NSG कमांडो की हत्या के आरोप में 7 लोगों को आजीवन कारावास, 12 साल पहले दिया था वारदात को अंजाम
गोंडा जिले के मुरबार गांव में 12 वर्ष पूर्व बोर्ड परीक्षा के दौरान नकल रोकने के विवाद में एनएसजी कमांडो तेजवीर की हत्या के मामले में एडीजे-4 रवीश कु ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, अलीगढ़। बोर्ड परीक्षा में नकल को लेकर हुए विवाद में गौंडा क्षेत्र के मुरबार में 12 साल पहले एनएसजी कमांडो तेजवीर की हत्या के सात दोषियों को एडीजे चार रवीश कुमार अत्री की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
एक आरोपित की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी। एक को आम्र्स एक्ट में तीन साल की सजा सुनाई है। घटना में घायल हुए एक अन्य की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी। न्यायालय ने दोषियों पर 35-35 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
एनएसजी कमांडो से हुआ था झगड़ा
इस मामले की रिपोर्ट मुरबार के श्यामवीर ने दर्ज कराई थी। कहा था कि 12 जनवरी 2013 को शाम की शिफ्ट में परीक्षा चल रही थी। इंटर कालेज में पड़ौसी गांव रजावल निवासी रामप्रकाश प्रधान का लड़का पपीस भी परीक्षा दे रहा था। शाम के करीब 4:30 बजे परीक्षा के समय नकल को लेकर राम प्रकाश प्रधान का वादी के गांव के कुलदीप व भाई दिल्ली में एनएसजी कमांडो तेजवीर से झगड़ा हो गया था।
राम प्रकाश प्रधान ने फोन कर अपने गांव से अपने लड़के सोनू व बंटू उर्फ कोमल, को लाइसेंसी राइफल व तमंचे लेकर बुला लिया। शाम के करीब 5:30 बजे परीक्षा छूटने के बाद राम प्रकाश प्रधान, सोनू व पपीस, बंटू उर्फ कोमल व मुरबार का देवेन्द्र अपने हाथों में राइफल व तमंचे लेकर स्कूल के गेट के सामने आ गए। आते ही गाली देते हुए कहने लगे कि अब बताओ कौन नकल कराने से रोकता है।
रामप्रकाश पर राइफल व बाकी लोगों पर तमंचे थे। तेजवीर व कुलदीप ने गाली देने से मना किया तो सभी व्यक्तियों ने अपने-अपने हाथों में लिए हथियारों से जान से मारने की नियत से फायरिंग शुरु कर दी। तेजवीर व कुलदीप गोली लगने से घायल हेा गए। उन्हें जेएन मेडिकल कालेज ले जाया गया, जहां तेजवीर की मृत्यु हो गई। स्वजन की शिकायत व जांच के बाद रजावल निवासी हरिओम, राजेंद्र, मुरवार निवासी गुड्डू, राजकुमार व गांव कैमथल निवासी मानवेंद्र उर्फ माना के नाम मुकदमे में बढ़ाए गए।
एडीजीसी सुधांशु अग्रवाल के अनुसार पुलिस ने सभी के खिलाफ चार्जशीट लगाई। सत्र परीक्षण के दौरान रामप्रकाश की मृत्यु हो गई। सत्र परीक्षण के आधार पर सोनू, कोमल, हरिओम, राजेंद्र, देवेंद्र, गुड्डू व राजकुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। सोनू व कोमल पर आर्म्स एक्ट में पांच हजार का अतिरिक्त जुर्माना लगाया है। वहीं, मानवेंद्र को आयुध अधिनियम में दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई है। सुनवाई के दौरान गोली से घायल हुए कुलदीप की भी मृत्यु हो गई।
सजा पर जताई संतुष्टि
फैसले पर वादी श्यामवीर ने संतुष्टि जताते हुए कहा कि न्यायालय पर पूरा भरोसा था। लंबे समय बाद न्याय मिला है। तेजवीर सिंह दिल्ली सरकार में एनएसजी कमांडो के पद पर तैनात थे। हत्या के बाद उनकी पत्नी को नौकरी मिल गई, जो अब लखनऊ में है।
चश्मदीद की गवाही रही महत्वपूर्ण
एडीजीसी सुधांशु अग्रवाल के अनुसार कोर्ट में कुल 13 गवाह प्रस्तुत किए गए थे। हत्याकांड के चश्मदीद श्यामवीर थे। उनकी गवाही ही महत्वपूर्ण रही। इसके अलावा फोरेंसिक रिपोर्ट, अभियुक्तों से बरामद असलाहों, मेडिकल रिपोर्ट भी सात लोगों को उम्रकैद का आधार बनी।

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