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    UP Politics: दरकते सियासी किले को बचाने मैदान में उतरे अखिलेश, शिवपाल ने भी कार्यकर्ताओं को दिया जीत का मंत्र

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Pandey
    Updated: Sun, 20 Aug 2023 08:20 PM (IST)

    UP Politics परिवार की रार से दरके फिरोजाबाद के सियासी किले को सपा ने एकता से फतह करने की तैयारी कर ली है। बूथ प्रभारियों के प्रशिक्षण शिविर में चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी पहुंचे। कार्यकर्ताओं को 2024 में जीत का मंत्र दिया। पिछले लोकसभा चुनाव में भतीजे के खिलाफ उतरे शिवपाल यादव ने अपने फैसले को गलती मानते हुए एकता दिखाई।

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    दरकते सियासी किले को बचाने मैदान में उतरे अखिलेश, शिवपाल ने भी कार्यकर्ताओं को दिया जीत का मंत्र

    जागरण संवाददाता, आगरा : परिवार की रार से दरके फिरोजाबाद के सियासी किले को सपा ने एकता से फतह करने की तैयारी कर ली है। बूथ प्रभारियों के प्रशिक्षण शिविर में चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी पहुंचे। कार्यकर्ताओं को 2024 में जीत का मंत्र दिया।

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    पिछले लोकसभा चुनाव में भतीजे के खिलाफ उतरे शिवपाल यादव ने अपने फैसले को गलती मानते हुए एकता दिखाई। आगरा मंडल में मैनपुरी के बाद फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

    शिकोहाबाद रही मुलायम की कर्मभूमि

    फिरोजाबाद का शिकोहाबाद मुलायम सिंह की कर्मभूमि रहा। 1992 में समाजवादी पार्टी के गठन के बाद मुलायम से रिश्तों के जरिए सियासी ताना-बाना बुना। जिले में राजनीतिक पकड़ मजबूत करने के लिए 1993 में मुलायम सिंह खुद शिकोहाबाद विधानसभा से चुनाव लड़े और जीतकर मुख्यमंत्री बने।

    2009 में अखिलेश यादव यहां से सांसद बने और 2014 में मोदी लहर में रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव विरासत को आगे बढ़ाने में सफल रहे। भाजपा के लिए मैनपुरी की तरह ही फिरोजाबाद अभेद्य बनता जा रहा था।

    पारिवारिक कलह के कारण कमजोर हुई सपा की पकड़

    1999 से 2009 तक हुए तीन लोकसभा चुनावों में सपा सफल रही। 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले सैफई परिवार में हुई कलह से सपा की पकड़ ढीली होने लगी। विधानसभा में सपा पांच में से केवल एक सीट सिरसागंज ही जीत पाई। लोकसभा चुनाव में बसपा से गठबंधन के बाद सपा की स्थिति मजबूत थी, लेकिन प्रसपा का गठन कर अलग राह पर निकले शिवपाल खुद भतीजे अक्षय यादव के सामने मैदान में उतर गए।

    शिवपाल तो जीत नहीं सके, लेकिन अक्षय यादव को 20 हजार वोटों से हरवा दिया। शिवपाल को 90 हजार वोट मिले थे। अब शिवपाल अपने फैसले को गलत ठहराकर कार्यकर्ताओं को एकजुटता का संदेश देना चाहते हैं।

    परिवार की एकता का दिखा असर

    2022 में सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की कोशिशों से परिवार में एका हुआ तो जिले की राजनीति पर भी इसका असर दिखा। पिछले चुनाव में एक सीट जीतने वाली सपा ने इस बार विधानसभा की तीन सीटें जीत लीं। तीन में से दो सीटें जसराना और शिकोहाबाद भाजपा से वापस छीन लीं।

    मुलायम सिंह के निधन के बाद शिवपाल ने अपनी पार्टी का विलय सपा में कर दिया। इससे पार्टी मजबूत हुई। इसी एकता के सहारे अब अखिलेश यादव पार्टी के पुराने किले को वापस पाना चाहते हैं। इसलिए प्रदेश में तीन जिलों में बूथ प्रभारियों के प्रशिक्षण के लिए फिरोजाबाद का चयन किया गया।