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    वीरता और संघर्ष का दूसरा नाम है बंजारा समाज Aligarh News

    By Sandeep kumar SaxenaEdited By:
    Updated: Wed, 06 Jan 2021 09:35 AM (IST)

    अखिल भारतीय बंजारा महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश नायक ने कहा है कि घटना का पर्दाफाश कर पुलिस ने मीडिया को दी इस तरह की जानकारी से प्रदेश के करीब 50 लाख हिंदू बंजारा समाज को आघात पहुंचाया है।

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    पुलिस ने हिंदू बंजारा समाज को आघात पहुंचाया है।

    अलीगढ़, जेएनएन। एक सप्ताह पहले गांधी पार्क क्षेत्र के याकूतपुर में डेयरी संचालक के यहां डकैती में गिरफ्तार किए आरोपितों को बंजारा गैंग से जोडऩे पर बंजारा समाज के लोगों ने नाराजगी जताई है। एससी/एसटी एक्ट आयोग के सदस्य व अखिल भारतीय बंजारा महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश नायक ने कहा है कि घटना का पर्दाफाश कर पुलिस ने मीडिया को दी इस तरह की जानकारी से प्रदेश के करीब 50 लाख हिंदू बंजारा समाज को आघात पहुंचाया है। देश व प्रदेश में यदि बंजारा है तो वह हिंदू बंजारा है। इसकी पुष्टि राज्य सरकार ने अनुसूचित जाति व जनजाति शोध संस्थान के माध्यम से सर्वे कराकर उत्तर प्रदेश में निवास करने वाली बंजारा जाति हिंदू बंजारा समाज के नाम से प्रचलित है। इसके अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेजा है, जो लंबित है। मुस्लिम समाज में कोई बंजारा जाति नहीं लिखता।

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    बंजारा समाज 1952 में आजाद हुआ

     उन्होंने कहा है कि अपराधी की कोई जाति धर्म नहीं होता। जातीय शब्दों का इस्तेमाल कर अखबार व अन्य सूचना तंत्र के माध्यम से वाह-वाही नहीं लूटनी चाहिए। बंजारा कट्टर हिंदू है और आज भी  हिंदुुुत्‍व की खातिर मुख्य गांवों से अलग मजरों में रहकर निवास कर रहा है। मुगल शासकों से लेकर अंग्रेजी हुकूमत तक आत्मरक्षा व हिंदुुुत्‍व की रक्षा और संस्कृति को बचाने में यह समाज चार सौ वर्ष की यात्रा कर चुका है। अंग्रेजों ने 1931 में जातीय आधारित सर्वे कराया था। उस समय बंजारा समाज अंग्रेजों से गुरिल्ला युद्ध करता था। जंगलों में रहता था। इस कारण सर्वें में बंजारा छूट गए। आरोप लगाया कि संविधान लिखते या लिखवाते समय भी इसका ख्याल नहीं रखा गया। अंग्रेजों ने भी अपराधी घोषित कर रखा था। थाने में दो बार सुबह शाम हाजिरी लगानी पड़ती थी। सही मायने में बंजारा समाज तो 1952 में तब आजाद हुआ, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने क्रिमिनल एक्ट हटाया था। आज आरजीआइ रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के पास भी बंजारा समाज का डेटा नहीं है। गुरु तेगबहादुर से लेकर लक्खी शाह तक बंजारा समाज का इतिहास भरा पड़ा है।

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