AMU के कुलपति प्रो. तारिक मंसूर बने MLC, BJP और आरएसएस से नजदीकी का मिला लाभ, मिल सकता है महत्वपूर्ण मंत्रालय
UP MLC 2023 पार्टी के प्रस्ताव पर सोमवार की रात अधिसूचना जारी। तीन दिन पूर्व पार्टी ने छह नाम राज्यपाल के पास भेजे थे। राजनीतिज्ञों का मानना है कि कुलपति शिक्षित मुस्लिम वर्ग में सेंध लगा सकते हैं।
अलीगढ़, जागरण टीम। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के कुलपति प्रो. तारिक मंसूर के भाजपा से विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) बनने की अधिसूचना जारी कर दी गई है। भाजपा में शामिल होने वाले वह एएमयू के पहले कुलपति हैं। एएमयू के 100 वर्ष के इतिहास में अभी तक किसी कुलपति ने भाजपा से राजनीति शुरू नहीं की है। उन्हें प्रदेश सरकार में महत्वपूर्ण मंत्रालय मिल सकता है। जारी अधिसूचना में भाजपा ब्रज प्रांत के पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष रजनीकांत माहेश्वरी का नाम भी शामिल है।
छह लोगों के नाम भेजे थे राज्यपाल के पास
पार्टी ने कुलपति समेत छह लोगों का नाम राज्यपाल के पास भेजा गया था। 2017 में बने थे कुलपति, एक साल का मिला सेवा विस्तार: प्रो. तारिक मंसूर 17 मई 2017 को एएमयू के कुलपति बने थे। 17 मई 2022 को उनका कार्यकाल समाप्त होने पर राष्ट्रपति (विजिटर) ने एक वर्ष का सेवा विस्तार दिया। कुलपति का कार्यकाल 17 मई 2023 को पूरा हो रहा है। उनसे पहले नया कुलपति कौन होगा, इस पर चर्चा चल रही है।
भाजपा व आरएसएस से नजदीकी का मिला लाभ
कुलपति के आरएसएस व भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से अच्छे संबंध रहे। कुलपति के बेटा की शादी में आरएसएस के कई दिग्गज पदाधिकारी शामिल हुए थे। पिछले दिनों दिल्ली में लाल किले में आरएसएस के कार्यक्रम में भी वे शामिल हुए थे। इसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी थे। माना जा रहा है कि इसी नजदीकी का उन्हें लाभ मिला है।
100 वर्ष के इतिहास में पहले कुलपति
एएमयू के पहले कुलपति 1920 में मोहम्मद अली बने थे। 2017 से प्रो. तारिक मंसूर कुलपति हैं। इनसे पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल जमीरउद्दीन शाह रहे। इस बीच प्रो. मंसूर को छोड़कर अन्य कुलपति गैर भाजपा दलों से जुड़कर राजनीति करते रहे हैं। तारिक मंसूर ही ऐसे कुलपति हैं जो भाजपा से राजनीतिक पारी शुरू कर रहे हैं।
मिल सकता है महत्वपूर्ण मंत्रालय
कुलपति प्रो. तारिक मंसूर को प्रदेश सरकार में महत्वपूर्ण मंत्रालय मिल सकता है। निकाय चुनाव के बाद अगले वर्ष लोकसभा चुनाव हैं। जीत में उत्तर प्रदेश की बड़ी भूमिका होती है। ऐसे में उन्हें अल्पसंख्यक चेहरे के रूप में पेश किया जा सकता है। भाजपा अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए मुसलमानों को भी फोकस कर रही है।
जल्द छोड़ सकते हैं कुलपति पद का कार्यभार
अधिसूचना जारी होने के बाद वे कुलपति पद का कार्यभार जल्द छोड़ सकते हैं। उनके बाद सहकुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज पर जिम्मेदारी आ सकती है। अधिसूचना जारी होने पर एएमयू परिसर में उनके पद छोड़ने की चर्चा तेज हो गई हैं। सरकार का शुक्रगुजार, जो इस काबिल समझा प्रो. तारिक मंसूर ने कहा कि मैं सरकार का शुक्रगुजार हूं कि मुझे इस काबिल समझा। एमएलसी मनोनीत करने के लिए सरकार को बधाई देता हूं। हमें जो नई जिम्मेदारी मिलेगी, उससे प्रदेश और देश के विकास के लिए काम करेंगे। प्रदेश और केंद्र सरकार की योजनाओं लाभ लोगों को मिले, इस पर भी काम किया जाएगा।
एएमयू में पढ़कर बने कुलपति
एएमयू में पढ़कर बने कुलपति कुलपति प्रो. तारिक मंसूर मूलरूप से अलीगढ़ निवासी हैं। मैरिस रोड पर उनका आवास आज भी है। उनके पिता हफीजुर रहमान एएमयू में विधि विभाग के चेयरमैन और डीन रहे। पत्नी प्रो. हमीदा तारिक जेएन मेडिकल कालेज में हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा रामघाट रोड स्थित अवर लेडी फातिमा में हुई। इसके बाद एएमयू उच्च शिक्षा हासिल करते हुए मेडिकल की डिग्री भी हासिल की। यहां प्रोफेसर के रूप में मेडिकल कालेज में अध्यापन कार्य किया। गेम्स कमेटी के सचिव भी रहे। दो बार एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य रहे।
भाजपाइयों के रहे निशाने पर कुलपति
कैंपस में भाजपा सांसद सतीश गौतम व अन्य नेताओं के निशाने पर भी रहे। एएमयू में कोई बात होती थी, भाजपा नेता कुलपति को ही कोसते थे। अब स्थिति बदल जाएंगी। प्रो. मंसूर के एमएलसी बनने पर सांसद ने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।