गेहूं की बालियों में सिकुड़ रहा दाना, घटेगा उत्पादन
जिले में 30 से 40 प्रतिशत किसानों ने किया है पिछैती गेहूं

आगरा, जागरण संवाददाता। बढ़ता तापमान आम लोगों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है, वहीं गेहूं की बालियों के लिए भी संकट पैदा कर रहा है। एक दशक बाद ऐसा हुआ है कि मार्च में ही तापमान 42.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच, जिससे गेहूं के उत्पादन के लिए संकट खड़ा हो गया है। दर्जनों किसानों ने पिछैती गेहूं किया है, जिससे खेतों में अभी हरी बालियां खड़ी है। कुछ खेतों के गेहूं सुनहरे हो गए है, जिसमें कटाई भी शुरू हो गई है। पकी हुई बालियों पर तो बढ़े हुए तापमान का कोई फर्क नहीं है, लेकिन हरी बालियों में मिल्की स्टेज के ठीक बाद अधिक तापमान से ग्रोथ कम हो गई है। इससे दाना सिकुड़ जाएगा और उत्पादन पर असर पड़ेगा।
जिले में 1.32 लाख हेक्टेयर में गेहूं का उत्पादन होता है। 30 से 40 प्रतिशत से अधिक किसानों ने पिछैती गेहूं किया है। नवंबर पर गेहूं की बोवाई होती है, लेकिन इन किसानों ने दिसंबर और जनवरी तक बोवाई की है। मौसम की अनुकूलता नहीं होने के कारण भी कुछ किसान बोवाई देरी से कर सके थे। इस कारण पहले बोई गई फसल जल्द पक गई तो देरी वाली फसल की बालियों में दाना सिकुड़ने लगा है। गेहूं की फसल 130 दिन की होती है। तापमान इस बार जल्दी बढ़ा है। इतना तापमान 20 अप्रैल के बाद होता है। गेहूं की मिल्की स्टेज जल्दी सूख जाएगी। इससे दाने में सिकुड़न पैदा होगी और उत्पादन भी गिर जाएगा। बढ़ते तापमान के कारण बीज की गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा।
डा. राजेंद्र सिंह चौहान, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं हेड कृषि विज्ञान केंद्र, बिचपुरी पांच बीघा में गेहूं की बोवाई की है। पलेवट के बाद दिसंबर के अंतिम सप्ताह में बोवाई की थी। अभी गेहूं हरा है और तीखी धूप के कारण बालियों में दाना फूल नहीं रहा है। दाने में सिकुड़न से उत्पादन घट जाएगा।
रामवीर सिंह, अछनेरा बालियां खेत में हरी खड़ी है और अभी से पारा खूब चढ़ गया है। इस मौसम ने बालियों में दाने से पहले बनने वाले दूध को सुखाने का काम किया है। इससे छोटा दाना निकलने की आशंका है।
बहादुर सिंह, खेरागढ़
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।