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    यूपी के इस जिले में तैयार होते हैं अग्नि-ब्रह्मोस और पृथ्वी मिसाइलों के कल-पुर्जे, ये कंपनी कर रही प्रोडक्शन

    Updated: Tue, 25 Nov 2025 02:00 AM (IST)

    अलीगढ़ डिफेंस कॉरिडोर में तैयार किए जा रहे महत्वपूर्ण पुर्जे भारत की घातक और उच्च मारक क्षमता वाली स्वदेशी मिसाइलों ब्रह्मोस, पृथ्वी और अग्नि में लगाए जा रहे हैं। ये छोटे लेकिन बेहद अहम पुर्जे मिसाइलों के संचालन के लिए आवश्यक हैं। इनके बिना मिसाइल का चलना तो दूर, फट    

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    गौरव दुबे, अलीगढ़। भारत की घातक व उच्च मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस, पृथ्वी और अग्नि स्वदेशी मिसाइलों में अलीगढ़ में बने पुर्जे लगाए जा रहे हैं। डिफेंस कारिडोर अलीगढ़ नोड में इन पुर्जों को तैयार किया जा रहा है। छोटे व बेहत अहम इन पुर्जों से ही मिसाइलें चलती हैं। इनके बिना मिसाइल का फटना तो दूर चलना भी संभव नहीं हो सकता है।

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    विश्वस्तर पर इन मिसाइलों से भारत की अपनी अलग पहचान व वर्चस्व है। भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय से करार के बाद दीप एक्सप्लो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी इनका निर्माण कर रही है। मिसाइल को आगे बढ़ाने के मुख्य इग्निशन सिस्टम, लग जैसे आवश्यक उपकरण की जरूरत होती है। इनको अलीगढ़ की फैक्ट्री में तैयार करके भेजा जा रहा है।

    ब्रह्मोस, पृथ्वी और अग्नि मिसाइलों की खूबी

    ब्रह्मोस, पृथ्वी और अग्नि मिसाइलों की खूबी के चलते भारत इनका निर्यात भी कर रहा है। इन मिसाइलों में फायर करने के लिए लगने वाला इनर बाडी होल्डर भी अलीगढ़ में ही तैयार किया जा रहा है। फिनिशिंग व गुणवत्ता में अगर बाल के बराबर भी खामी रह जाए तो पीस रिजेक्ट हो जाता है। इनकी खेप तेजी से रक्षा मंत्रालय के पास भेजी गई हैं। इन पुर्जों की अब तक 15 से 20 लाख की संख्या में आपूर्ति भी की जा चुकी है।

    वर्ष 2023 में भारत सरकार से दीप एक्सप्लो का करार हुआ था। दो वर्ष से इनको तैयार कर भेजा जा रहा है। कंपनी का दावा भी है कि भारत द्वारा किए गए आपरेशन सिंदूर में इन्हीं पुर्जों से लैस भारतीय मिसाइलों ने दुश्मनों पर कहर बरपाया था। मेक इन इंडिया मुहिम को धार देते हुए ये पुर्जे गुणवत्ता में इतने खरे हैं कि इनकाे दूसरे देश भी पसंद कर रहे हैं। पूर्व में दूसरी अन्य मिसाइलों में ऐसे उपकरणों को लगाने के लिए रूस, इजराइल जैसे देशों की ओर देखना पड़ता था। बारीक से लेकर छोटे-बड़े मिलाकर लगभग एक दर्जन पुर्जे तैयार किए जा रहे हैं।

    ऐसे समृद्ध होती इकोनामी

    रक्षा उत्पाद बनाने वाले विशेषज्ञों ने बताया कि इन उपकरणों की खरीद विदेशों से करने में मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। भारत की मोटी धनराशि विदेशों में चली जाती है। रक्षा क्षेत्र में भारत अब आयात की जगह निर्यात करने वाला देश बना है।

    अगर इन पुर्जों की उत्पादकता बढ़ाकर भारत दूसरे देशों को भरपूर निर्यात करना शुरू करे तो बड़े स्तर पर इकाेनामी मजबूत होने की राह प्रशस्त हो सकती है। मिसाइलों को सक्रिय करने और सही समय पर विस्फोट करने की सीटकता बढ़ाने में ये पुर्जे बेमिसाल हैं। दोनों ही प्रकार के पुर्जे अलीगढ़ में तैयार किए जा रहे हैं।

    खैर तहसील के अंडला गांव में सौ हेक्टेयर जमीन पर डिफेंस कारिडोर स्थापित है। इसकी नींव 14 सितंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रखी थी। यहां 25 निवेशकों को भूखंड आवंटित किए जा चुके हैं। दीप एक्सप्लो सहित पांच इकाइयों में रक्षा उत्पाद बनने भी शुरू हो गए हैं।

    एलेन एंड एलवन कंपनी में ड्रोन व एंटी ड्रोन सिस्टम, एमिटेक कंपनी में सेटेलाइट सुरक्षा उपकरण, वेरविन कंपनी में पिस्टल व कारतूस तैयार किए जा रहे हैं। नित्या क्रिएशन इंडिया कंपनी में राइफल के उपकरण, रग्ड लैपटाप व अन्य निगरानी उपकरण आदि काे तैयार किया जाता है।



    विभिन्न पृथ्वी, ब्रह्मोस व अग्नि मिसाइलों के एक्टिवेशन (सक्रियता) व एक्सप्लोजन (विस्फोट) में सहायक पुर्जे तैयार कर सरकार को आपूर्ति दी गई है। पुर्जे बनाने का करार डिफेंस कारिडोर के तहत भारत सरकार से हुआ है। अभी और आर्डर पूरे किए जा रहे हैं। -तरुण सक्सेना, निदेशक, दीप एक्सप्लो, प्राइवेट लिमिटेड