'धोखे से अपनों ने किया सौदा', अलीगढ़ में पैतृक हवेली बचाने में जुटे एक्टर चंद्रचूड़ सिंह; SSP से की शिकायत
बॉलीवुड अभिनेता चंद्रचूड़ सिंह अपनी पैतृक संपत्ति को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने अलीगढ़ के एसएसपी से शिकायत की है कि उनकी हवेली को धोखे से बेचने का प्रयास किया जा रहा है और अन्य जमीनों पर कब्जा कर लिया गया है। चंद्रचूड़ सिंह ने अपने पिता की विरासत को संभालने और 2027 में राजनीति में प्रवेश करने की संभावना जताई है। उन्होंने योगी सरकार के विकास कार्यों की सराहना की।

जागरण संवाददाता, अलीगढ़। बालीवुड अभिनेता चंद्रचूड़ सिंह इन दिनों अपने पुरखों से विरासत में मिली प्रॉपर्टी को लेकर कड़े तनाव में है। उनकी खैर रोड जलालपुर स्थित हवेली को दस्तावेजों में हेराफरी कर सौदा कर दिया है, अन्य जमीनों पर पहले ही कब्जा कर लिया है। जिस मांटी में पले बड़े हुए उसे कुछ शातिर लोग हड़पना चाहते हैं।
सोमवार को वे अपने भाई व फिल्म निर्माता - निर्देश अभिमन्यु सिंह के साथ एसएसपी नीरज जादौन से उनके कार्यालय में मिले। कुछ उन्हे दस्तावेज भी दिए। एक प्रार्थना पत्र में अपने साथ हो रहे अन्याय की शिकायत की। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी ज्यादात पर खानदान के लोगों की नजर है। वे माफियाओं से मिलकर पहले भी प्रोपर्टी पर कब्जा कर चुके हैं।
कई मामले न्यायालय में भी विचाराधीन हैं। नवंबर माह में उनके चाचा गंगा सिंह का निधन हो गया था। वे 11 नवंबर को अपने चचा की त्रियोदशी संस्कार में परिवार सहित शामिल हुए थे। वे इसी हवेली में रहते थे।
चंद्रचूड़ सिंह ने जलालपुर स्थित हवेली पर सोमवार को मीडिया को बताया कि उनके पिता कैप्टन बल्देव सिंह तीन भाई व एक बहन थे। कैप्टन सबसे बड़े थे। उनके छोटे भाई ठा. पुण्य प्रताप सिंह व ठा. गंगा सिंह थे। यह सभी वर्ष 1885 में बनी हवेली में साथ- साथ रहते थे। कैप्टन ने राष्ट्र के लिए वर्ष 1962 व 1965 में दुश्मन देश से जंग लड़ी थी।
जब भी वे सेना से अवकाश लेकर आते थे, तब वे खुद खेती-किसानी करते थे। वे अपने परिवार को साथ लेकर चले। उनकी पत्नी कृष्णा कुमारी देवी ने अपने बेटा चंद्रचूड़ सिंह को अवर लेडी आफ फातिमा स्कूल में प्रवेश दिलाया।
उन्होंने कक्षा दो तक इस स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा ली। इसके बाद बोर्डिंग स्कूल में प्रवेश लिया। दूसरे बेटा अभिमन्यु सिंह व नारायण सिंह ने भी इसी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। जब यह मुंबई में शिफ्ट हो गए, तब कैप्टन बल्देव सिंह भी वहां चले गए।
इसके बाद कैप्टन बल्देव सिंह ने कांग्रेस को ज्वाइन किया। इसके बाद वे राजीव गांधी के निकटस्थ हो गए। इस पार्टी से वे वर्ष 1985 में शहर विधानसभा से निर्वाचित हुए। इसके बाद वे रालोद व अन्य पार्टी से जुड़े। उन्होंने सदैव समाज को सर्वोपरि माना। जब वे शहर आते थे, तब उनको भी प्रोपर्टी को लेकर परेशान किया जाता था।
उस समय हम फिल्म की शूटिंग में व्यस्त रहते थे। कुनावा के लोग अब हमें परेशान करने लगे है। उन्होंने कहा कि वे परिवार के सबसे बड़ी संतान है। इस लिए उनका दायित्व है कि वे इस हैरीटेज धरोहर को संभाल कर रखे।
चाचा के निधन के बाद उनको जानकारी हुई है कि कुछ लोग मिलकर इसको बेचने के फेर में है। ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे। दाेनों चाचाओं के बेटा विदेश व मुंबई में रहते हैं। इसमें सभी का हिस्सा है। कोई अलग नहीं है।
उचित समय पर राजनीति में करेंगे प्रवेश
चंद्रचूड़ सिंह ने कहा कि पहले वे अपने घर को व्यवस्थित कर लें। वह अधिक से अधिक समय शहर को देंगे। अपनों के बीच रहेंगे। विभिन्न राजनीतिक दलों ने उनसे गत 25 वर्षों से राजनीति में आने के लिए आफर दिए। मगर सदैव दूरी रखी। वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अभी समय है।
अगर किसी राजनीतिक दल ने उन्हें विधानसभा चुनाव का लिए आफर दिया, तब वे उचित समय पर राजनीति में आने का निर्णय लेंगे। वे पिता से मिले विरासत में संस्कार को संजो के रखेंगे। उन्हाेंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश में किए जा रहे विकास कार्यों की सराहना की। उनके द्वारा हर क्षेत्र में विकास किया जा रहा है।

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