अलीगढ़ में पुलिस की फर्जी रिपोर्ट बनाने वाले मामले में अंतिम रिपोर्ट को चुनौती, होगी दोबारा विवेचना
अलीगढ़ में जमीन विवाद में कारोबारी को फंसाने के लिए पुलिस की फर्जी रिपोर्ट बनाने के मामले में न्यायालय ने पुन: विवेचना के आदेश दिए हैं। पीड़ित पक्ष ने विवेचक की अंतिम रिपोर्ट को चुनौती दी थी, जिसके बाद न्यायालय ने इसे गंभीरता से लिया। पूर्व में आरटीआई से पता चला था कि पुलिस ने ऐसी कोई रिपोर्ट पेश नहीं की थी, जिसके बाद फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था।

जागरण संवाददाता, अलीगढ़। जमीन विवाद में कारोबारी को फंसाने के लिए पुलिस की फर्जी रिपोर्ट तैयार कर न्यायालय को गुमराह किए जाने के मामले ने फिर पुलिस अधिकारियों में खलबली मचा दी है। मामले में विवेचक द्वारा अंतिम रिपोर्ट लगा दी गई तो पीड़ित पक्ष ने न्यायालय की शरण लेकर विवेचना पर सवाल उठा दिया। मामले को न्यायालय ने गंभीरता से लेते हुए सीओ को फिर दूसरे थाने से विवेचना कराने के आदेश दिए हैं।
गांधी पार्क के मामूभांजा मोहल्ला निवासी सीमेंट और स्टील के कारोबारी हरिशंकर मित्तल व सिविल लाइन के मैरिस रोड हरिभीम नगर निवासी पत्थर कारोबारी राजकुमार गोयल की फर्म रामघाट रोड पर क्वार्सी चौराहे के निकट है। दोनों फर्मों के बीच कुछ जमीन को लेकर विवाद है।
राजकुमार गोयल के प्रार्थना पत्र के अनुसार, पुलिस की 11 मार्च की आख्या के आधार पर न्यायालय ने 18 मार्च को हरिशंकर मित्तल के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत करने का आदेश जारी कर दिया। यह जानकारी जब हरिशंकर मित्तल को हुई तो उन्हें शंका हुई।
उन्होंने 29 मार्च को रिपोर्ट से संबंधित जानकारी जन सूचना अधिकार के तहत पुलिस से मांग ली। जो जानकारी उन्हें मिली उसने पुलिस अधिकारियों तक में खलबली मचा दी। जवाब में पुलिस द्वारा न्यायालय में ऐसी कोई भी रिपोर्ट पेश नहीं किए जाने का हवाला था।
मामला संगीन होने के चलते तत्कालीन एसएसपी संजीव सुमन ने सीओ तृतीय अभय पांडेय से जांच करने को निर्देशित किया। जांच हुई तो सामने आया कि मामला कूटरचित तरीके से रिपोर्ट तैयार करने का है। सीओ की रिपोर्ट में बताया गया कि राजकुमार ने भाई योगेश गोयल व पत्नी वर्षा गोयल के साथ मिलकर फर्जी मुहर व फर्जी रिपोर्ट तैयार की।
प्रापर्टी विवाद के चलते दबाव बनाने व अनुचित लाभ पाने के लिए उस रिपोर्ट को न्यायालय में पेश किया। इस मामले में फर्जीवाड़ा करने के तीनों आरोपितों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया गया। इसके बाद क्वार्सी थाने से विवेचना हुई और विवेचक ने साक्ष्यों का अभाव दिखाते हुए अंतिम रिपोर्ट लगा दी।
इस एफआर के विरुद्ध हरिशंकर मित्तल ने न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी। न्यायालय ने हर पहलुओं व बिंदुओं को जांचने के बाद विवेचक की एक जुलाई को जारी अंतिम रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया। सीओ तृतीय को आदेश किया कि वह दूसरे थाने से इसकी विवेचना कराएं।
मामला संज्ञान में है। न्यायालय ने पुन: विवेचना का आदेश दिया है। न्यायालय के आदेशानुसार विवेचना कराई जाएगी।
सर्वम सिंह, सीओ तृतीय

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