Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    UP News : डाॅ. अनुराग शुक्ला को हाई कोर्ट से राहत, बने रहेंगे आगरा कॉलेज के प्राचार्य, हाई कोर्ट ने किया स्टे

    Updated: Fri, 01 Mar 2024 10:25 PM (IST)

    प्रबंध समिति के अध्यक्ष राज्य सरकार के निर्देशों का पालन करने को बाध्य हैं लेकिन राज्य सरकार का आदेश हमेशा उसकी वैधता के आधार पर न्यायिक समीक्षा के अध ...और पढ़ें

    Hero Image
    UP News : डाॅ. अनुराग शुक्ला को हाई कोर्ट से राहत, बने रहेंगे आगरा कॉलेज के प्राचार्य

    जागरण संवाददाता, आगरा : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को आगरा कालेज प्राचार्य से जुड़े मामले में महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने राज्य सरकार के कालेज प्राचार्य डा. अनुराग शुक्ला के 10 फरवरी के निलंबन के आदेश पर रोक लगा दी है। न्यायालय के अगले आदेश तक डा. अनुराग शुक्ला कालेज प्राचार्य बने रहेंगे। न्यायालय ने राज्य सरकार समेत सात अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    डा. अनुराग शुक्ला ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार के 10 फरवरी के आदेश को चुनौती दी थी। आदेश में डा. शुक्ला को निलंबित करते हुए कालेज की प्रबंध समिति की अध्यक्ष मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी को कालेज का कार्यवाहक प्राचार्य नियुक्त करने को कहा गया था।

    याची के अधिवक्ता अशोक खरे ने न्यायालय के समक्ष सवाल उठाया कि उप्र राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 के अनुसार राज्य सरकार संस्थान के किसी व्यक्तिगत कर्मचारी या अधिकारी के विरुद्ध ऐसा आदेश पारित नहीं कर सकती है। याची को निलंबित करते हुए राज्य सरकार ने आगरा कालेज की प्रबंध समिति के अध्यक्ष द्वारा दी गई रिपोर्ट को नजरअंदाज किया।

    उन्होंने अपनी रिपोर्ट में याची के विरुद्ध लगाए गए आरोप साबित नहीं पाए थे। राज्य सरकार को याची के उचित चयन के बाद उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की सिफारिश पर की गई नियुक्ति की वैधता की जांच कराने का भी अधिकार नहीं था।

    अधिवक्ता ने कार्यवाहक प्राचार्य डा. सीके गौतम की नियुक्ति में भी दुर्भावना का आरोप लगाया। वह वरिष्ठता सूची में 16वें नंबर पर थे और उन पर अनुशासनहीनता का आरोप था। अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने तर्क दिया कि राज्य सरकार ने अधिनियम की धारा 40 की उपधारा (4) में निहित प्रविधान के अनुसार कार्रवाई की है। सरकार के पास कालेज के प्रबंधन को ऐसी शक्ति है।

    दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश अजीत कुमार ने माना कि सरकार ने 10 फरवरी को निलंबन आदेश जारी करते समय सभी निष्कर्षों पर विचार नहीं किया। कालेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष मंडलायुक्त को उनकी 14 दिसंबर, 2023 की रिपोर्ट लौटा दी, जिसमें उन्होंने प्रथम दृष्टया वित्तीय गबन, सार्वजनिक निधि के दुरुपयोग के किसी आरोप को साबित नहीं पाया था।

    ट्रस्ट के नियमों के तहत राज्य सरकार को प्रबंध समिति के हस्तक्षेप के बिना संस्थान के किसी कर्मचारी, अधिकारी या संकाय सदस्य की नियुक्ति की वैधता की जांच करने का अधिकार नहीं है।

    प्रबंध समिति के अध्यक्ष राज्य सरकार के निर्देशों का पालन करने को बाध्य हैं, लेकिन राज्य सरकार का आदेश हमेशा उसकी वैधता के आधार पर न्यायिक समीक्षा के अधीन होगा। न्यायालय ने वादी को राहत देते हुए प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने को चार सप्ताह का समय दिया है। प्रतिवादियों द्वारा जवाब दाखिल करने के दो सप्ताह के भीतर वादी अपना जवाब दाखिल कर सकेगा। प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के अनुपालन में प्रतिवादियों के लिए विभागीय जांच का विकल्प खुला रहेगा।