहे इसके लिए किसानों को अपनाने होंगे ये उपाए।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता: अच्छी पैदावार के लिए किसान रसायनिक खाद और कीटनाशकों का अत्याधिक उपयोग कर रहा है। इससे पैदावार तो सामान्य ही रहती है, लेकिन जमीन फिर कुछ उगाने लायक नहीं बचती। रसायनिक खाद के बढ़ रहे प्रचलन को रोकने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को जागरूक कर रहे हैं। इसके लिए गोष्ठियां आयोजित की जा रही हैं। वाट्सएप के जरिए भी किसानों को प्रेरित किया जा रहा है।
उप कृषि निदेशक (शोध) डा. वीके सचान बताते हैं कि अच्छी पैदावार लेने के लिए भूमि में जीवांश कार्बन की मात्रा 0.80 से 1.0 प्रतिशत के बीच होनी चाहिए। वर्तमान में जीवांश कार्बन की मात्रा घटकर 0.2 प्रतिशत से 0.3 प्रतिशत तक या इससे भी कम रह गई है। भूमि में जीवांश कार्बन की मात्रा बढ़ने पर फसल की पैदावार कैसे बढ़ती है, इसे किसानों को समझाया जा रहा है।
यदि 0.2 प्रतिशत जीवांश कार्बन वाली भूमि में गेहूं की फसल की बोआई करते हैं, तो 15 से 20 कुंतल प्रति हेक्टेयर गेहूं की उपज प्राप्त होगी। जीवांश कार्बन की कमी की वजह से भूमि में रासायनिक उर्वरकों की अधिक मात्रा देनी पड़ेगी और साथ ही जीवांश कार्बन कम होने की वजह से ही भूमि में नमी कम दिन तक रहेगी।
इस कारण सिंचाई अधिक करनी पड़ेगी। जीवांश कार्बन कम होने की वजह से ही फसलों में कीट व रोगों का प्रकोप अधिक होगा। इसके नियंत्रण के लिए हमें कीटनाशी, फफूंदीनाशी रसायनों का प्रयोग करना पड़ेगा। इससे हमारी लागत बढ़गी और जो उत्पादन प्राप्त होगा, वह भी रसायन युक्त होगा।
यदि 0.50 प्रतिशत जीवांश कार्बन वाली भूमि में गेहूं की फसल की बाेआई करते हैं तो 30 से 40 कुंतल प्रति हेक्टेयर गेहूं की उपज प्राप्त होगी। जीवांश कार्बन भूमि में ठीक (मध्यम) हैं तो भूमि में रासायनिक उर्वरकों की कम जरूरत पड़ेगी और सिंचाई की आवश्यकता भी कम रहेगी।
कीट एवं रोगों का भी प्रकोप कम होगा। इसी प्रकार 1.00 प्रतिशत जीवांश कार्बन वाली भूमि में गेहूं की फसल की बोआई करते हैं तो 60 से 65 कुंतल प्रति हेक्टेयर गेहूं की उपज प्राप्त होगी। भूमि में जीवांश कार्बन अच्छी मात्रा में उपलब्ध होने के कारण खेत में नमी देर तक बनी रहेगी और सिंचाई की आवश्यकता बहुत कम पड़ेगी।
रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता नहीं होगी। फसल में कीट व रोगों का प्रकोप बहुत कम होगा। खेत में जोताई की कम आवश्यकता पड़गी। भूमि के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में सुधार होगा। भूमि की उर्वरता बढेगी। साथ ही उत्पादन की गुणवत्ता अच्छी होगी। रसायन मुक्त उत्पादन प्राप्त होगा। जिसके उपभोग से हमारा स्वास्थ्य अच्छा बना रहेगा।
स्पष्ट है कि फसलों की पैदावार, भूमि में उपलब्ध जीवांश कार्बन की मात्रा पर ही निर्भर करती है। जैसे-जैसे जीवांश कार्बन की मात्रा बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे पैदावार भी बढ़ती जाती है। इससे गुणवत्ता भी बढ़ती है। कृषि उत्पादन लागत कम हो जाती है।
जीवांश कार्बन की मात्रा को बढ़ाने के लिए किसान खेतों में रसायनों का प्रयोग बंद कर गोबर की खाद, कंपोस्ट खाद, जैविक खाद व हरी खाद के प्रयोग के साथ-साथ खेतों में सूक्ष्म जीवों की संख्या को बढ़ाने के लिए जैव उर्वरकों का प्रयोग अवश्य करें।