वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव कुमार का परामर्श, मां का दूध पिलाएं, स्वस्थ रहेगा शिशु
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव कुमार ने शिशु और बच्चों को गर्मी के मौसम में निरोगी रहने के टिप्स तो दिए ही बीमार होने पर उपचार के बारे में भी परामर्श दिया।
अलीगढ़ (जेएनएन)। गर्मी शुरू होते ही तमाम बच्चे उल्टी-दस्त, वायरल डायरिया, पीलिया, टाइफाइड व अन्य संक्रामक बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं। माता-पिता बच्चों को लेकर डॉक्टरों के पास दौड़ रहे हैं। 'हेलो जागरण' में रूसा मेडिकल सेंटर के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव कुमार ने शिशु और बच्चों को गर्मी के मौसम में निरोगी रहने के टिप्स तो दिए ही, बीमार होने पर उपचार के बारे में भी परामर्श दिया।
10 माह के बेटे के दांत निकल रहे हैं। बार-बार लैटरीन कर रहा है। कमजोर भी हो गया है। - राजीव शर्मा, वैष्णोपुरम।
- शिशु दांत निकलने से नहीं, बल्कि मसूड़े खुजाने के लिए जब बार-बार उंगलियां देता है, तो संक्रमण होने से बीमार पड़ता है। उसे ओआरएस का घोल पिलाएं। यदि गाय का दूध पिला रहे हैं तो पानी न मिलाएं। दाल, हलवा, केला आदि शुरू कर दें। जिंक की एक गोली रोजाना खिलाएं।
दो साल का बेटा को बार-बार दस्त हो जाते हैं। - रामगोपाल वाष्र्णेय, दरियापुर।
- बच्चे को जब भी दूध पिलाएं। निपल व बोतल को गर्म पानी में उबालकर ही पिलाएं। निपल पर हाथ न लगाएं। हर बार ताजा दूध ही दें। देखें कि वह मिïट्टी या अन्य गंदी चीज मुंह में न डाले। ओआरएस का घोल भी पिलाएं।
एक माह का बेटा दूध पीते ही पलट देता है। क्या करें? - सुलेखा वर्मा, बेसवां।
शिशु को दो घंटे से पूर्व दूध नहीं देना है। छह माह तक मां का दूध ही पिलाएं। दूध पिलाने का सही तरीका अपनाएं। दूध पिलाने के बच्चे को कंधे पर लेकर थपकी से डकार दिलाएं। साफ-सफाई का ख्याल रखें।
बच्चों को बार-बार होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए कोई सुझाव दीजिए। - संदीप, हाथरस।
- बच्चों को समय-समय पर टीकाकरण बेहद जरूरी है। यदि प्राइवेट टीके लगवाने में सक्षम नहीं हैं तो सरकारी अस्पतालों में बीसीजी, हेपेटाइटिस, डीपीटी, ओपीवी, हेपेटाइटिस, पेंटावेलेंट, टिटनेस-डिफ्थीरिया आदि टीके मुफ्त उपलब्ध हैं। प्राइवेट में चिकनपॉक्स व अन्य टीके भी हैं।
डेढ़ साल के बेटा सूखता जा रहा है। भूख भी नहीं लगती। - जहीर, धौर्रा।
उसे दूध के साथ दलिया व अन्य खाद्य वस्तुएं दें। तरल पदार्थों का सेवन कराएं। यदि बीमार नहीं है तो बाल रोग विशेषज्ञ से मिलें।
इन्होंने लिया परामर्श
जवाहर नगर से सतपाल सिंह, देहली गेट से परी शर्मा, अकराबाद से रवि, डिबाई से शाकिब खान, खेड़ा खुर्द से गिरीश कुमार, नई बस्ती से नाजिया, अली रजापुर से पदम सिंह, सासनी गेट से अमित, जेल रोड से तेजेंद्र यादव आदि।
ये बरतें सावधानी
- ओआरएस का घोल, चीनी व नमक का घोल दें।
- दाल का पानी पिलाएं।
- बोतल का नहीं, मां का दूध दें।
- गर्मी में बाहर न ले जाएं।
- बाजार का कुछ खिलाने से बचें।
- बांसी व बाजार की कोई चीज न खिलाएं।
- साफ-सफाई का विशेषज्ञ ध्यान रखें।
खुद न करें बच्चों का इलाज
डॉ. संजीव ने कहा कि कई माता-पिता खुद ही अपने बच्चों के डॉक्टर बन जाते हैं, जो गलत है। मसलन, दस्त होने पर परचून की दुकान से खरीदी गई लोमाफेन व एंट्रोक्लोनोल नामक दवाएं खाने से उनका पेट फूल जाता है। इन दवाओं से दस्त भले ही खत्म हो जाएं, इन्फेक्शन खत्म नहीं होता। माता-पिता को चाहिए कि साफ-सफाई को लेकर बेहद सावधानी बरतें। बच्चों के रहन-सहन और खानपान पर ध्यान दें।