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    अब सिर्फ ड्राइवर नहीं, ठेकेदार-इंजीनियर भी फंसेंगे; सड़क हादसों की जांच में होने जा रहा बड़ा बदलाव

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 06:53 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की जांच प्रक्रिया में बदलाव किया जा रहा है। अब दुर्घटनाओं के लिए सिर्फ ड्राइवर ही नहीं, बल्कि सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदार और इंजीनियर भी जिम्मेदार माने जाएंगे। सरकार का उद्देश्य सड़क सुरक्षा को बढ़ाना और सड़क निर्माण में लापरवाही को कम करना है। लापरवाही पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिससे दुर्घटनाओं में कमी आएगी।

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    यूपी में सड़क हादसों की विवेचना का बदलने जा रहा तरीका। सांकेतिक तस्वीर

    अली अब्बास, आगरा। सड़क हादसों में अभी तक भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा के तहत मुकदमे दर्ज किए जाते हैं। इसमें चालक की लापरवाही दिखाई जाती है। जल्द ही मुकदमों की विवेचना का यह तरीका बदलने वाला है।

    मुकदमों में अब वाहन अधिनियम (एमवी एक्ट) की धारा भी लगाई जाएगी। यह भी देखा जाएगा कि सड़क हादसे का कारण क्या है। हादसा रोड इंजीनियरिंग की कमी से हुआ है, तो संबंधित विभाग व ठेकेदार की जिम्मेदारी तय की जाएगी।

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    इसे लेकर लखनऊ यातायात मुख्यालय में यातायात पुलिस अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सड़क हादसों के मुकदमे में अभी तक सारा दोष चालक पर ही डाल दिया जाता है। भले ही हादसे का कारण रोड इंजीनियरिंग में कमी रहा हो।

    सड़क का रखरखाव करने वाले विभागों की जिम्मेदारी तय नहीं होती। ऐसे मुकदमों में विवेचना का परंपरागत तरीका जल्द बदलने वाला है। दिसंबर से विवेचना में तकनीकी व डिजीटल साक्ष्य भी शामिल किए जाएंगे। इसमें रोड इंजीनियरिंग को भी देखा जाएगा।

    यह भी देखा जाएगा कि हादसे की जड़ में चालक की लापरवाही के अलावा और कौन-कौन से कारण जिम्मेदार हैं। इन कारणों के लिए कौन सा विभाग या ठेकेदार जिम्मेदार है।

    सड़क हादसों की विवेचना तकनीक बिंदुओं समेत अन्य विभागों की जिम्मेदारी तय करने को लेकर लखनऊ में यातायात मुख्यालय में विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें आगरा कमिश्नरेट के डीसीपी यातायात समेत उत्तर प्रदेश के 20 जिलों के एसपी व डीसीपी यातायात को भी शामिल किया गया है।

    आगरा कमिश्नरेट में लागू है क्रिटिकल कॉरीडोर योजना

    आगरा कमिश्नरेट इस दिशा में पहले ही कदम उठा चुका है। सड़क हादसों को कम करने के लिए कमिश्नरेट में क्रिटिकल कॉरीडोर योजना लागू की गई है। पूर्वी जोन में तीन, पश्चिमी जोन में आठ एवं सिटी जोन में पांच ब्लैक स्पाट चिह्नित किए गए हैं। इन्हें क्रिटिकल कारीडोर का नाम दिया गया है।

    कमिश्नरेट के सर्वाधिक दुर्घटना वाले ब्लैक स्पाट चिह्नित करके कुल 16 क्रिटिकल कारीडोर बनाए हैं। प्रत्येक कारीडोर के लिए विशेष क्रिटिकल कारीडोर टीम बनाई गई है। इसमें एक उप निरीक्षक, मुख्य आरक्षी व आरक्षी समेत चार पुलिसकर्मी हैं। यह टीम क्रिटिकल कारीडोर में होने वाले हादसे रोकने पर काम करेगी।

    हादसों के कारण की रिपोर्ट भी तैयार करेगी। इससे दुर्घटनाओं को कम करने के लिए प्रभावी योजना बनाकर उस पर अमल किया जा सके। हादसों से संबंधित मुकदमो की विवेचना भी इसी टीम द्वारा की जाएगी।

    डीसीपी सिटी सोनम कुमार का कहना है कि सड़क हादसों के मुकदमों में बीएनएस के साथ ही एमवी एक्ट की धारा के तहत कार्रवाई होगी। विवेचना में यह भी देखा जाएगा कि हादसे का कारण सड़क पर गड्ढा या रोड इंजीनिय¨रग में कमी तो नहीं है। संबंधित विभागों व ठेकेदार की जवाबदेही भी शामिल की जाएगी।