उर्वरक के कैशलेस व्यापार में अलीगढ़ सूबे में तीसरे नंबर पर
97.59 फीसद फर्में कर रहीं उर्वरक का कैशलेस व्यापार बुलंदशहर अव्वल

जासं, अलीगढ़ : अलीगढ़ में उर्वरक का कैशलेस व्यापार उपलब्धियों की सीढि़यां चढ़ रहा है। प्रदेश की ताजा रैंकिग में जिला तीसरे पायदान पर है। यहां 97.59 फीसद फर्में उर्वरक का कैशलेस व्यापार कर रही हैं, जबकि महीनाभर पहले सातवां स्थान था। प्रदेश के कई बड़े जिले अभी भी काफी पीछे हैं।
सरकार उर्वरक के कारोबार में आनलाइन ट्रांजेक्शन पर ज्यादा जोर दे रही है। इसकी वजह भी है। इस प्रणाली से जहां बचत होगी, वहीं खाद की कालाबाजारी पर बहुत हद तक अंकुश लग सकेगा। किसानों को तय मूल्य पर खाद मिलेगा, व्यापारियों पर भी विभागीय अधिकारियों की नजर रहेगी। जनपद के ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो कुल 1038 फार्मों में 1013 फर्में कैशलेस व्यापार कर रही हैं। इससे रैंकिग भी सुधरी है। बुधवार को जारी सूची के मुताबिक प्रदेश के 75 जिलों में अलीगढ़ तीसरे स्थान पर है, जबकि 12 जनवरी को जारी सूची में सातवां स्थान था। तब 44.50 फीसद फर्में कैशलेस व्यापार कर रही थीं। अफसरों की सतर्कता का ही परिणाम है कि उर्वरक की कैशलेस बिक्री में अलीगढ़ तीसरे पायदान पर खड़ा है। वहीं, छठे स्थान पर रहा पड़ोसी जिला आगरा अब नौंवे स्थान पर है। कानपुर, मेरठ, बरेली, इलाहाबाद जैसे बड़े जिले काफी पीछे हैं। कैशलेस व्यापार में बुलंदशहर पहले स्थान पर है, जो टापटेन में भी शामिल नहीं था। अलीगढ़ की इस उपलब्धि से कृषि अधिकारी उत्साहित हैं। हालांकि, उनका कहना है कि जिले को पहले स्थान पर लाया जाएगा। जिले में पीओएस (प्वाइंट आफ सेल) मशीन के जरिये उर्वरक की बिक्री को अनिवार्य कर दिया है। इससे किसानों को पक्की रसीद मिल सकेगी। ये जिले भी पिछड़े संयुक्त कृषि निदेशक उर्वरक द्वारा जारी सूची के मुताबिक लखनऊ 19वें पायदान से 11वें पर पहुंच चुका है। यहां 77.85 फार्में कैशलेश व्यापार कर रही हैं। कानपुर 64वें पायदान पर है। कुल 53.57 फर्में कैशलेस व्यापार कर रही हैं। इसी प्रकार बरेली 28, इलाहाबाद 26, मेरठ 31, गाजियाबाद 49, गोरखपुर 72वें पायदान पर है। वर्जन .. उर्वरक विक्रेताओं को कैशलेस व्यापार के लिए प्रेरित किया जा रहा है। क्यूआर कोड के बिना व्यापार करने पर उर्वरक की आपूर्ति बंद करने की हिदायत दी गई है। प्रत्येक व्यापारी को अपनी फर्म पर क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य होगा। विनोद कुमार सिंह, जिला कृषि अधिकारी
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