World Awareness Day: बात सेहत की; कोरोना वायरस से बच्चों में इंसुलिन बनना बंद, प्रदूषण से मधुमेह की चपेट में युवा
Awareness campaign on World Diabetes Day 2023 भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2019 से 2023 के बीच (7.7 करोड़ से 10 करोड़ हो गए मधुमेह रोगी) देश में 36 प्रतिशत मधुमेह रोगी बढ़े हैं। मोटापा बदली जीवनशैली शारीरिक परिश्रम न करने परिवार में किसी अन्य के मधुमेह से पीड़ित होने पर बीमारी बढ़ रही है।
जागरण संवाददाता, आगरा। मधुमेह की बीमारी बच्चों से लेकर युवाओं में तेजी से बढ़ रही है। कोविड 19 वायरस से संक्रमित बच्चों में टाइप वन डायबिटीज इंसुलिन बनना बंद होना मिल रही है। वहीं, प्रदूषण और अत्यधिक तनाव से युवा मधुमेह की चपेट में आ रहे हैं। मंगलवार को विश्व मधुमेह दिवस पर डाक्टरों द्वारा लोगों को बीमारी से बचाव के लिए जागरूक किया गया।
सामने आ रही हैं ये परेशानियां
आगरा डायबिटिक फोरम के वैज्ञानिक सचिव डा. अतुल कुलश्रेष्ठ ने बताया कि प्रदूषण, प्लास्टिक में खाद्य पदार्थ, फसलों में रसायन का अत्यधिक इस्तेमाल से खाने, सांस लेने से शरीर में एंडोक्राइन डिसरप्टिंग केमिकल्स (ईडीसी) पहुंच रहे हैं। इनसे शरीर में एंडोक्राइन डिसरप्टर्स बन रहे हैं। ये इंसुलिन स्राव कम कर देते हैं और बीटा सेल्स ठीक से काम नहीं करते हैं। इससे युवाओं 12 वर्ष से अधिक में मधुमेह की समस्या बढ़ रही है।
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कोविड 19 वायरस से बच्चों में इंसुलिन पर असर
एसएन के टाइप वन डायबिटीज क्लीनिक के प्रभारी डा. प्रभात अग्रवाल ने बताया कि कोविड 19 वायरस से बच्चों में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर प्रतिकूल असर पड़ा है। बच्चों में इंसुलिन नहीं बन रही है। इससे टाइप वन डायबिटीज इंसुलिन न बनना के मरीज बढ़े हैं। इन्हें इंसुलिन लेना पड़ता है। क्लीनिक में 28 बच्चे पंजीकृत हैं। इन्हें निश्शुल्क इंसुलिन दी जा रही है।
गर्भावस्था में मधुमेह घातक, आंख, गुर्दे और दिल पर असर
गर्भावस्था में मधुमेह की समस्या बढ़ रही है। 10 प्रतिशत गर्भवती में शुगर का स्तर बढ़ा मिल रहा है लेकिन ये जांच नहीं कराती हैं। इससे मां और गर्भस्थ शिशु के लिए मधुमेह घातक हो रहा है। वहीं, मधुमेह रोगी दवाएं नहीं ले रहे हैं। इससे आंखों की रोशनी जा रही है, गुर्दे खराब हो रहे हैं और हार्ट अटैक के मामले भी बढ़ने लगे हैं।
स्ट्रेस हार्मोन और बैठे रहने से शुगर का स्तर अनियंत्रित
सुबह और रात में मोबाइल का अधिक इस्तेमाल करने से मधुमेह रोगी टहलने नहीं जा रहे हैं। इसके साथ ही मोबाइल अधिक इसतेमाल करने से नींद पूरी नहीं हो रही है, इससे स्ट्रेस हार्मोन तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन का समूह का स्तर बढ़ रहा है और शुगर का स्तर अनियंत्रित हो रहा है।
आगरा में मधुमेह रोगी
- 4.16 लाख - टाइप टू डायबिटीज
- 10 हजार- टाइप वन डायबिटीज
- 3.80 लाख- प्री डायबिटिक
प्रदूषण से देहात में भी बढ़ रहा मधुमेह
मधुमेह की बीमारी संपन्न परिवार और शहरी क्षेत्रों में अधिक होती थी। मगर, खेतों में इस्तेमाल किए जा रहे अत्यधिक रसायन। पालीथिन में चाय पीने के कारण देहात, आर्थिक रूप से कमजोर, दुबले पतले लोगों में भी मधुमेह की बीमारी मिल रही है। अत्यधिक तनाव से युवा भी मधुमेह की चपेट में आ रहे हैं। डा. अतुल कुलश्रेष्ठ, वैज्ञानिक सचिव, आगरा डायबिटिक फोरम
दवाओं से शुगर नियंत्रण के साथ वजन में कमी
मधुमेह रोगियों में शुगर का स्तर नियंत्रित रखने के लिए जीवनशैली में बदलाव के साथ दवाएं दी जाती हैं। मगर, जब तक वजन कम ना हो, शुगर का स्तर नियंत्रित नहीं होता है। नई दवाएं आ गई हैं, इससे वजन भी कम होता है। सप्ताह में एक दिन दी जाने वाली इंसुलिन भी जल्द बाजार में उपलब्ध होगी। डा. सुनील बंसल, आगरा डायबिटिक फोरम
गर्भवती की मधुमेह की जांच अनिवार्य
बच्चे की प्लानिंग करने से पहले शुगर की जांच करा लेनी चाहिए। वहीं, गर्भधारण होने के बाद शुगर की जांच अनिवार्य है। ऐसा न करने पर गर्भवती के साथ ही गर्भस्थ शिशु की जान को खतरा रहता है। गर्भस्थ शिशु में जन्मजात विकृति हो सकती है। प्रसव के बाद अधिकांश केस में शुगर का स्तर सामान्य हो जाता है। डा. सरोज सिंह, पूर्व विभागाध्यक्ष स्त्री रोग विभाग एसएन मेडिकल कालेज
मधुमेह के साथ खुशहाल जिंदगी
20 वर्ष से मधुमेह है। जिस दिन मधुमेह की बीमारी का पता चला, पैदल चलना और साइकिल पर चलना शुरू कर दिया। मीठा खाना बंद कर दिया। एक गोली लेनी पड़ती है और शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है। इस सबके साथ ही खुश रहने से भी शुगर का स्तर सामान्य रखने में मदद मिली। रामपूजन दुबे, सेवानिवृत नगर निगम कर्मचारी
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