सर्दी-जुकाम में बार-बार एंटीबायोटिक न लें, चेता रहे डाक्टर Aligarh News
अलीगढ़ सर्दी के मौसम में सर्दी खांसी जुकाम कोल्ड डायरिया खांसी व अन्य छोटी-छोटी समस्याओं के लिए ज्यादातर लोग खुद ही एंटीबायोटिक खाने में लगे हुए हैं। यही नहीं वे अपने बच्चों के डाक्टर भी खुद बन गए हैं।

अलीगढ़, जेएनएन। अलीगढ़ : सर्दी के मौसम में सर्दी, खांसी, जुकाम, कोल्ड डायरिया, खांसी व अन्य छोटी-छोटी समस्याओं के लिए ज्यादातर लोग खुद ही एंटीबायोटिक खाने में लगे हुए हैं। यही नहीं, वे अपने बच्चों के डाक्टर भी खुद बन गए हैं और बिना किसी डाक्टरी सलाह के बच्चों को भी एंटीबायोटिक सीरप व अन्य दवा देने से हिचक नहीं रहे। चिकित्सकों के अनुसार मामूली संक्रमण में तीन से पांच दिन एंटीबायोटिक लेने से आपकी बीमारी खत्म हो चुकी है, मगर ऐसा आप बार-बार कर रहे हैं तो यह प्रवृति सभी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। ज्यादा एंटीबायोटिक का सेवन दूसरी बीमारी का कारण बन सकता है। इसलिए बीमार होने पर डाक्टर के पास जाएं। आइए एंटीबायोटिक के इस्तेमाल पर क्या कहते हैं शहर के डाक्टर
बच्चों की सेहत से खिलवाड़
किलकारी हास्पिटल के सीनियर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डा. विकास मेहरोत्रा बताते हैं कि लोग एक बात भलींभांति समझ लें कि एंटीबायोटिक न तो बुखार की दवा और न एंटी वायरल है। जबकि, इस समय विटर डायरिया या विंटर वायरल चल रहा है। 99 फीसद मामलों में यह वैक्टीरियल बिल्कुल नहीं, इसलिए एंटीबायोटिक की कोई जरूरत नहीं होती। ज्यादातर वायरल तीन से पांच दिन में खुद ही ठीक होने लगता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि घर बैठ जाएं, बल्कि विशेषज्ञ के पास जाकर सही दवा लें। चिंता की बात ये है कि लोग जरा सी परेशानी होती ही दवा के पुराने पर्चे या केमिस्ट से एंटी बायोटिक लाकर बच्चे को खिला देते हैं। झोलाछाप के पास पहुंच गए तो वे एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगा देते हैं, जो गलत है। इससे सबसे बड़ा नुकसान ये होता है कि जब बच्चे को अन्य बैक्टीरियल बीमारियों में एंटीबायोटिक की जरूरत होती है तो एंटीबायोटिक काम नहीं करते। इसलिए जब भी एंटीबायोटिक लें डाक्टर की सलाह से।
घट जाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
डा. मेहरोत्रा के अनुसार बच्चों में दवाओं के साइड इफेक्ट सबसे ज्यादा होते हैं। स्वतः इलाज करने या एंटीबायोटिक खिलाने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है। वे बार-बार बीमार होने लगते हैं। एंटीबायोटिक के लिए सही मात्रा व सही समय का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। डाक्टर बच्चे के लक्षण देखकर दवाएं देते हैं, मगर अब माता-पिता में बच्चों का खुद डाक्टर बनने का चलन बहुत बड़ गया है, जो कि गलत प्रवृत्ति है। इसे लेकर देशभर में मुहिम भी चलाई जा रही है।
बुखार में पैरासिटामोल व दस्त में ओआरएस काफी
विशेषज्ञों के अनुसार सर्दी, खांसी व जुकाम में डाक्टर बच्चों को पैरासिटामोल देकर इलाज करते हैं। जबकि, दस्त में ओआरएस के साथ दाल का पानी, पके हुए चावल का पानी देने की सलाह देते हैं। ज्यादातर बच्चे इसी से ठीक भी हो जाते हैं। इसलिए एंटीबायोटिक न तो खुद खाएं और न बच्चों को खिलाएं।
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