वैष्णो देवी हादसे की आंखों देखी: पेड़ ने बचाई आगरा की मोना की जान, गंंवाना पड़ा एक पैर... सामने बह गया परिवार
आगरा के रकाबगंज की मोना वैष्णो देवी में भूस्खलन के दौरान एक पेड़ से बच गईं पर एक पैर गंवा दिया। हादसे में उनकी बेटी बहन और सास-ससुर की जान चली गई। परिवार को प्रशासन से आर्थिक मदद का इंतजार है और मुख्यमंत्री से उम्मीद है। हादसे के बाद कोई भी अधिकारी परिवार को सांत्वना देने नहीं पहुंचा जिससे परिवार निराश है।

जागरण संवाददाता, आगरा। वैष्णो देवी 11 महीने की बेटी का मुंडन कराने गई रकाबगंज की रहने वाली मोना ने जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में 26 अगस्त को हुए भूस्खलन में मौत के मुंह से किसी तरह वापस आ आईं। एक पेड़ ने उनकी जान बचा ली, लेकिन हादसे में मोना को अपना एक पैर गंवाना पड़ गया है। हादसे में मोना की 11 महीने की बेटी, 12 वर्ष की बहन और सास-ससुर की जान ले ली।ाजम्मू में उनका उपचार चल रहा है।
शनिवार शाम को माता-पिता और बेटी के अंतिम संस्कार के बाद दीपक समेत परिवार के चार लोग रविवार सुबह जम्मू लौट गए। परिवार को प्रशासन से आर्थिक मदद की प्रतीक्षा है। स्वजन को एक ही दर्द है कि हादसे के बाद केंद्रीय मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल के अलावा कोई भी अधिकारी और नेता उन्हें सांत्वना देने नहीं आया। स्वजन का कहना था कि उन्हें अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ से ही आस है।
भूस्खलन में जैसमीन, मोहित और दीपक ने परिवार के लोगों को मलबे में बहते देखा
रकाबगंज स्थित कुम्हारपाड़ा के रहने वाले अर्जुन सिंह, पत्नी सुनीता, पुत्र दीपक, पुत्रवधू मोना 11 महीने की पौत्री सेंजल्र, 12 वर्ष की एंजेल के साथ वैष्णो देवी गए थे। उनके साथ बेटी बेटी जैसमीन, दामाद मोहित व पुत्रवधू की बहन भावना समेत नौ लोग थे। जैसमीन और मोहित अन्य स्वजन से आगे चल रहे थे। भूस्खलन में जैसमीन, मोहित और दीपक ने परिवार के लोगों को मलबे में बहते देखा। जैसमीन ने बताया कि भाभी मोना मलबे में बहने के दौरान एक पेड़ में अटक गई थीं। उन्हें कई घंटे बाद होश आने पर बचाया जा सका। हादसे में उनकी जान बच गई, लेकिन चिकित्सकों को मोना का एक पैर काटना पड़ गया।
चार शवों का किया अंतिम संस्कार
अर्जुन सिंह, सुनीता, 11 महीने की पौत्री सेजल और 11 वर्षीय भावना के शव शनिवार शाम आगरा पहुंचे। ताजगंज में उनका अंतिम संस्कार किया गया। दीपक के साथ बहन पूजा,जीजा रवि रविवार सुबह जम्मू लौट गए। घर पर अर्जुन सिंह की तीनों बेटियां जैसमीन, रीना और नीलम समेत अन्य स्वजन यहां रह गए हैं।
हादसे ने परिवार को पूरी तरह से तोड़ दिया
तीनों बेटियों का रोकर बुरा हाल है। हादसे ने परिवार को पूरी तरह से तोड़ दिया है। स्वजन का कहना था कि उनके पास इतनी रकम नहीं है कि गंभीर घायल मोना का उपचार करा सकें। अर्जुन सिंह के दामाद प्रमोद सिंह ने बताया कि हादसे की जानकारी होने पर पुलिस-प्रशासन की टीम आई थी। जिसके बाद कोई नहीं आया, प्रशासन की ओर से कोई आर्थिक मदद नहीं की गई। मोना के उपचार में काफी खर्चा होगा। उन्हें जम्मू से आगरा लेकर आना है। इस सबके लिए रकम कहां से आएगी, यही सोचकर परिवार परेशान है।
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