खैर विधानसभा उपचुनाव में सुरेंद्र दिलेर बने बीजेपी के प्रत्याशी, पिता व दादा के बाद चुनाव में अब तीसरी पीढ़ी
खैर विधानसभा सीट पर भाजपा ने प्रत्याशी के नाम की घाेषणा कर दी है। इस सीट पर अगस्त में सीएम योगी आदित्यनाथ सभा कर चुके हैं। जो नाम यहां से दावेदारों के भेजे गए थे इनमें पूर्व सांसद किशनलाल दिलेर के नाती सुरेंद्र उर्फ दीपक भी चर्चाओं में था। राजवीर सिंह दिलेर हाथरस के सांसद थे उनकी टिकट काटकर ही पार्टी ने अनूप को प्रत्याशी बनाया गया था।

जागरण संवाददाता, अलीगढ़। भाजपा ने खैर विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव के लिए प्रत्याशी की घोषणा कर दी है। पार्टी ने हाथरस के पूर्व सांसद राजवीर दिलेर के बेटे सुरेंद्र दिलेर को प्रत्याशी बनाया है। सुरेंद्र अपने परिवार से भाजपा से टिकट पाने वाले तीसरी पीढ़ी के सदस्य हैं। उनके दादा किशनलाल दिलेर हाथरस से सांसद रह चुके हैं।
50 से अधिक लोगों ने की थी दावेदारी
भाजपा में टिकट को लेकर मारामारी चल रही थी। 50 से अधिक लोगों ने दावेदारी की थी। पार्टी के नेता अपने-अपने चहेतों को टिकट दिलाने में लगे हुए थे। लेकिन पार्टी ने किसी नहीं सुनी। पार्टी की कोशिश ऐसे चेहरा को उतारे की थी जिसे सब पसंद करें।
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सुरेंद्र दिलेर।
खैर से बनाया था अनूप प्रधान को लोकसभा प्रत्याशी
पार्टी ने राजवीर दिलेर की टिकट काटकर ही खैर विधायक अनूप प्रधान को लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया था। चुनाव के दौरान ही राजवीर दिलेर की मृत्यु हो गई थी। उनके परिवार पर यह बड़ा आघात था। परिवार की राजनीति को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सुरेंद्र दिलेर पर है। भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाकर उसे साकार करने काम किया है। अनूप प्रधान दो बार विधायक रहे थे।
विवेक बंसल ने 2002 में जीता था यहां चुनाव
2002 में शहर सीट से अंतिम बार विवेक बंसल व 2004 में चौ. बिजेंद्र सिंह ही निर्वाचित हुए। इसके बाद से कांग्रेस कोई चुनाव नहीं जीता। विधानसभा चुनाव में बहुत बुरी हालत रही। सभी सीटों पर प्रत्याशियों की जमानत बचना तो दूर, सम्मानजनक मत तक नहीं मिल सके। खैर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो 1985 के बाद से कोई चुनाव कांग्रेस जीत नहीं सकी। खोया जनाधार वापस पाने में कांग्रेस पूरी तरह विफल रही।
सीएम योगी उपचुनाव के लिए कर चुके हैं यहां सभा।
लोकसभा चुनाव में लगा था विधानसभा क्षेत्र से झटका
लोकसभा चुनाव में भाजपा को खैर विधानसभा क्षेत्र में झटका लगा था। पार्टी प्रत्याशी सतीश गौतम को सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी चौ. बिजेंद्र सिंह से 1401 वोट कम मिले थे। भाजपा को वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की तरह जीत की उम्मीद थी। तब भाजपा प्रत्याशी अनूप प्रधान 74341 मतों से जीते थे।
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रालोद का भाजपा से है इस बार गठबंधन
जाट बाहुल्य सीट को भाजपा फिर से जीतना चाहेगी। भाजपा विधायक अनूप प्रधान के हाथरस सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई थी। भाजपा के लिए अच्छी बात यह भी है कि इस जाट बाहुल्य क्षेत्र में इस बार रालोद भी साथ में हैं।
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