इंसानियत का कत्ल करने वाले मुसलमान नहीं
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जागरण संवादाता, अलीगढ़ : इराक में जारी हिंसा के विरोध में रविवार को शिया व सुन्नी समुदाय के लोगों ने एकजुट होकर आवाज बुलंद की। कहा कि इराक में बेगुनाहों का खून बहाने वाले मुसलमान नहीं बल्कि मुसलमानों के वेश में इस्लाम के दुश्मन हैं। ऐसे लोगों को कभी माफ नहीं किया जा सकता।
सिविल लाइन इलाके के जोहराबाग से निकाले गए इस मार्च में बड़ी संख्या में महिला व बच्चे भी शामिल हुए। हाथ में तख्ती लिए ये लोग संदेश दे रहे थे कि शिया व सुन्नी आपस में दुश्मन नहीं हो सकते हैं। इन्हें अमेरिका जैसी कुछ ताकतें आपस में लड़वाती हैं। जुलूस से पहले अमन व इंसानियत के लिए की गई दुआ में मुसलमान ही नहीं बड़ी संख्या में हिंदू भी शामिल हुए। जुलूस दोदपुर, एएमयू सर्किल होते हुए कलक्ट्रेट पहुंचा। जहां जामा मस्जिद के मौलाना मोहम्मद शाहगिल ने कहा कि इराक में दहशतगर्दो के हमले का मतलब इस्लाम की निशानियों को मिटाना है। शिया समुदाय के मो. जाहिद लखनवी ने कहा कि हमारी आवाज इंसाफ के लिए है। आतंकवाद कहीं भी हो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सुन्नी समुदाय के जाहिद मुफ्ती ने कहा इराक में जो हो रहा है, वह बीस साल पहले अमेरिका द्वारा बोया बीज है। अमेरिका चाहता है कि शिया, सुन्नी व कुर्द आपस में बंट जाएं। कहा कि हम महात्मा गांधी के देश में रहते है, गांधी जी ने हमेशा बंटवारे का विरोध किया। प्रो. फरमान हुसैन ने कहा कि दुश्मन नहीं चाहता कि शिया व सुन्नी एक हों। इराक में इंसान का खून बहाने वाला मुसलमान नहीं हो सकता। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता विवेक बंसल ने कहा कि इराक में जो हो रहा है, वह इंसानियत के खिलाफ है। इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र को संबोधित एक ज्ञापन एसीएम को दिया गया। इस मौके पर साजिद हुसैन, मुनव्वर अब्बास, जावेद हुसैन, रशीद हुसैन, हसन, मून, असद, दानिश, अहमद, नजीर आदि मौजूद थे।
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आठ साल का एहसान
भी जाएगा इराक
इराक में हिंसा का शिकार हो रहे शिया समुदाय के लोगों की मदद के लिए अलीगढ़ से भी आवाज उठी है। इसके लिए इराक जाने के लिए बड़ी संख्या में शिया लोग रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। अब तक पांच हजार से अधिक लोग रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। इनमें आठ साल की उम्र का एहसान अब्बास भी है। एहसान अली डेवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष समर अब्बास का बेटा है। एहसान जब जुलूस में भरे हुए रजिस्ट्रेशन फार्म को लेकर चल रहा था, तब सभी की नजरें उस पर टिकी थीं। एहसान का कहना था कि अगर भारत सरकार मुझे इजाजत देती हैं तो मैं रजाकार बनकर इराक जाऊंगा।

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