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    कार्वी का लाइसेंस निरस्त होने से अलीगढ़ निवेशकों के करोड़ों फंसे Aligarh news

    By Anil KushwahaEdited By:
    Updated: Tue, 01 Dec 2020 01:22 PM (IST)

    केबीसीएल लाइसेंस बर्खास्त होने से अलीगढ़ के निवेशकों का करोड़ों रुपया फंस गया है। नवंबर में कार्वी पर 95000 ग्राहकों के 2300 करोड़ से अधिक मूल्य के शेयरों को कर्जदाताओं के पास गिरवी रखकर 600 करोड़ रुपये लेने के आरोप में बाजार नियामक सेबी लेन-देन पर रोक लगा दी थी।

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    कार्वी ने बड़ी तादात में निवेशकों के शेयरों को दूसरी कंपनी में ट्रांसर्फर किया।

    अलीगढ़, जेएनएन : कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी लिमिटेड (केबीसीएल) लाइसेंस बर्खास्त होने से अलीगढ़ के निवेशकों का करोड़ों रुपया फंस गया है। नवंबर 2019 में कार्वी पर 95000 ग्राहकों के 2,300 करोड़ से अधिक मूल्य के शेयरों को कर्जदाताओं के पास गिरवी रखकर 600 करोड़ रुपये का लेने के आरोप में बाजार नियामक सेबी लेन-देन पर रोक लगा दी थी। इसे कालू सूची में डाल दिया। कार्वी ने बड़ी तादात में निवेशकों के शेयरों को दूसरी कंपनी में ट्रांसर्फर किया। फिर भी हजारों निवेशकों के करोड़ों रुपया के शेयर व नकदी वापस नहीं हो सके। गत 23 नवंबर को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) सेबी ने लाइसेंस बर्खास्त कर दिया है। नेशनल सिक्योरिटीज डिपोजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के जरिये निवेशक इन्वेस्टर प्रोटेक्शन फंड में दावा कर रहे हैं। अलीगढ़ के भी एक हजार से अधिक निवेशक अपने शेयर व नकदी के लिए दावा कर सकते हैं। सेबी ने तीन माह तक का समय दिया है।

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    विश्‍वसनीय ब्रोकर कंपनी थी केबीसीएल

    पिछले 20 साल से केबीसीएल देश की सबसे विश्वसनीय ब्रोकिंग कंपनी थी। इसका अलीगढ़ में रामघाट रोड कुमार प्लाजा में ऑफिस था। दर्जनभर से अधिक कंपनी के अफसर व कर्मचारी नियुक्त थे। यहां चार ग्राहकों के खाता थे। जिनमें डी मैट अकांउट व ट्रेडिंग अकाउंट शामिल थे। 80 करोड़ रुपया से अधिक का निवेश था। कार्वी के उच्चस्तरीय प्रबंधन ने अपने निवेशकों के शेयर गिरवी रखकर पैसा रियल स्टेट कारोबार में लगा दिया। इस खुलासे के बाद केबीसीएल को कालू सूची में डाल दिया। साथ ही सेबी ने निवेशकों के ट्रेडिंग अकाउंट के नकदी व डी मैट अकांउट के शेयर वापस करने का दबाव बनाया। एक साल तक चली जांच व कार्रवाई के दौराना शेयरों को दूसरी कंपनी के लिए ट्रांसर्फर किया गया। वहीं अलीगढ़ के तमाम निवेशकों के शेयर व नकदी वापस नहीं आई।जिन निवेशकों का पैसा व शेयर वापस नहीं आए हैं, उन्हें एनएसडीएल में वापसी के लिए दावा करना होगा। इन्वेस्टर प्रोटेक्शन फंड में 25 लाख रुपया तक बीमा होता है।

    सलाह 

    कार्वी द्वारा किए गए फ्रॉड के बाद ब्रोकरेज फर्मों पर निवेशकों की विश्वसनीयता बहुत तेजी से घटी है। निवेशकों को प्राइवेट बैंक मे अपना डीमैट खाता खुलवाना चाहिए। निवेशक ट्रेडिंग अकाउंट किसी भी ब्रोकिंग फर्म में खोल सकते हैं। जिन निवेशकों के शेयर लंबी अवधि के हैं उनको अपने शेयर खरीदने के तुरंत बाद ही डीमेट अकाउंट में ट्रांसफर करा लेने चाहिए । निवेशकों को सलाह है कि वह समय-समय पर अपने डिमैट अकाउंट का स्टेटमेंट मंगा कर अपने शेयर चेक करने चाहिए। ताकि कि भविष्य में किसी भी इस तरह की घटना से बचा जा सके।

    - संजय माहेश्वरी, शेयर बाजार सलाहकार

    इनका कहना है

    कार्वी द्वारा किए गए फ्रॉड के बाद हमारी कंपनी में डीमेट खुलवाने वालों की संख्या भी घटी है। निवेशक और ट्रेडर डिमैट अकाउंट प्राइवेट बैंक में खुलवा रहे हैं। साथ ही ट्रेडिंग अकाउंट हमारे यहां खुलवा कर ट्रेडिंग कर रहे हैं।

    - दीपक राठी, शेयर ब्रोकर

    कार्वी की ऑपनिंग वाले दिन ही हमने अपने पांच खाता खुलवाए थे। इनमें हमारे डीमैट अकाउंट में 10 लाख रुपया से अधिक के शेयर थे। फ्रॉड के बाद हमने शेयर दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर्र के लिए आवेदन किया। फिर भी लाखों रुपया के शेयर व नकदी फंसी है। दावा करेंगे।

    - सतीश माहेश्वरी, निवेशक

    मेरे कार्वी में कई अकाउंट थे। ट्रेडिंग अकाउंट में एक लाख 90 हजार रुपया थे। फर्जीबाड़ा के बाद शेयर तो दूसरे खाते में ट्रांसफर्र करा लिए, मगर नकदी आज तक वापस नहीं आई। क्लेम किया जाएगा।

    - शरद कुमार, निवेशक

    मैं कार्वी का 12 साल पुराना ग्राहक था। कंपनी ने मेरे साथ ठीक नहीं किया। मेरे शेयर व नकदी दोनों फंस गई हैं। कार्वी जैसी कंपनी फर्जीबाड़ा करेगी, ये सपने में भी नहीं सोचा था। शेयर विशेषज्ञों ने क्लेम की सलाह दी है।

    - संतोष कुमार राठी, निवेशक