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    Birthday of Film Writer Dr Rahi Masoom Raza: डा. राही ने अलीगढ़ में लिखे थे महाभारत और चंद्रकांता के संवाद

    By Sandeep Kumar SaxenaEdited By:
    Updated: Wed, 01 Sep 2021 03:08 PM (IST)

    धारावाहिक महाभारत और चंद्रकांता में विभिन्न किरदारों के मुंह से निकले संवाद आज भी लोगों के जेहन में तरोताजा हैं। ये संवाद प्रख्यात लेखक व शायर डा. राही मासूम रजा ने लिखे। नई पीढ़ी शायद इस बात से अंजान हो कि वह न केवल एएमयू में पढ़े बल्कि पढ़ाया भी।

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    डा. राही मासूम रजा का जन्म एक सितंबर 1927 में गाजीपुर जिले के गंगौली गांव में हुआ।

    अलीगढ़, जेएनएन। पौराणिक धारावाहिक महाभारत और चंद्रकांता में विभिन्न किरदारों के मुंह से निकले संवाद आज भी लोगों के जेहन में तरोताजा हैं। ये संवाद प्रख्यात लेखक व शायर डा. राही मासूम रजा ने लिखे। नई पीढ़ी शायद इस बात से अंजान हो कि वह न केवल एएमयू में पढ़े, बल्कि पढ़ाया भी। महाभारत व चंद्रकांता सीरियल के कई दृश्य यहीं लिखे गए। ‘लम्हें’ में बेस्ट डायलाग के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला। डा. राही मासूम रजा की आज जन्मतिथि है। आइए, उनके बारे में और जानें...

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    जीवन परिचय और लेखन

    डा. राही मासूम रजा का जन्म एक सितंबर 1927 में गाजीपुर जिले के गंगौली गांव में हुआ। पिता वकील और चाचा कवि थे। 10 साल की उम्र में टीबी हो गई। घर में रहते हुए तमाम किताबों का अध्ययन किया। इससे लेखन में रूझान हो गया। बेसिक शिक्षा पूरी कर इलाहाबाद गए। प्रोग्रेसिव राइटर्स ग्रुप ज्वाइन किया। फिर, अलीगढ़ आए। एएमयू से एमए और उर्दू साहित्य में पीएचडी की। यहीं पढ़ाने भी लगे। यहीं तमाम उपन्यास लिखे। 1965 में जब ''''नई उमर की नई फसल'''' की शूटिंग अलीगढ़ में चल रही थी, तब उनकी मुलाकात निर्माता-निर्देशक आर चंद्रा (अभिनेता भारत भूषण के बड़े भाई) से हुई। वह मुंबई चले गए। ''''बिंदिया और बंदूक'''', ''''पत्थर और पायल'''' फिल्म में संवाद लिखकर पहचान बनाई। ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म ''''मिली'''', ''''जुर्माना'''' और ''''गोलमाल'''' समेत करीब 300 फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी। 15 मार्च 1992 में निधन हो गया।

    ब्रेक लेने अलीगढ़ आते थे रजा

    डा. रजा के करीबी व एएमयू के प्रोफेसर डा. एफएस शीरानी बताते हैं कि मुंबई में शिफ्ट होने के बाद वे बार-बार अलीगढ़ आए। महाभारत का एक दृश्य है, जिसमें भीष्म पितामह की मां गंगा, नदी के तट पर कंकर चुन रही हैं। यह उनके पुत्रों की अस्थियां थीं। यह दृश्य डा. रजा ने कर्बला में शहीद हुए इमाम हुसैन के जीवन से लिया। 10 मुहर्रम को इमाम हुसैन शहीद होते हैं, उससे एक दिन पूर्व में उनके ख्वाब में मां फातिमा पत्थर चुनने हुए दिखाई देती हैं। पूछने पर कहतीं हैं कि मेरे पुत्रों को चोट न लगे इसलिए ऐसा कर रही हूं। डा. रजा ने शमशाद मार्केट से मीर अनीस का मर्सिया मंगाया। इससे दृश्य में जान आ गई। शमशाद मार्केट स्थित अपनी कोठी के बगीचे में बैठकर सोचते रहते थे। चंद्रकांता के कई एपिसोड व लम्हें फिल्म की स्क्रिप्ट यहीं लिखी। अलीगढ़ और यहां के लोगों से उनका लगाव कम नहीं हुआ।