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    'जिनके घर शीशे के होते हैं वो पत्थर नहीं मारा करते'

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    Updated: Sun, 07 Jul 2013 02:08 AM (IST)

    कार्यालय संवाददाता, अलीगढ़ : जिनके घर शीशे के होते हैं, वो दूसरों के घर पर पत्थर नहीं मारा करते! वक्त फिल्म में राजकुमार का ये डायलॉग इन दिनों एएमयू में खूब दोहराया जा रहा है। वीसी कार्यालय व छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष शहजाद आलम के बीच चाय-नाश्ते के खर्च को लेकर छिड़ी बहस के बीच दोनों तरफ से यह कहा जा रहा है कि आरोपों से घिरे लोगों का आरोप नहीं लगाना चाहिए।

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    वीसी जमीरउद्दीन शाह के कार्यकाल में रिफ्रेशमेंट खर्च संबंधी आरटीआइ के तहत मिले ब्योरे के आधार पर शहजाद आलम ने आरोप लगाया है कि वीसी ने प्रयोगशाला सुधारीकरण का एक लाख रुपये चाय-नाश्ते में खर्च कर दिए।

    उधर, एएमयू के पीआरओ राहत अबरार ने कहा है कि शहजाद पर 35940 रुपये यूनिवर्सिटी गेस्ट हाउस का बकाया है। दो माह में शहजाद ने चाय-नाश्ते में 77800 रुपये व फोटो स्टेट में 74130 रुपये खर्च किए।

    इंतजामिया की ओर से अबरार ने कहा कि जब शहजाद खुद आरोपों घिरे हैं तो दूसरों पर उन्हें आरोप नहीं लगाने चाहिए। उन्होंने कहा है कि वीसी कार्यालय में चाय नाश्ते पर खर्च में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला, सम्मेलन, सेमिनार में आए अतिथियों के लंच व डिनर भी शामिल है। एकेडमिक काउंसिल, एग्जिक्यूटिव काउंसिल, सीएसएआर, बिल्डिंग कमेटी, पीएफ कमेटी के खर्च का भुगतान भी इसी मद से होता है। वीसी, प्रो-वीसी व रजिस्ट्रार के मेहमानों को भी इस मद से चाय की व्यवस्था होती है।

    उधर, शहजाद ने कहा है कि एएमयू में सेमिनार व सम्मेलन के लिए अलग बजट होता है। शहजाद ने प्रो-वीसी का खत लिख फिजूलखर्ची रोकने की गुजारिश की है। साथ ही शहजाद का कहना है कि इंतजामिया पर भी तो तमाम आरोप लगते हैं, इंतजामिया क्यों दूसरों पर आरोप मढ़ रही है?

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