EESL कंपनी ने खींचे हाथ, अब लाइटें ठीक कराने के लिए निगम ने उठाया ये बड़ा कदम
नगर निगम क्षेत्र में पथ प्रकाश विभाग की लाइटें लगी हैं, लेकिन खराब होने पर ईईएसएल कंपनी इन्हें ठीक करने की जिम्मेदारी नहीं ले रही। अधिकारियों और पार्षदों के अनुसार, ईईएसएल की लाइटों में सबसे ज्यादा खराबी की शिकायत है, और मेंटीनेंस अवधि में होने के बावजूद कंपनी कर्मचारी इन्हें ठीक नहीं करते।

जागरण संवाददाता, अलीगढ़। नगर निगम सीमा में पथ प्रकाश विभाग की लाइटें लगी हैं। मगर दुविधा ये आ रही है कि इनके खराब होने पर इसे सही करने की जिम्मेदारी कंपनी नहीं उठाती हैं। अधिकारियों व पार्षदों का भी कहना है कि सबसे अधिक समसया ईईएसएल की लाइटों में आ रही है। क्योंकि इनके खराब होने पर कंपनी के कर्मचारी सही करने नहीं आते हैं। जबकि ये लाइटें अभी मेंटीनेंस की समय सीमा में हैं। ऐसे में नोटिस व कार्रवाई के बीच ईईएसएल ने वार्डों से अपनी लाइटें उतारनी शुरू कर दी हैं। जहां लाइटें लगी हैं और खराब हैं, उनको नगर निगम ने सही कराने का बीड़ा उठाया है।
इन कंपनियों की भी लगी लाइटें
नगर निगम सीमा में वर्तमान में ईईएसएल के अलाव इयान व हेलोनेक्स कंपनी की लाइटें भी लगी हैं। नगर निगम इयान कंपनी की लाइटें भी सही करा रहा है क्याेंकि इनके मेंटीनेंस की समय सीमा समाप्त हो चुकी है। ये नगर निगम के हैंडओवर हो गई हैं। वहीं करार के बावजूद ईईएसएल द्वारा काम न करने पर उनसे इसके एवज में वसूली की जाएगी।
कंपनी की आठ से 10 करोड़ रुपये से अधिक राशि नगर निगम पर बकाया है। इसका भुगतान अभी निगम की ओर से नहीं किया गया है। इनके भुगतान से कटौती होगी। कंपनी से करार समाप्त करने के संबंध में नाटिस दिए जा चुके हैं। कनवरीगंज में क्षेत्रीय पार्षद कुलदीप पांडेय ने बताया कि उनके क्षेत्र से भी ईईएसएल ने लाइटें उतार ली हैं। सबसे अधिक खराबी भी इसी कंपनी की लाइटों में हाे रही हैं। इसीलिए शहर में खराब लाइटों को ठीक करने में लेटलतीफी सामने आती है। क्योंकि कंपनी के कर्मचारी नहीं पहुंचते हैं।
लाइटें कई-कई दिनों तक नहीं सही होती है। निगम ने लाइटों को सही कराने के लिए टीमों को भी बढ़ा दिया है। तीन अक्टूबर से नगर निगम ईईएसएल की लाइटें सही करा रहा है। अब नोटिस की प्रक्रियाएं पूर्ण करते हुए जल्द ही शासन के पास कंपनी से करार समाप्त करने संबंधी पत्र शासन को भेजा जाएगा।
ईईएसएल से करार समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। तीन नोटिस भी दिए जा चुके हैं। अब नगर आयुक्त स्तर से करार समाप्त करने की संस्तुति कर शासन को भेजा जाएगा। जो खर्च निगम को करना पड़ रहा है, उसकी भरपायी कंपनी के अंतिम भुगतान से होगी।
अजय सक्सेना, अधिशासी अभियंता (यांत्रिक), नगर निगम
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