सूखे से पीला हुआ चारा पशुओं को न खिलाएं
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : बारिश के मौसम में कीचड़ व गंदगी से इंसान ही नहीं, पशु भी परेशान रहते हैं। ब
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : बारिश के मौसम में कीचड़ व गंदगी से इंसान ही नहीं, पशु भी परेशान रहते हैं। बीमारियों व खान-पान की सही जानकारी न होने पर कभी-कभी पशुओं की मौत तक हो जाती है। बारिश में पशुओं को क्या खिलाएं? बीमारियों से उन्हें कैसे बचाएं? बुधवार को 'हैलो जागरण' में उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (डिप्टी सीवीओ) डॉ. केजी सिंह इसी पर सलाह दी।
सूखा पीला चारा घर पर है, क्या पीली पत्तियां पशुओं को खिला सकते हैं?
- सुभाष, पिसावा।
अगर सूखे के कारण चारा पीला पड़ गया है। तो उसे पशुओं को बिल्कुल न खिलाएं। सूखे से चारा कभी-कभी जहरीला हो जाता है। अगर ऊपर-ऊपर पीलापन आया है और पानी देने से फिर चारा हरा भरा हो गया हो तो वो दे सकते हैं।
पशुओं गलाघोंटू बीमारी के क्या लक्षण हैं? कब यह बीमारी ज्यादा घातक होती है?
- लव उपाध्याय, परीक।
इस बीमारी की शुरुआत तेज बुखार से होती है। इसमें पशु को 106 डिग्री तक बुखार हो जाता है। आंखों से आंसू, मुंह से लार टपकती है। आंखें लाल हो जाती हैं। गले में सूजन जैसे लक्षण होते हैं। गले में सूजन से पहले तक रोग आसान से ठीक हो जाता है। गले में सूजन आने पर स्थिति गंभीर हो जाती है। पशु के जीवन पर खतरा बढ़ जाता है। शुरुआती लक्षणों को देखकर ही चिकित्सक से परामर्श ले लेना चाहिए।
भैंस को खुर के पास जोड़ में सूजन है। वह गर्भ धारण भी नहीं कर रही है।
- सूरजपाल, टप्पल।
चिकित्सकीय परामर्श कर दर्द निवारक इंजेक्शन लगवाएं। सूजन पर गरम पानी में कपड़ा भिगोकर रखे, फिर उसे निचोड़कर उससे सेकें। गर्भधारण के लिए मिनरल मिक्चर रोजाना 25 से 50 ग्राम भैंस को दें। शरीर में पोषक तत्वों व खनिज लवणों की कमी होगी तो भैंस समय पर गर्भधारण करेगी।
भैंस को खुरपका हो गया है। टीके नहीं लगाए हैं, क्या करना चाहिए?
- वेदवीर सिंह, जट्टारी।
मार्च-अप्रैल में सरकारी स्तर पर टीकाकरण होता है। तब टीकाकरण कराना चाहिए था। भैंस के खुरपका के लक्षण नहीं है। खुरपका की शुरुआत मुंहपका से होती है। खुर में समस्या ज्यादा कीचड़ में रहने के कारण हो जाती है। खुर के बीच चमड़ी गल जाती है। पशु को सूखे में रखें। खुर में फिनायल व तेल लगाए।
पागल कुत्ते के काटने से पड़िया मर गई। उसने भैंस का दूध भी पिया। क्या दूध में भी संक्रमित होगा?
- राहुल, अलीगढ़।
जब भैंस के बच्चे (पड़िया) को कुत्ते ने काटा था तो उसे टीका लगवाना चाहिए था, वो बच जाती। पड़िया ने दूध पिया है, इसलिए भैंस को टीका लगवा दें। दूध में संक्रमण का असर नहीं होगा। फिर भी भैंस का कच्चा दूध पीने से परहेज करें। दूध को अच्छी तरह उबालकर ही पिएं। भैंस को टीका लगवाएं।
बैल एक पैर से लंगड़ा हो गया है। कोई चोट या सूजन नहीं है।
- रामगोपाल यादव, शिवपुरी।
सूजन व चोट नहीं है तो वो लंगड़ा नहीं हुआ है। कभी ऊंचे-नीचे पर पैर पड़ने से भी मोच आ जाती है, खिंचाव होता है। गरम पानी में सेंधा नमक डालें। उसमें कपड़ा भिगोकर निचोड़ें और ऊपर से नीचे तक सेकें। दर्द निवारक इंजेक्शन मेलोनेक्स 15 एमएल लगवा सकते हैं, लेकिन चिकित्सकीय परामर्श के बाद ही।
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इन्होंने भी लिया परामर्श
अलीगढ़ से रामदूत, मलखान चौधरी, विश्वकर्मा यादव, राहुल, रंजीत कुमार, नवीन कुमार, धौर्रा से आसिफ, मुरबार से भगवान सिंह, इगलास से धर्मवीर, चांद मोहम्मद, शकील अंसारी, टप्पल से विनोद खुराना, महेश कुमार, जयगंज से अविनाश, पिसावा से बॉबी, अब्दुल व हरजीत सिंह आदि।
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गलाघोंटू में सोडा लाभकारी
पशुओं को गलाघोंटू बीमारी से बचाने में खाने वाला सोडा मददगार साबित होता है। डॉ. केजी सिंह ने बताया कि सूखे का चारा खाने से पशुओं में बीमारी होती है। 100 ग्राम सोडा पानी में मिलाकर पशु को पिलाने से काफी आराम मिलता है।
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कब कराएं टीकाकरण
पशुओं को खुरपका-मुंहपका से बचाने के लिए नियमित वैक्सीन लगाने अनिवार्य हैं। खुरपका-मुंहपका से पशु को बचाने के लिए साल में दो बार टीके लगवाने चाहिए। टीकाकरण के बीच में छह माह का अंतराल होना चाहिए। गलाघोंटू से बचाने के लिए पशुओं को साल में एक बार टीका जरूर लगवाएं। टीका बरसात के पहले लगवाया जाए तो बेहतर रहता है।
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