World Aids Day: युवाओं में एचआईवी संक्रमण का नया खतरा, संक्रमित सिरिंज से नशा और समलैंगिक संबंध से HIV
एड्स दिवस पर, एसएन मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर ने चौंकाने वाले आंकड़े जारी किए। युवाओं में एचआईवी संक्रमण का मुख्य कारण अब असुरक्षित यौन संबंध नहीं, बल्कि नशीली दवाओं के लिए संक्रमित सुई का इस्तेमाल और समलैंगिक संबंध हैं। जागरूकता के चलते एचआईवी संक्रमित सेक्स वर्करों की संख्या में कमी आई है। एचआईवी संक्रमित दंपतियों को स्वस्थ बच्चे पैदा करने के लिए मार्गदर्शन दिया जा रहा है।

सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, आगरा। युवा अब सेक्स वर्कर के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से एचआईवी संक्रमित नहीं हो रहे हैं, उनके एचआईवी संक्रमित होने के पीछे सिरिंज से नशा और समलैंगिक संबंध ( पुरुष) बनाना सामने आ रहा है। इसमें मल्टी नेशनल कंपनी में कार्यरत इंजीनियर सहित अन्य प्रोफेशनल्स शामिल हैं। वहीं, एड्स को लेकर जागरूकता के चलते एचआईवी संक्रमित सेक्स वर्कर की संख्या लगातार कम हो रही है। एड्स दिवस पर सोमवार को जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
युवाओं के एचआईवी संक्रमित होने के कारणों में इंजेक्शन से नशा एक बड़ा कारण
एसएन में 2009 से संचालित एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) में 13650 एड्स रोगी पंजीकृत हो चुके हैं। पिछले एक वर्ष में 689 नए मरीज पंजीकृत हुए हैं। एसएन के एआरटी सेंटर प्रभारी डॉ. अभिषेक राज ने बताया कि सेंटर में मरीजों की काउंसिलिंग की जाती है जिससे एचआईवी संक्रमण का कारण पता चल सके। पिछले एक वर्ष में संक्रमित हुए युवाओं में सबसे बड़ा कारण इंजेक्शन से नशा करने के लिए एक ही सुई का कई लोगों द्वारा इस्तेमाल करना और समलैंगिक संबंध बनाना है।
जागरूकता से एचआईवी संक्रमित सेक्स वर्कर की संख्या में लगातार आ रही गिरावट
सहमति से असुरक्षित यौन संबंध बनाने से भी संक्रमण फैल रहा है, इसमें पति पत्नी के साथ ही लिव इन में रह रहे युवक और युवती भी शामिल हैं। वहीं, एचआईवी संक्रमित सेक्स वर्कर की संख्या कम हुई है, इस समय 14 सेक्स वर्कर का इलाज चल रहा है। संक्रमित खून चढ़ाने से भी एचआईवी संक्रमण फैल रहा है। एआरटी लेकर मरीज बेहतर जिंदगी जी रहे हैं। सेंटर में 5404 एचआइवी संक्रमित का इलाज चल रहा है।
केस वन - एचआईवी संक्रमित 25 वर्ष युवक का एसएन के एआरटी सेंटर में इलाज चल रहा है वह अपने लिए एआरटी ले रही एचआईवी संक्रमित युवती की तलाश कर रहा है जिससे शादी कर सके और बच्चों की प्लानिंग कर सके।
केस टू- एचआईवी संक्रमति दंपती के पहला बच्चा निगेटिव होने पर उन्होंने दूसरे बच्चे की प्लानिंग की। एसएन मेडिकल कॉलेज में उनका प्रसव कराया गया। प्रसव के समय शिशु को दवा दी गई। दूसरा बच्चा भी निगेटिव है।
एचआईवी संक्रमित दंपती के जन्म ले रहे निगेटिव बच्चे, खुशहाल जिंदगी
एसएन में 2008 से इंटीग्रेटडेड काउंसिलिंग एंड टेस्टिंग (आइसीटीसी) सेंटर संचालित है। आइसीटीसी सेंटर प्रभारी, स्त्री रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. शिखा सिंह ने सेंटर में एचआईवी संक्रमित दंपती और जिन दंपती में पति और पत्नी में से एक ही एचआइवी पॉजिटिव है वे गर्भधारण के लिए सलाह ले रहे हैं। एचआईवी पाजिटिव महिलाओं की एंटी रिट्रो वायरल थेरेपी (एआरटी) शुरू कराने के बाद गर्भधारण करने की सलाह दी जाती है। नौ महीने तक लगातार जांच की जाती हैं, प्रसव पीड़ा होने पर उनके द्वारा सूचना देते ही प्रसव के कराने के लिए अलग से टीम बनाई जाती है।
नेवरापिन सिरप की डोज शुरू कर दी जाती है
प्रसव के तुरंत बाद नवजात को नेवरापिन सिरप की डोज शुरू कर दी जाती है, इसे तीन से छह महीने तक दिया जाता है। इन बच्चों की एचआइवी की चार जांच कराई जाती हैं, 18 महीने पर बच्चे की अंतिम जांच होती है। इसमें निगेटिव रिपोर्ट आने पर बच्चा निगेटिव माना जाता है। आइटीसीटी सेंटर पर 17 वर्ष में 481 एचआइवी पाजिटव के प्रसव हुए हैं।इनके 277 बच्चे एचआइवी निगेटिव हैं। जिन पति और पत्नी एचआईवी संक्रमित नहीं थे उनमें भी संक्रमण नहीं मिल रहा है।
इस तरह हुए संक्रमित ( एसएन के एआरटी सेंटर पर पंजीकृत)
- सहमति से असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से- 9211
- कारण अज्ञात- 1713
- एचआईवी पाजिटिव मां से बच्चे - 817
- संक्रमित खून चढ़ाने से -602
- समलैंगिक पुरुष -457
- असुरक्षित इंजेक्शन लगाने से - 396
- ट्रक चालक -129
- टीबी के मरीज- 66
- सेक्स वर्कर - 14
एसएन के एआरटी सेंटर में 16 वर्ष में एचआईवी संक्रमित मरीज हुए पंजीकृत - 13650
एचआईवी संक्रमित करा रहे हैं इलाज - 5404
एचआईवी संक्रमित की हुई मौत - 3865
इस तरह की जाती है जांच
काउंसलर रितु भार्गव ने बताया कि एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती मां की कोख से जन्म लेने वाले नवजात की एचआईवी की जांच 45 दिन , छह महीने, 12 महीने और अंतिम जांच 18 महीने बाद की जाती है। ये सभी जांच निगेटिव आने पर बच्चा एचआईवी निगेटिव माना जाता है।

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