Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गभाना राजघराने के कुंवर रविराज सिंह का निधन

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 31 Jul 2017 12:24 AM (IST)

    अलीगढ़ : गभाना राजघराने की सीनियर स्टेट के कुंवर रविराज सिंह का शनिवार की रात निधन हो गया है। वे वे

    गभाना राजघराने के कुंवर रविराज सिंह का निधन

    अलीगढ़ : गभाना राजघराने की सीनियर स्टेट के कुंवर रविराज सिंह का शनिवार की रात निधन हो गया है। वे वे 65 वर्ष के थे। कैंसर से पीड़ित होने के चलते कई दिनों से तबीयत सही नहीं थी। निधन की सूचना के बाद से ही महल पर लोगों की भीड़ लग गई। साथ ही कस्बे में शोक की लहर दौड़ गई।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    श्रद्धांजलि देने के लिए सुबह महल पर लोगों संख्या बढ़ गई। शोक में बाजार बंद रहा। महल में कुंवरानी अंबिका राज सिंह, भतीजे कुंवर अभिमन्यु, राज सिंह सहित पूरा राजपरिवार बेहाल था। दोपहर राजमहल परिवार के श्मशान स्थल पर अंतिम संस्कार किया गया। उनके इकलौते पुत्र संग्राम सिंह विदेश में होने के कारण मुखाग्नि उनके छोटे भाई कुंवर विजयराज सिंह ने दी। उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में लोग श्मशान स्थल पहुंचे। इनमें बरौली विधायक ठा. दलवीर सिंह, राजा वीरपुरा कुंवर राकेश कुमार सिंह, कुंवर उमेश कुमार, कुंवर आनन्द वर्धन सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता बुधपाल सिंह, राजा बरौली मधुसूदन सिंह, अनिल सारस्वत, श्याम बाबू शर्मा, नीरज गुप्ता, रजीत सिंह, देवकी नन्दन पाण्डे, रवेन्द्रपाल सिंह आदि शामिल थे।

    ------------

    पिता विधायक व मां सांसद रहीं

    अलीगढ़ जिले में गभाना राजघराने की अलग पहचान रही। दिवंगत कुंवर रविराज सिंह के बाबा कुंवर लक्ष्मी राज सिंह जिले के पहले जिला पंचायत अध्यक्ष रहे थे, जबकि उनके पिता कुंवर चैतन्यराज सिंह बरौली से विधायक व माता कुंवरानी इंद्रा कुमारी अलीगढ़ संसदीय क्षेत्र से सांसद रह चुकी हैं।

    ----------------

    राजघराने का अलग है श्मशान घाट

    राजघराने का कॉलेज रोड पर लगभग बीस एकड़ में चार दीवारी से कैद पक्के बाग में श्मशान स्थल है। जब भी राजघराने में किसी भी सदस्य का देहांत होता है तो उनका अंतिम संस्कार यही कराया जाता है। श्मशान स्थल पर कई स्मारक (समाधी) बने हुए हैं, जहां समय समय राजघराने से जुड़े लोग विशेष अवसरों पर पहुंचकर उनकी पूजा अर्चना और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

    -----------------

    राजघराने का इतिहास

    करीब दो सौ साल पहले राजस्थान के करौली जिले से चंद्रवंशी राजवंश से जयराम सिंह ने यहां आकर अपना ठिकाना बनाया। इसके बाद इन्होंने धीरे-धीरे गभाना, सोमना व वीरपुरा में अपनी रियासत स्थापित की। जयराम सिंह के तीन बेटे थे, जिसमें चंदन सिंह को गभाना, हीरा सिंह को सोमना और बलवंत सिंह को वीरपुरा की रियासत सौंपी गई। गभाना की रियासत मिलने के बाद चंदन सिंह ने 1860 में गभाना किले का निर्माण कराया। चंदन सिंह के कोई संतान न होने पर हीरा सिंह के बेटे लेखराज सिंह को गोद लेकर उन्हें गभाना का राजपाठ दिया। इनके बाद सत्ता इनके बेटे मेघराज सिंह के हाथों आ गई फिर मेघराज सिंह से लक्ष्मीराज सिंह व देवराज सिंह तथा उनके बाद चैत्यन्यराज सिंह को बागडोर मिली उनसे रविराज सिंह व विजयराज सिंह को राजघराने का उत्तरदायित्व मिला था।