वंचित जाति के 3500 विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति फंसी... समाज कल्याण विभाग ने बिना सत्यापन निरस्त कर दिए आवेदन
अलीगढ़ के राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों के लगभग 3500 दलित छात्र छात्रवृत्ति से वंचित हैं क्योंकि समाज कल्याण विभाग ने बिना सत्यापन उनके आवेदन रद्द कर दिए। बसपा प्रमुख मायावती ने इस मामले में समाज कल्याण विभाग की असंवेदनशीलता पर सवाल उठाए हैं और सरकार से कार्रवाई की मांग की है। तकनीकी खराबी के कारण छात्रों के आवेदन रद्द हुए थे।

जागरण संवाददाता, अलीगढ़। राजा महेंद्र प्रताप सिंह सिंह विश्वविद्यालय संबंध महाविद्यालयों में अनुसूचित जाति के लगभग 3500 विद्यार्थियों को अभी तक छात्रवृत्ति नहीं मिल पाई है। आरोप है कि आवेदन पत्र सही होने के बावजूद बिना सत्यापन के ही निरस्त कर दिए गए। विद्यार्थी समाज कल्याण विभाग व विविवि डीएम व मंडलायुक्त कार्यालय तक के चक्कर काट रहे हैं, फिर भी समाधान नहीं हुआ।
प्रकरण संज्ञान में आने पर रविवार को पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने अपने एक्स हेंडल पर पोस्ट किया। इसमें समाज कल्याण विभाग पर असंवेदनशीलता व लापरवाही बरतने का आरोेप लगाया। सरकार से कार्रवाई की अपेक्षा की है।
समाज कल्याण विभाग की ओर से छात्रवृत्ति के लिए जनवरी-फरवरी में छात्रवृत्ति के लिए आवेदन मांगे गए। समस्त महाविद्यालय के सामान्य, ओबीसी व एससी-एसटी वर्ग के छात्र-छात्राओं ने आवेदन किए। तृतीय चरण के अंतर्गत आवेदन की तिथि 30 अप्रैल निर्धारित थी, मगर उस समय तकनीकी त्रुटिवस पोर्टल पर अनुसूचित जाति के लगभग 3500 छात्र-छात्राओं का सत्यापन न हो पाया। इससे अंतिम तिथि को उनके आवेदन निरस्त कर दिए गए, जिससे वे छात्रवृत्ति से वंचित हो गए।
कई बार धरना-प्रदर्शन, अधिकारियों के पत्र पर नहीं खुल सका पोर्टल
विद्यार्थी पुन: पोर्टल खोले जाने की मांग उठा रहे थे, क्योंकि आवेदन विभागीय गलती से निरस्त हुए। सुनवाई न होने पर 16 जून को एबीवीपी ने डीएम दफ्तर में खासा हंगामा किया। विश्वविद्यालय में भी दो बार कुलपति का घेराव किया गया। छात्रों ने अलीगढ़-टप्पल मार्ग को जाम तक कर दिया। विद्यार्थियों का आरोप था कि अनुसूचित जाति के आवेदन जानबूझकर निरस्त किए गए, जिसके कारण किसी भी स्तर से उन्हें न्याय नहीं मिल पर रहा।
कुलपति व मंडलायुक्त के पत्र पर भी नहीं खुला पोर्टल
समाज कल्याण विभाग शुरू से ही इस प्रकरण के प्रति उदासीन रहा। 12 जून को कुलपति व 16 जून को मंडलायुक्त ने निदेशक (समाज कल्याण) को लिखे पत्र में स्पष्ट किया कि पोर्टल में तकनीकि त्रुटि के कारण सत्यापन नहीं हो पाया है। छात्रहित में पोर्टल खोलने या अन्य आवश्यक कार्रवाई आवश्यक है। कुलपति व मंडलायुक्त के पत्र को भी समाज कल्याण विभाग ने तवज्जों नहीं दी। इससे छात्रों का आक्रोष फिर बढ़ता जा रहा है। अब राजनीतिक व सामाजिक संगठन भी उनके पक्ष में लामबंद होने लगे हैं।
मायावती ने कहा, समाज कल्याण विभाग असंवेदनशील व लापरवाह
बसपा नेता रतनदीप ने पिछले दिनों अनुसूचित जाति के बच्चों को छात्रवृत्ति से वंचित करने के प्रकरण से मायावती को अवगत कराया था। रविवार को मायावती ने एक्स पर पोस्ट की। उन्हें लिखा-छात्रवृत्ति का सरकारी स्तर पर समय से निपटारा न होने से छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटकने का खतरा है।
विश्वविद्यालय व प्रशासन की ओर से बार-बार पत्राचार के बावजूद लखनऊ स्थित समाज कल्याण विभाग के स्तर पर असंवेदनशीलता व लापरवाही बरती जा रही है, जिससे लगभग 3500 दलित छात्र-छात्राओं के शिक्षण जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। मायावती ने आगे लिखा है कि मुख्यमंत्री के विशेष प्रयास से ही अलीगढ़ का उक्त विश्वविद्यालय स्थापित हुआ है, वे इसके सुचारू संचालन से लेकर दलित छात्र-छात्राओं की इस गंभीर समस्या का समाधान तत्काल जरूर निकालेंगे, ऐसी उम्मीद है।
मैंने कई बार निदेशक (समाज कल्याण) को पत्र लिखकर छात्रों की समस्या से अवगत कराया। छात्रवृत्ति आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन होती है, जिसमें विश्वविद्यालय की कोई भूमिका नहीं रहती - प्रो. एनबी सिंह, कुलपति
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