Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मां स्कंदमाता से प्रेरणा ले अनूठे ढंग से अलीगढ़ के सरकारी स्कूल में गुणा-भाग सिखा रहीं चैताली वार्ष्णेय

    By JagranEdited By: Sanjay Pokhriyal
    Updated: Thu, 29 Sep 2022 06:45 PM (IST)

    अलीगढ़ बीएसए के सतेंद्र कुमार ढाका ने बताया कि चैताली की तरह ही अन्य शिक्षक भी नवाचार के माध्यम से विषयवस्तु को सुगम बना सकते हैं। उत्कृष्ट कार्य के ल ...और पढ़ें

    Hero Image
    अलीगढ़ के महुआखेड़ा सरकारी विद्यालय की सहायक अध्यापिका चैताली वार्ष्णेय।

    गौरव दुबे, अलीगढ़ : मां स्कंदमाता का पूजन नवरात्र में पांचवें दिन किया जाता है। मां का यह स्वरूप ज्ञान के प्रचार-प्रसार का भी संदेश देता है। इसी संदेश को अनूठे प्रयोग से आगे बढ़ा रही हैं अलीगढ़ के महुआखेड़ा सरकारी विद्यालय की सहायक अध्यापिका चैताली वार्ष्णेय। भारत में कई महान गणितज्ञ हुए हैं। आर्यभट्ट ने विश्व को शून्य का ज्ञान दिया। आमतौर पर विद्यार्थियों को गणित का ज्ञान कराना हो तो शिक्षकों को ब्लैकबोर्ड पर फार्मूले लिखते हुए देखा जाता है, लेकिन चैताली वार्ष्णेय का तरीका अलग है। वह गणित का ज्ञान कराने के लिए स्कूल में ही बाजार लगवा देती हैं। इससे बच्चे खरीदारी करते हुए खेल-खेल में जोड़-घटाना, गुणा-भाग, लाभ-हानि आसानी से सीख जाते हैं। इस अनूखी पहल ने माडल प्राथमिक विद्यालय महुआखेड़ा के बच्चों में पढ़ाई के प्रति उत्साह बढ़ाने का काम भी किया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चैताली इस प्रयोग के बारे में कहती हैं कि गणित पढ़ाने में बाजार वाले माडल से काफी सहायता मिलती है। वह बच्चों को स्कूल परिसर में बाजार लगाने को कहती हैं। इसमें बच्चे पेटीज, बिस्कुट, टाफी, पेंसिल-रबर, गुब्बारे, बर्गर, फ्रूटी, कला-शिल्प के जरिए बनाए गए छोटे-छोटे खिलौने आदि अपने सहपाठियों को बेचते हैं। कितने रुपये दिए और कितने लौटाए गए, इसका आकलन खुद विद्यार्थी ही करते हैं। इससे उनका जोड़-घटाना भी मजबूत हो जाता है। बाजार में रखी जाने वाली कई वस्तुएं चैताली खुद खरीदकर लाती हैं और क्रय-विक्रय के बाद बच्चों को बांट देती हैं। बच्चों को पांच रुपये से लेकर 100 रुपये तक के खेल वाले नोट भी लेकर दिए गए हैं। इनसे ही क्रय-विक्रय होता है। अब उनके स्कूल में गणित से बच्चे डरते नहीं हैं, बल्कि क्लास का इंतजार करते हैं। चैताली वार्ष्णेय को अध्यापन के इस अनूठे प्रयोग के लिए सहायक निदेशक (बेसिक शिक्षा) डा. पूरन सिंह सम्मानित कर चुके हैं। पूर्व में कमिश्नर जीएस प्रियदर्शी ने भी अध्यापिका के इस प्रयास के लिए उन्हें सम्मानित किया था।

    गुब्बारों से लाभ-हानि का आकलन

    कक्षा पांच के विद्यार्थी गुब्बारों की बिक्री कर लाभ-हानि का आकलन करते हैं। उदाहरण के लिए बच्चे 20 रुपये के 10 गुब्बारे लेते हैं। चार गुब्बारे फुलाने में फूट गए। अब विद्यार्थी तय करते हैं कि बचे हुए छह गुब्बारे कितने में बेचे जाएं कि उनको लागत (20 रुपये) से ज्यादा धनराशि मिल जाए। इस काम को कक्षा पांच के विद्यार्थी बखूबी करते हैं।

    50 छात्र से 203 तक की यात्रा

    चैताली ने बताया कि जब वह वर्ष 2019 में इस विद्यालय में आईं तो उस समय छात्र नामांकन संख्या करीब 50 थी। घर-घर जाकर अभिभावकों को जागरूक किया और बच्चों के दाखिले स्कूल में कराए। अब नामांकन 203 है। बताया कि उनकी कक्षा में छह से सात बच्चे प्राइवेट स्कूल को छोड़कर आए और पूरे स्कूल में इनकी संख्या 25 है।

    एसआरजी सदस्य करते निरीक्षण

    स्टेट रिसोर्स ग्रुप (एसआरजी) सदस्य संजीव कुमार शर्मा इस बाजार का लेखा-जोखा रखते हैं। जब विद्यार्थी क्रय-विक्रय कर लेते हैं तो इसके बाद राशि को कापी में नोट करते हैं। शिक्षिकाओं व एसआरजी द्वारा बाजार पर आधारित तैयार किए गए प्रश्नों के जवाब भी बच्चे लिखते हैं। इन आंकड़ों व तथ्यों का परीक्षण एसआरजी सदस्य संजीव करते हैं।

    अलीगढ़ बीएसए के सतेंद्र कुमार ढाका ने बताया कि चैताली की तरह ही अन्य शिक्षक भी नवाचार के माध्यम से विषयवस्तु को सुगम बना सकते हैं। उत्कृष्ट कार्य के लिए वह सराहना की पात्र हैं। अन्य शिक्षकों के लिए मिसाल हैं। उनको शुभकामना।