UP News: बदल दी मरने की तारीख… मगर फिर भी न बच सके, पोस्टमार्टम रिपोर्ट दे रही गवाही
अलीगढ़ के जिला अस्पताल में एक अज्ञात व्यक्ति की मृत्यु के बाद शव को आठ दिनों तक मोर्चरी में रखा गया। अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को सूचना नहीं दी जिसके क ...और पढ़ें

मनीष तिवारी, अलीगढ़। शव बोलता नहीं है। यदि वह बोलता तो यकीनन कहता कि मेरे साथ ऐसा व्यवहार क्यों हो रहा है। एक अज्ञात व्यक्ति की मृत्यु के बाद अधिकारियों ने शव को अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया और भूल गए।
आठ दिन बाद याद आई तो अपनी करतूत छिपाने के लिए कागजों में मरने की तिथि ही बदल दी। परंतु पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने मौत का समय बयां कर दिया। मरने वाले की शिनाख्त हुई होती तो शायद शव के साथ अन्याय के लिए परिवार वाले भी न्याय मांग रहे होते।
जिला अस्पताल में करीब 50 वर्ष के व्यक्ति को बीमारी की हालत में 28 अप्रैल को भर्ती किया गया था। वार्ड चार के बेड नंबर दो पर उसे रखा गया था। हृदय संबंधी बीमारी थी। अस्पताल प्रशासन ने शव मोर्चरी में रखवा दिया, परंतु इसका मीमो पुलिस को देना भूल गए।
इसकी वजह से पुलिस शव की शिनाख्त का कार्य भी नहीं करा सकी। नियमानुसार 72 घंटे बाद पोस्टमार्टम हो जाना चाहिए था, लेकिन वह रुका रहा। लगभग एक सप्ताह बाद शव की याद आई तो, आनन-फानन में कार्रवाई आगे बढ़ाई गई।
सीएमओ ने जिला अस्पताल के इमरजेंसी प्रभारी रविंद्र शर्मा से स्पष्टीकरण मांगा। इसके बाद चुप्पी साधकर मरने की तारीख बदल दी गई। पुलिस ने जो पंचनामा भरा, उसमें मृत्यु की तिथि बदल कर दो मई रात 8:15 कर दी गई। शव को पोस्टमार्टम हाउस पर छह मई दोपहर दो बजे पहुंचाया।
मगर, मरने के बाद भी शव ने अपने साथ हुए जुल्म की गवाही दे दी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शव सात से आठ दिन पुराना सामने आया। इससे स्पष्ट माना जा रहा है कि व्यक्ति की मृत्यु 28 से 29 अप्रैल को ही हो गई थी।
एसएचओ पंकज मिश्रा का कहना है कि हमें जिला अस्पताल की ओर से मीमो प्राप्त हुआ, तब शव कब्जे में लिया गया। पंचनामा में अस्पताल स्टाफ ने जानकारी दी, वह लिखा गया। उसी के आधार पर पोस्टमार्टम की कार्रवाई आगे बढ़ाई गई।
सीएमओ डा. नीरज त्यागी का कहना है कि शव को लेकर लापरवाही की जानकारी मिली थी। इस पर जिम्मेदार से जवाब मांगा गया है। अपने रिकार्ड के लिए पंचनामा पुलिस भरवाती है। विभाग को कोई सूचना अभी नहीं दी गई है।
पुलिस और स्वास्थ्य विभाग आमने-सामने
मृत्यु से लेकर पोस्टमार्टम तक जो शव के साथ जो खेल हुआ, उस पर पर्दा डालने में जिला अस्पताल प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की भागीदारी है। इसमें उनसे सवाल पूछा गया तो सभी एक-दूसरे पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं।
पुलिस विभाग के अधिकारी जिला अस्पताल प्रशासन के बताए गए तथ्यों को पंचनामा में लिखने की बात कह रहे हैं। जिला अस्पताल के सीएमएस ने कॉल रिसीव नहीं की। मुख्य चिकित्सा अधिकारी पंचनामा में बदली तिथि पर पुलिस विभाग को जिम्मेदार बता रहे हैं।

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