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    हर बार सनम ही नहीं होता 'बेवफा', हो सकता है ये हो केमिकल लोचा, जानिए क्या है सिजोफ्रेनिया

    By Prateek GuptaEdited By:
    Updated: Tue, 24 May 2022 10:53 AM (IST)

    सिजोफ्रेनिया दिवस पर विशेष पति पत्नी के बीच की विवाद का एक बड़ा कारण बनी है ये बीमारी। 18 से 35 साल तक के महिला और पुरुषों में हो रही है ये बीमारी। कितने भी जतन कर लो लेकिन दिमाग से शक नहीं होता दूर बीमारी का इलाज है संभव।

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    रिश्तों में दरार के पीछे शक ही नहीं मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया भी हो सकती है। प्रतीकात्मक फोटो

    आगरा, जागरण संवाददाता। अक्सर शक ही रिश्तों में दरार डालता है, वह चाहें प्रेमी−प्रेमिका के बीच हों या पति और पत्नी। ये शक ही सनम को बेवफा करार देता है। लेकिन अगर चिकित्सा और विज्ञान की दृष्टि से बात करें तो ये एक मानसिक बीमारी भी हो सकती है। इस तरह का केस भी सामने है। आगरा के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में इलाज करा रही महिला को शक था कि उनका पति बेवफा है, किसी और से प्यार करता है। घर में सीसीटीवी भी लगवा दिए, पति का मोबाइल भी चेक करने लगी लेकिन शक दूर नहीं हुआ। इलाज के बाद वह ठीक है।

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    क्या है सिजोफ्रेनिया

    दरअसल शक की बीमारी भी सिजोफ्रेनिया है, केमिकल लोचा डोपामिन न्यूरोट्रांसमिटर के स्तर में असंतुलन से यह बीमारी हो रही है। मंगलवार को सिजोफ्रेनिया दिवस पर डाक्टर लोगों को जागरूक करेंगे, इलाज कराने से मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं। अनुवांशिक, तनाव सहित कई अन्य कारण से डोपामिन स्तर में असंतुलन से सिजोफ्रेनिया की बीमारी हो रही है। इसमें कान में आवाज आती हैं, शक होने लगता है। यह बीमारी पुरुषों में पढ़ाई और करियर के समय में होती है, इसे वह गंभीरता से नहीं लेते हैं। उन्हें लगता है कि पढ़ाई के तनाव के कारण समस्या हो रही है। ऐसे में इलाज न होने पर बीमारी बिगड़ती जाती है।

    महिलाओं में 30 साल की उम्र के बाद लक्षण

    महिलाओं में 30 साल की उम्र के बाद बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं, शक की आदत से वैवाहिक जीवन में विवाद शुरू हो जाता है। महिलाओं में इलाज के रिजल्ट अच्छे हैं। 52 हजार लोगों को बीमारी, 30 प्रतिशत ही करा रहे इलाज एक अनुमान के तहत जिले में 52 हजार लोगों को सिजोफ्रेनिया की समस्या हो सकती है। मगर, वे इसे समझ नहीं पाते हैं। इसलिए इलाज भी नहीं करा रहे हैं। 30 प्रतिशत मरीज ही सिजोफ्रेनिया का इलाज करा रहे हैं।

    सिजोफ्रेनिया के लक्षण

    − भ्रम (Delusions) मरीज को गलत यकीन होने लगते हैं। शक करना। 

    − माया (Hallucinations) सिजोफ्रेनिया के मरीज को अजीब सी आवाजें सुनाई देती हैं।

    − सोचने में विकार (Thought Disorder) सिजोफ्रेनिया के मरीज की सोचने की क्षमता भी इस बीमारी के कारण प्रभावित होती है। खुशी और दुख महसूस नहीं करना, अकेले रहना।

    इस उम्र में शुरुआत

    पुरुषों में- 18 से 25 साल

    महिलाओं में- 25 से 35 साल

    डॉक्टर्स का है ये कहना

    आबादी के एक प्रतिशत लोगों में सिजोफ्रेनिया होता है। इलाज से अधिकांश मरीज ठीक हो जाते हैं। मगर, लोगों को बीमारी का पता नहीं चलता है।।

    डॉ. विशाल सिन्हा, विभागाध्यक्ष मनोचिकित्सा विभाग एसएन मेडिकल कॉलेज

    सिजोफ्रेनिया के मरीजों को शक होता है, कान में आवाज आती है। कई बार तो ऐसा लगता है कि अपने ही उसके दुश्मन है इससे उग्र व्यवहार हो जाता है। इलाज कराने वाले मनोरोगियों में 70 प्रतिशत इसी बीमारी से पीड़ित होते हैं।

    डॉ. दिनेश राठौर, प्रमुख अधीक्षक मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय