Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Aligarh News: झोलाछाप के जाल में फंसकर खांसी-जुकाम में गटकी एंटीबायोटिक, अब पकड़ रहे हैं पेट

    By jayvir singhEdited By: Nirmal Pareek
    Updated: Wed, 18 Jan 2023 03:33 PM (IST)

    Aligarh News स्वर्ण जयंती नगर के वीके शर्मा (बदला नाम) को तीन दिन पूर्व सर्दी जुकाम व खांसी हुई। डाक्टर के पास जाने की बजाय एंटीबायोटिक व अन्य दवा खरीदकर खा ली। पहली खुराक ने ही पेट पकड़ लिया। बेचैनी व पेट में जलन बढ़ने पर चिकित्सक के पास पहुंचे।

    Hero Image
    झोलाछाप के जाल में फंसकर खांसी-जुकाम में गटकी एंटीबायोटिक, अब पकड़ रहे हैं पेट (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, अलीगढ़: स्वर्ण जयंती नगर के वीके शर्मा (बदला नाम) को तीन दिन पूर्व सर्दी, जुकाम व खांसी हुई। डाक्टर के पास जाने की बजाय एंटीबायोटिक व अन्य दवा खरीदकर खा ली। पहली खुराक ने ही पेट पकड़ लिया। बेचैनी व पेट में जलन बढ़ने पर चिकित्सक के पास पहुंचे। उन्हें समझाया गया कि उन्हें वायरल था, जिसमें एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं थी। एक विशेष प्रकार की एलर्जी से ग्रस्त होने के कारण एंटीबायोटिक ने नुकसान पहुंचाया है। वायरल के ऐसे काफी मरीज चिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    स्वयं न बनें बच्चों के डाक्टर

    मातृछाया क्लीनिक एंड नर्सिंग होम के बाल रोग विशेषज्ञ डा. लवनीश मोहन अग्रवाल ने बताया कि शिशुओं व अन्य छोटे बच्चों को बिना झिझक एंटीबायोटिक सिरप देना ठीक नहीं है। ये जाने बिना कि एंटीबायोटिक की जरूरत है भी या नहीं या कितनी मात्रा में और कौन सा एंटीबायोटिक लेना है। लोग एक बात समझ लें कि मौसमी वायरल में एंटीबायोटिक की कोई भूमिका नहीं होती है। यह बुखार या खांसी की दवा नहीं। अनावश्यक खाने से पेट में गैस, जलन, मितली, उल्टी, दस्त हो सकते हैं। बार-बार सेवन से एंटीबायोटिक काम करना बंद कर देती हैं। वायरल जनित मौसमी बीमारियां गुनगुना पानी व भपारा लेने से तीन से पांच दिन में खुद समाप्त हो जाती है। अधिक एंटीबायोटिक खिलाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है। वे बार-बार बीमार होने लगते हैं।

    सेहत से न करें खिलवाड़

    खैर रोड स्थित वृंदा हास्पिटल के फिजीशियन डा. अमित वार्ष्णेय ने बताया कि एंटीबायोटिक न तो एंटी वायरल दवा है और न एंटी पायरेटिक। वायरल जनित मौसमी बीमारियों के प्राथमिक उपचार में इनकी आवश्यकता नहीं होती है। बैक्टीरियल व अन्य संक्रमण के लक्षण दिखने पर ही चिकित्सक मरीज की आयु व लक्षण के आधार पर एंटीबायोटिक शुरू करते हैं। लोग पुराने पर्चे या स्वयं केमिस्ट से एंटीबायोटिक खरीदकर सेवन शुरू करने की आदत छोड़ दें। अपनी सेहत से खिलवाड़ न करें। एंटीबायोटिक के लिए सही मात्रा व सही समय का ध्यान रखना अति आवश्यक है। बुखार होने पर पैरासिटामोल के अलावा स्वयं कोई अन्य दवा न दें।

    झोलाछाप दे रहे एंटीबायोटिक इंजेक्शन

    मौसमी बीमारियां बढ़ते ही शहर से लेकर देहात तक झोलाछाप बढ़ जाते हैं। वे बच्चों को शीघ्र आराम के लिए एंटीबायोटिक इंजेक्शन (मेरोपेनम आइएम) लगा देते हैं, जो गलत है। एंटीबायोटिक के ज्यादा इस्तेमाल का नुकसान ये है कि अन्य बैक्टीरियल बीमारियों में एंटीबायोटिक काम नहीं करते। चिकित्सक से परामर्श लिए बिना न तो स्वयं एंटीबायोटिक खाएं और न किसी को खाने की सलाह दें। बीमार होने पर- गुनगुने पानी का सेवन करें, दो से तीन बार भपारा लें। गर्म पानी से नहाएं और धूप का सेवन करें। स्वयं से कोई दवा न खाएं, चिकित्सक के पास जाएं।