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    Environmental lovers worried in Aligarh : ये है इनके सुकून की इमारत

    By Sandeep Kumar SaxenaEdited By:
    Updated: Sun, 14 Nov 2021 09:32 AM (IST)

    इस तस्वीर को देखकर आपको सुकून जरूर मिलेगा। प्रेरणा भी। गगन चुंभी इमारतें अभी तक इंसानों ने अपने लिए ही बनाईं हैं। ये पहला मौका है जब पक्षियों के लिए इमारत खड़ी की है। ये अनूठी पहल इगलास के गांव दुमेडी में देवकीनंदन शर्मा व उनके स्वजन ने की है।

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    बस इच्छा शक्ति की जरूरत है। इसे लगाने में जगह भी ज्यादा नहीं घिरती है।

    अलीगढ़, जागरण संवाददाता। इस तस्वीर को देखकर आपको सुकून जरूर मिलेगा। प्रेरणा भी। गगन चुंभी इमारतें अभी तक इंसानों ने अपने लिए ही बनाईं हैं। ये पहला मौका है जब पक्षियों के लिए इमारत खड़ी की है। ये अनूठी पहल इगलास के गांव दुमेडी में देवकीनंदन शर्मा व उनके स्वजन ने की है। कुतुबमीनार जैसी दिखने वाली इस 60 फुट ऊंची इमारत में 512 घर हैं। लगाने का संदेश भी साफ है। कंकरीटों की इमारतों के चलते जंगल कम हो रहे हैं। पक्षियों को रहने की पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती। प्रजनन तक नहीं कर पाते। कई पक्षी या तो खत्म हो गए या अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहे हैं। गौरेया की संख्या लगातार कम हो रही है। ऐसा नहीं कि फ्लैट, पार्क व कालोनियों में पक्षियों के लिए इस तरह के घर बनाए नहीं जा सकते। बस इच्छा शक्ति की जरूरत है। इसे लगाने में जगह भी ज्यादा नहीं घिरती है।

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    सजग तो रहना ही होगा

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रदूषण के हालात को देखते हुए दो दिन के लाकडाउन जैसे कदम उठाने की सलाह दी। ये दिल्ली ही नहीं हर राज्य के लिए बड़ा संदेश है। प्रदूषण प्रति और गंभीर न हुए तो हालात और भी विकराल हो सकते हैं। अलीगढ़ में भी दीपावली पर हवा काफी दूषित हो गई थी। प्रदूषण के लिए केेवल पराली और पटाखे जिम्मेदार नहीं हैं। औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुंआ, पेड़ पौधें के जलाने से निकलने वाला धुंआ समेत कई कारण हो सकते हैं। लाकडाउन के दौरान औद्योगिक इकाइयां व वाहनों का संचालन बंद होने के बाद वातारण किसी तरह शुद्ध हो गया था ये नजारा सभी ने देखा है। लेकिन इकाइयों व वाहनों को लंबे समय तक बंद नहीं किया जा सकता है। इनके कारण हवा अशुद्ध न हो इस पर तो हमल किया ही जा सकता है। प्रशासन को इस पर सख्त होने की जरूरत है।

    नए जोश में हाथ वाले

    कांग्रेस की हमेशा एक ही समस्या रही कि कार्यकर्ता एक जुट नहीं होते। कभी ऐसा कोई मंच ही नहीं बना जिस पर सभी पदाधिकारी बैठे हों। अब परिस्थिति बदलती नजर आ रही हैं। ऐसा प्रियंका वाड्रा के चलते संभव हो रहा है। प्रियंका ने पिछले कुछ दिनों से प्रदेश की राजनीति को अपने सख्त तेवरों से गरमाहट दी है उसका असर यहां भी दिखने लगा है। कांग्रेसी जरा-जरा सी बात पर अब सड़कों पर उतर रहे हैं। जो चेहरा प्रदर्शनों में दिखाई नहीं देते थे वो भी नजर आ रहे हैं। एक वरिष्ठ कांग्रेसी की पीड़ा थी अगर हम अभी भी एक न हुए तो प्रदेश में सत्ता पाने के लिए ऐसे ही लाइन में खड़े रहेंगे। पार्टी में ऐसे कई नेता हैं जो संघर्ष करते-करते बूढ़े हो चले, लेकिन उन्होंने सत्ता सुख नहीं भोगा। ऐसा हमारी नई पीढ़ी के साथ तो न हो। संघर्ष कभी बेकार नहीं जाता।

    कोल पर कुछ ज्यादा ही है

    विधानसभा चुनाव का बिगुल भले ही न फुंका हो लेकिन दोवदार अभी से मैदान में उतर आए हैं। टिकट पाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। जिले की सातों विधानसभा सीटों पर यही हाल है। लेकिन सबसे ज्यादा मारामारी कोल सीट पर दिख रही है। हर दल का नेता यहां से चुनाव लड़ने को ताल ठोक रहा है। सपा व भाजपा के कई नेताओं में हार्डिंग लगवाने की बहस छिड़ गई है। विरोधी दावेदार का हार्डिंग,बैनर नजर आते ही अपना लगवा देते हैं। भाजपा से तो हाथरस के उपाध्याय बंधु ने भी दावेदारी ठोक दी है। क्षेत्र में भ्रमण भी तेज कर दिया है। देखना यह है टिकट पाने में बाजी कौन मारता है। बरौली में भी टिकट को लेकर जबर्दस्त मारामारी है। दोनों वीर भी सक्रिय हो गए हैं। बड़े-बड़े आयोजन कर रहे हैं। बरौली की टिकट किसके खाते में जाती है ये भी दिलचस्प होगा।

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