राजनेताओं ने अपने स्वार्थ के लिए अधूरे श्लोक की व्याख्या की Aligarh News
हमें अहिंसा का मार्ग अपनाना चाहिए लेकिन हमारे धर्म पर और राष्ट्र पर कोई आंच आए तो अहिंसा का मार्ग त्याग कर हिंसा का रास्ता अपनाना चाहिए। क्योंकि वह ध ...और पढ़ें

अलीगढ़, जेएनएन। राजकीय औद्योगिक एवं कृषि प्रदर्शनी के मुक्ताकाश मंच पर बुधवार को 'भारत की विरासत और भविष्य' विषय पर चर्चा हुई। वी कैन फाउंडेशन व हिंदुत्ववादी सामाजिक कार्यकर्ता नीरज भारद्वाज द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में श्रीमद् भगवत गीता के श्लोकों काे भी परिभाषित किया गया। नीरज भारद्वाज ने कहा कि भारत का गौरवशाली इतिहास तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है। गीता के उपदेश भी अधूरे बताए गए। हमें सिखाया गया कि अहिंसा परमो धर्मः यानि अहिंसा ही मनुष्य का परम धर्म है। जबकि, पूरा श्लोक है कि अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:, इसका अर्थ है कि अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उससे भी श्रेष्ठ है।
हमें अहिंसा का मार्ग अपनाना चाहिए
उन्होंने कहा कि हमें अहिंसा का मार्ग अपनाना चाहिए, लेकिन हमारे धर्म पर और राष्ट्र पर कोई आंच आए तो अहिंसा का मार्ग त्याग कर हिंसा का रास्ता अपनाना चाहिए। क्योंकि वह धर्म की रक्षा के लिए उठाया गया कदम है। हिंदू देवी-देवता शस्त्र और आशीर्वाद की मुद्रा में होते हैं, क्योंकि वह निर्दोष को क्षमा करते हैं और पापी को दंड देते हैं। कुछ राजनेताओं ने अपने स्वार्थ के लिए अधूरे श्लोक की व्याख्या की है। कार्यक्रम का शुभारंभ कथावाचक सुनील कौशल महाराज, श्री वार्ष्णेय कालेज समिति की उपाध्यक्ष प्रीति वार्ष्णेय, भाजपा ब्रज क्षेत्र के महामंत्री अश्वनी ठाकुर द्वारा संयुक्त रूप से मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप जलाकर किया गया। कथावाचक ने सनातन धर्म को आज के जीवन से जोड़कर विचार व्यक्त किए। अश्वनी ठाकुर ने भारत की जीवन शैली और आज की परिस्थितियों पर प्रकाश डाला। इनके अलावा गौरी पाठक, ह्यूमन राइट के जिलाध्यक्ष आशीष गोयल, समाजसेवी राजकुमार शर्मा, राजू, हेमंत सारस्वत, कुलदीप मुनि, अधिवक्ता उमेश, विष्णु शेखर, अखिलेश सक्सेना, गौरव आदि लोगों ने भी अपने विचार रखे।

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