खिलाड़ियों को दिखाने होंगे अब जैविक आयु प्रमाण पत्र, नियमों के फंडे में नहीं मिल रहे प्रतिभागी
Admission in Sports Colleges केंद्र सरकार ने युवाओं के लिए फिट इंडिया व खेलो इंडिया जैसी मुहिम तो चला रखी हैं। युवा इसमें आगे भी बढ़ रहे हैं। मगर कुछ पेचीदे नियम-कानून के बंधन में पड़कर जरूरतमंद खिलाड़ी सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से दूर रह जाते हैं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता: कभी जागरूकता की कमी तो कभी पेचीदे नियमों के फंडे युवाओं के आड़े आ ही जाते हैं। विशषज्ञ व जानकार नए व कड़े नियमों को युवाओं की शिथिलता का मुख्य कारण भी मान रहे हैं।
केंद्र सरकार ने युवाओं के लिए फिट इंडिया व खेलो इंडिया जैसी मुहिम तो चला रखी हैं। युवा इसमें आगे भी बढ़ रहे हैं। मगर कुछ पेचीदे नियम-कानून के बंधन में पड़कर जरूरतमंद खिलाड़ी सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से दूर रह जाते हैं। क्योंकि समाचार पत्रों के माध्यम से खिलाड़ियों को योजना के बारे में जानकारी तो करा दी गई लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि नियमों को पूरा करने में अक्षम होने के नाते युवा कदम योजना का लाभ लेने के लिए आगे नहीं आ सके।
इसका ज्वलंत प्रमाण 11 व 12 जुलाई को जिले में देखने को मिला। जिला पीटीआइ सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि 15 वर्ष से कम आयु के खिलाड़ियों के लिए आवासीय छात्रावास में प्रवेश के लिए जिला व मंडलस्तर पर ट्रायल का आयोजन किया गया। 11 जुलाई को जिलास्तरीय व 12 जुलाई को मंडलस्तरीय ट्रायल का आयोजन स्पोर्ट्स स्टेडियम में रखा गया।
पहले दिन जिले और दूसरे दिन मंडल से खिलाड़ियों को ट्रायल में शामिल होना था। मगर दोनों ही दिन एक भी खिलाड़ी ट्रायल के लिए उपलब्ध नहीं हुआ। बताया कि वे दोनों दिन स्टेडियम में ट्रायल के लिए मौजूद रहे लेकिन खिलाड़ियों के न आने से कोई ट्रायल नहीं लिया जा सका।
क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी रानी प्रकाश ने बताया राज्यस्तरीय कंबाइंड अंतिम चयन परीक्षा लखनऊ के स्टेडियम में 14 व 15 जुलाई को सुबह सात बजे से होनी है। इसमें शामिल होने के लिए ट्रायल रखे गए थे।
बालिका वर्ग में टेबल टेनिस, बास्केटबाल, तीरंदाजी व बालक वर्ग में कबड्डी खेल में ट्रायल होने थे। इनमें सफल होने वाले खिलाड़ी लखनऊ में परीक्षा देने जाते। सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि इस सब प्रक्रिया के बीच खिलाड़ियों को आधार कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र आदि पेश करने की औपचारिकताएं पूरी करनी थीं। यहां तक तो ठीक है लेकिन आवेदक को जैविक प्रमाणपत्र भी पेश करना था। यह प्रमाणपत्र चिकित्सालय में ब्लड टेस्ट के जरिए रिपोर्ट आने के बाद बनता है।
एक तरह से इसको बोनमेरो टेस्ट यानी हड्डी के परीक्षण के बाद सटीक उम्र का पता लगाना, कहा जाता है। इस प्रमाणपत्र के तैयार होने में कम से कम तीन दिन का समय भी लगता है। साथ ही ये थोड़ी खर्चीली प्रक्रिया भी है। संभावना जताई कि हो सकता है कि इस कड़े नियम के चलते भी कोई खिलाड़ी ट्रायल के लिए न आया हो।
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