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अलीगढ़ के जन औषधि केंद्र परियोजना में घोटाला, मरीजों को नहीं मिल रही छूट

गरीबों को बाजार से 90 फीसद तक सस्ती जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए शुरू हुई जनऔषधि केंद्र परियोजना में लाखों रुपये का घोटाला सामने आया है।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Sat, 02 Mar 2019 02:13 PM (IST)Updated: Sat, 02 Mar 2019 02:13 PM (IST)
अलीगढ़ के जन औषधि केंद्र परियोजना में घोटाला, मरीजों को नहीं मिल रही छूट
अलीगढ़ के जन औषधि केंद्र परियोजना में घोटाला, मरीजों को नहीं मिल रही छूट

अलीगढ़ (विनोद भारती)। गरीबों को बाजार से 90 फीसद तक सस्ती जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए शुरू हुई जनऔषधि केंद्र परियोजना में लाखों रुपये का घोटाला सामने आया है। सरकारी अस्पतालों में खुले केंद्रों पर मरीजों को प्रिंट रेट पर 10.2 फीसद तक छूट देनी थी, संचालक इसे खुद ही हड़प गए। मरीजों से पूरा पैसा वसूला गया। अफसरों को भनक तक नहीं लगी। सीएमओ ने केंद्रों के खुद के अधीन न होने की बात कही है। औषधि विभाग को इस छूट के बारे में मालूम तक नहीं था। शिकायत होने पर विभाग ने जांच शुरू  की।

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जुलाई-2015 में हुई थी शुरूआत

एक जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना शुरू हुई। सïर्वप्रथम सार्वजनिक स्थलों पर जनऔषधि केंद्र खोले गए, जिनकी संख्या नौ हो गई है। 15 जुलाई 2018 को जिला अस्पताल, दीनदयाल अस्पताल में केंद्र खुले। फिर महिला अस्पताल व सीएचसी अतरौली में केंद्र शुरू हुए।

मरीजों को देनी थीं सस्ती दवाएं

योजना का मकसद मरीजों को सस्ती जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराना है। प्राइवेट वेंडरों से अनुबंध कर केंद्र खोले गए। अनुबंध में साफ है कि संचालकों को प्रिंट रेट पर 10.2 फीसद छूट देनी होगी। यह शर्त स्वीकार करने पर ही लाइसेंस दिए गए।

लाखों रुपये की हेराफेरी

सरकारी अस्पतालों में केंद्रों को खुले करीब आठ माह बीत गए। संचालकों ने किसी मरीज को छूट नहीं दी। बिल भी एमआरपी पर बनाए गए। इस तरह सरकारी अस्पतालों में ही लाखों रुपये का घोटाला हो चुका है। मरीजों के आपत्ति जताने पर भी सुनवाई नहीं।

मरीजों को नहीं मिल रही छूट

आरटीआइ कार्यकर्ता अविनाश कुमार का कहना है कि जेनरिक दवाओं पर मरीजों को छूट नहीं मिल रही। जनऔषधि केंद्र लाखों का घोटाला कर चुके हैं। मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री से शिकायत की जाएगी।

संचालक कर रहे बेईमानी

क्वार्सी के मुकेश कुमार बताते हैं कि जिला अस्पताल व महिला अस्पताल से कई बार दवाएं खरीदीं, मगर एमआरपी पर कभी छूट नहीं दी गई। यह संचालकों की बेईमानी है।

मेरा कोई मतलब नहीं

सीएमओ डॉ.एमएल अग्रवाल का कहना है कि जन औषधि केंद्र ड्रग इंस्पेक्टर के अधीन आते हैं। केंद्र पर नियमानुसार जेनरिक दवाएं मिलें, यह उन्हीं की जिम्मेदारी है। मेरा कोई मतलब नहीं है।

सोमवार से करूंगा जांच

औषधि निरीक्षक हेमेंद्र चौधरी का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में खुले जन औषधि केंद्रों में प्रिंट रेट पर छूट देय है। यह 10 फीसद है या अधिक, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। सरकारी अस्पताल व बाहर खुले केंद्रों पर अलग-अलग छूट मिलती है। दिल्ली व नोएडा से सूची मांगी है। सोमवार से जांच शुरू करूंगा।


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