एंटी वायरल या एंटी पायरेटिक नहीं है एंटीबायोटिक, बार-बार सेवन से खतरा
आमतौर पर देखा जाता है कि लोग मौसमी बीमारियों में बिना डाक्टर की सलाह के मेडिकल स्टोर से दवा ले आते हैं जो कभी कभी हानिकारक साबित होते हैं। चिंता की बात तो यह है कि लोग बच्चों को भी बिना झिझक एंटीबायोटिक सिरप देना शुरू कर देते हैं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। मौसमी व अन्य बीमारियों में कई बार लोग खुद ही बाजार से दवा खरीदकर खाना शुरू कर देते हैं। इसमें एंटीबायोटिक का कोर्स भी शामिल होता है। यह जाने बगैर की एंटीबायोटिक की जरूरत है या नहीं, या कितनी मात्रा में और कितने दिन के लिए खानी है। चिंता की बात ये है कि लोग बच्चों को भी बिना झिझक एंटीबायोटिक सिरप देना शुरू कर देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बिना डाक्टर की सलाह के बार-बार एंटीबायोटिक लेना शरीर के लिए घातक साबित हो सकता है। दूसरी बीमारी का भी कारण बन सकता है। इसलिए बीमार होने पर डाक्टर के पास जाएं।
बच्चों की सेहत से खिलवाड़
विक्रम कालोनी स्थित किलकारी हास्पिटल के सीनियर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डा. विकास मेहरोत्रा बताते हैं कि लोग एक बात भलींभांति समझ लें कि एंटीबायोटिक न तो एंटी वायरल दवा है और न एंटी पायरेटिक। यह कोई बुखार की दवा की नहीं है। जबकि, 90 फीसद बुखार वायरल से होते हैं। इस समय तापमान में वृद्धि हो रही है, संक्रमण व दूषित खानपान से उल्टी-दस्त, डायरिया व पेट संबंधी अन्य बीमारियां बढ़ रही हैं। इनमें एंटीबायोटिक दवा की कोई जरूरत नहीं। ज्यादातर वायरल तीन से पांच दिन में खुद ही ठीक होने लगता है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि घर बैठ जाएं। विशेषज्ञ के पास जाकर सही दवा लें। चिंता की बात ये लोग जरा सी परेशानी होती ही दवा के पुराने पर्चे या केमिस्ट से एंटी बायोटिक लाकर बच्चे को खिला देते हैं। झोलाछाप के पास पहुंच गए तो वे एंटीबायोटिक इंजेक्शन (मेरोपेनम आइएम) लगा देते हैं, जो गलत है। इससे सबसे बड़ा नुकसान ये होता है कि जब बच्चे को अन्य बैक्टीरियल बीमारियों में एंटीबायोटिक की जरूरत होती है तो एंटीबायोटिक काम नहीं करते। इसलिए जब भी एंटीबायोटिक लें डाक्टर की सलाह से।
घट जाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता, बेअसर हो रहे एंटीबायोटिक
डा. मेहरोत्रा के अनुसार एंटीबायोटिक से शरीर को नुकसान ही नहीं होता, बल्कि यह एक और खतरनाक काम हो रहा है। बार-बार एंटीबायोटिक खिलाने से बैक्टीरिया इनके सापेक्ष प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं। एक समय ऐसा आएगा जब कोई एंटीबायोटिक काम नहीं करेंगे। इसलिए चाभी लोगों के हाथ में है। बिना डाक्टर की सलाह के न तो खुद एंटीबायोटिक खाएं और न किसी को खाने की सलाह ही दें।
बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर
बच्चों में दवाअों के साइड इफेक्ट सबसे ज्यादा होते हैं। स्वतः इलाज करने या एंटीबायोटिक खिलाने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है। वे बार-बार बीमार होने लगते हैं। एंटीबायोटिक के लिए सही मात्रा व सही समय का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। डाक्टर बच्चे के लक्षण देखकर दवाएं देते हैं, मगर अब माता-पिता में बच्चों का खुद डाक्टर बनने का चलन बहुत बड़ा हो गया है, जो कि गलत प्रवृत्ति है। इसे लेकर देशभर में मुहिम भी चलाई जा रही है।
इनका करें सेवन
बुखार में पैरासिटामोल व दस्त में ओआरएस काफी है। ओआरएस ने हो तो एक चुटकी नमक व एक चम्मच चीनी का घोल बनाकर पिलाएं। गर्मी से बचाव के लिए छाछ, आम का पना या घर में तैयार तरल पदार्थों का ही सेवन करें।
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