डीजल की तीन साल में बढ़ी कीमत से डगमगा गया किसानों का भरोसा, पढ़ें विस्तृत खबर
मंडियों तक अनाज की ढुलाई का भाड़ा भी बढ़ गया है। इससे किसानों का खेती पर से भरोसा डगमगाने लगा है क्योंकि पिछले तीन साल में लागत में बहुत अंतर आ गया है ...और पढ़ें

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। डीजल की बढ़ती कीमतों का असर खेती पर भी पड़ा है। जोताई, बोआई, सिंचाई तो महंगी हुई ही है, मंडियों तक अनाज की ढुलाई का भाड़ा भी बढ़ गया है। इससे किसानों का खेती पर से भरोसा डगमगाने लगा है, क्योंकि पिछले तीन साल में लागत में बहुत अंतर आ गया है। तीन साल पहले किसानों को गेहूं की थ्रेसिंग के लिए 805 रुपये प्रति एकड़ देने पड़ते थे, अब 1200 रुपये दे रहे हैं। खेती में बढ़ती लागत पर लोकेश शर्मा की रिपोर्ट ...
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46 प्रतिशत बढ़ गया है तीन साल में डीजल पर खर्च।
71 प्रतिशत तीन साल में बढ़ा है जोताई, सिंचाई व थ्रेसिंग पर खर्च।
तीन साल में आया अंतर
2019 में डीजल की कीमत 65 रुपये लीटर थी।
95.31 रुपये लीटर है डीजल अब।
6010 रुपये प्रति एकड़ जोताई, सिंचाई व थ्रेसिंग में होता था खर्चा।
10255 रुपये प्रति एकड़ खर्च करने पड़ रहे हैं जोताई, सिंचाई व थ्रेसिंग पर।
डीजल की बढ़ती कीमत
95.31 रुपये प्रति लीटर है
93 रुपये प्रति लीटर था एक अप्रैल को।
87 रुपये प्रति लीटर था एक मार्च को।
26 मार्च को डीजल ने 90 का आंकड़ा किया पार।.....
डीजल का खर्चा (प्रति एकड़)
6 लीटर एक बार जोताई में लगता है।
9 लीटर एक बार में सिंचाई में लगता है।
11 लीटर थ्रेसिंग करने में होता है खर्च।
तीन साल में बढ़ी लागत
825 रुपये बढ़ा जोताई का खर्च।
2220 रुपये बढ़ा डीजल पंप से सिंचाई का खर्च।
400 रुपये तक बढ़ा गेहूं की थ्रेसिंग का खर्च।
30 प्रतिशत किसान डीजल पंप से करते सिंचाई।
500 रुपये तक बढ़ा ढुलाई का भाड़ा।
खेती का रकबा (हेक्टेयर में)
3,04,000 कृषि योग्य भूमि
2,38,821 खरीफ का रकबा
2,85,096 रबी का रकबा
22,851 जायद का रकबा
सिंचाई की व्यवस्था
2,88,000, सिंचित भूमि
33,324, नहरों से सिंचाई
820, राजकीय नलकूपों से सिंचाई
64600 निजी नलकूपों से सिंचाई
खेती पर ऐसे छाई महंगाई
रोटावेटर से जोताई का खर्च
वर्ष, खर्च
2019, 1200
2020, 1250
2021, 1700
2022, 2025
(खर्च रुपये में प्रति एकड़)
पांच बार की सिंचाई का खर्च
वर्ष, खर्च
2019, 3010
2020, 3150
2021, 4350
2022, 5230
(खर्च रुपये में प्रति एकड़)
गेहूं की थ्रेसिंग में खर्च
वर्ष, खर्च
2019, 800
2020, 845
2021, 1158
2022, 1200
(खर्च रुपये में प्रति एकड़)
डीजल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी से फसल की लागत बढ़ गई है। जोताई, बोआई, सिंचाई ऊंची दरों पर करानी पड़ रही है। अब तो खेती से भरोसा डगमगाने लगा है।
योगराज सिंह, गांव भवीगढ़
लागत के हिसाब से फसलों के भाव बढऩे चाहिए। डीजल की कीमत बढऩे से फसलों की लागत बढ़ी है। डर लगने लगा है कि खेती में घाटा न हो जाए।
सतीश तोमर, गांव कैथवारी

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