उटंगन नदी हादसा: 12 मौतों के बाद कुशियापुर में छाया रहा मातम, छह दिन चला शवों का अंतिम संस्कार का सिलसिला
आगरा के कुशियापुर गांव में उटंगन नदी में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुए हादसे में 12 लोगों की मौत से मातम छाया हुआ है। छह दिन से चल रहे शवों के अंतिम संस्कार से गांव में शोक की लहर है। जीवित बचे विष्णु की मदद से सेना ने सीन रिक्रिएट कर शवों को बरामद किया। पूरे गांव में गम का माहौल है।

जागरण संवाददाता, आगरा। कुशियापुर गांव, मंगलवार रात 10:36 बजे। रोने का सिलसिला थम चुका था।पथराई आंखाें से शवों की प्रतीक्षा करते स्वजन, रिश्तेदार और बडी संख्या में जुटे ग्रामीण गांव की ओर आने वाली सड़क को एकटक देख रहे थे। बीच-बीच में महिलाओं के रोने की आवाज खामोशी को भंग कर रही थी। रात में चारों शव गांव पहुंचे तो स्वजन के करुण क्रंदन से ग्रामीणों की आंखें भी छलक उठीं।चारों शवों का रात में ही अंतिम संस्कार किया गया।
सुबह से नदी किनारे सुबह से जुट गए थे सैकड़ों ग्रामीण
खेरागढ़ के गांव कुशियापुर के रहने वाले 13 लोग दो अक्टूबर को उटंगन नदी में प्रतिमा विसर्जन के दौरान डूब गए थे। जिसमें सिर्फ एक विष्णु को ही बचाया जा सका। छह दिन से शवों को नदी से निकालने और उनके अंतिम संस्कार का सिलसिला जारी था।300 से अधिक घरों वाले गांव में सभी में आपस में कोई न कोई रिश्ता है।
किसी ने अपना बेटा तो किसी ने भतीजा, मामा-चाचा और भाई को खोया है। छह दिन से लगातार शवों के मिलने के साथ ही वह एक दूसरे के घर जाकर सांत्वना दे रहे थे।यादव सिंह के घर के दोनों चिराग बुझ गए। बेटे गगन ओर हरेश दोनों उटंगन में डूब गए। अभिषेक परिवार का इकलौता था। वहीं, बीनेश के बड़े भाई की अगले महीने शादी होनी थी।
एक साथ 12 लोगों को हादसे में गंवाने का दर्द
सोमवार सुबह दो शवों के बरामद होने के बाद ग्रामीणों की उम्मीद बंध गई थी। मंगलवार सुबह नदी के तट से लेकर गांव तक सैकड़ों ग्रामीण जुट गए थे। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। सुबह 10:45 बजे सचिन का शव बरामद हुआ। दोपहर 12:15 दीपक, तीन बजे गजेंद्र और शाम 6:10 बजे हरेश का मिला। चारों शव रात साढ़े शवों का अंतिम संस्कार रात 10:45 बजे गांव पहुंचे तो परिवारों में कोहराम मच गया। उन्होंने रात में चारों शवों का अंतिम संस्कार किया।
विष्णु से कराए सीन रिक्रिएशन के बाद मिले बाकी शव
नदी में डूबे 13 लोगों में जीवित बचे विष्णु की मदद से सेना द्वारा किए गए सीन रिक्रिएशन के बाद शवों को बरामद करने में तेजी आई। विष्णु ने सभी के डूबने की जगह को बताया, जिसके बाद सेना और एनडीआरएफ की टीम ने उसी स्थान पर रेस्क्यू शुरू किया। दो दिन में उसने सभी शवों को बरामद कर लिया।
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