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ये हौसलों की उड़ान है; अभाव में नहीं रुके कदम, अपने दम पर पाई सफलता, स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़कर फर्स्ट क्लास हुए पास

UP Board Result बालिका वधु बनने जा रही दो बहनों ने इंटर की परीक्षा में सफलता पाई। देवरी रोड निवासी चार भाई बहनों में शामिल दोनों के माता-पिता की बीमारी से मृत्यु हो गई। रिश्तेदार बड़ी बहनों को बालिका वधु बनाना चाहते थे राजस्थान में बेचना चाहते थे। उन्हें मुक्त कराकर पढ़ाई लिखाई शुरू कराई। दोनों बहनों ने परीक्षा पास की।

By Sandeep Kumar Edited By: Abhishek Saxena Sun, 21 Apr 2024 12:26 PM (IST)
ये हौसलों की उड़ान है; अभाव में नहीं रुके कदम, अपने दम पर पाई सफलता, स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़कर फर्स्ट क्लास हुए पास
झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को मिली यूपी बोर्ड में सफलता।

जागरण संवाददाता, आगरा। अभावों में कदम तो रुक सकते हैं, लेकिन हौसले नहीं टूटते। वह खुली आंखों से बड़े सपने देखते हैं, बल्कि उन्हें पाने के लिए जमकर मेहनत भी करते हैं। इन सपनों को जब निडर हौसलों के पंख लगते हैं, तो वह कुछ भी कर गुजरते हैं और अपनी कहानी खुद लिखते हैं। शनिवार को यूपी बोर्ड परीक्षा परिणाम में ऐसे ही कई गुदड़ी के लाल ने सफलता की कहानी लिखी।

झुग्गी व मलिन बस्ती की हो रही पूछ

पंचकुईया झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले और घरों में नीबू-मिर्च बांधकर लोगों की नजर उतारने का काम करने वाले यह बच्चे समाज की मुख्यधारा से दूर थे। भीख मांगते थे। लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस के संपर्क में आने पर उनका जीवन बदल गया। न सिर्फ सरकारी स्कूलों में प्रवेश मिला, बल्कि बोर्ड परीक्षा में सफलता भी पाई।

झुग्गी में बिजली, पानी और सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं था, तो सड़क को घर बनाकर स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़कर परीक्षा की तैयारी की। इनमें से शेरअली खान ने इंटर में 66 प्रतिशत और करीना, निर्जला और कामिनी ने हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। शेर अली सैनिक बनकर देश सेवा करना चाहता है। जबकि करीना चिकित्सक, निर्जला पुलिस अधिकारी और कामिनी शिक्षक बनना चाहती है।

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इन्हें भी मिली सफलता

वहीं वजीरपुरा निवासी सानिया के पिता अबुल-उल्लाह दरगाह पर फूल बेचते हैं। आर्थिक तंगी के कारण सानिया को पढ़ाई छोड़ने पड़ रही थी, तब उन्हें सहारा मिला और सेंट जोंस इंटर कालेज में दोबारा इंटर में प्रवेश। उन्होंने हार नहीं मानी और प्रथम श्रेणी से परीक्षा पास की। सानिया अधिवक्ता बनना चाहती हैं।

वहीं 

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पिता मजदूर, बेटे ने पाए 94.5 प्रतिशत

एमडी जैन इंटर कालेज के हाईस्कूल के छात्र योगेश धनगर ने 94.5 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। बोदला, शांतिपुरम कालोनी निवासी योगेश के पिता सुरेश कुमार मजदूरी करते हैं। योगेश कक्षा छठवीं से ही मेधावी है, दिन-रात मेहनत व परिश्रम करके यह सफलता प्राप्त की। इसके लिए शिक्षकों से हर विषय पर कक्षा के बाद भी प्रश्न किए।

बिना ट्यूश्य व कोचिंग पाए 93.33 प्रतिशत

एमडी जैन इंटर कालेज में हाईस्कूल के विद्यार्थी आर्यन कुमार रायपुरिया ने 93.33 प्रतिशत प्राप्त किए हैं। आवास विकास कालोनी सेक्टर आठ निवासी आर्यन के पिता राजीव कुमार निजी फर्म में एकाउंटेंट हैं, मां गृहणी है। शिक्षक प्रशांत पाठक ने बताया कि आर्यन मेधावी हैं और कक्षा नौ से अनवरत प्रथम स्थान प्राप्त कर रहे हैं। गणित में 99 अंक प्राप्त किए। कक्षा में पढ़ाए सभी विषयों का गहराई से समझा और बिना कोचिंग यह सफलता पाई।

पिता लगाते हैं ठेल, पाए 93 प्रतिशत

एमडी जैन इंटर कालेज के हाईस्कूल के पीर कल्याणी निवासी गणेश शर्मा ने हाईस्कूल में 93 प्रतिशत प्राप्त किए हैं। उनके पिता सुभाष शर्मा कांजी बड़े की ठेल लगाते हैं, मां गृहणी है। गणित में 97 अंक प्राप्त किए। यह सफलता उन्होंने बिना कोचिंग के पाई, इसलिए भी महत्वपूर्ण है। विद्यालय में उन्होंने तृतीय स्थान भी प्राप्त किया है।

किसान पिता का बंटाया हाथ, फिर भी पाए 92.83 प्रतिशत

शमसाबादा, बरौली अहीर के राजकीय हाईस्कूल गंगरौआ में हाईस्कूल के छात्र योगेश कुमार ने 92.83 प्रतिशत प्राप्त किए हैं। उनके पिता ज्ञान सिंह किसान हैं और मात मीना देवी गृहणी हैं। दो भाई और दो बहनें हैं। उन्होंने अपने पिता के साथ खेत पर हाथ भी बंटाया और पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया। बावजूद इसके यह सफलता प्राप्त की। वह भविष्य में आएएएस अधिकारी बनने चाहते हैं।

पिता मजदूर, पाए 93.83 प्रतिशत

शमसाबाद, बरौली अहीर के राजकीय हाईस्कूल गंगरौआ के हाईस्कूल की छात्रा सपना ने 93.83 प्रतिशत प्राप्त किए हैं। उनके पिता संजय सिंह मजदूरी करते हैं, जबकि मां पार्वती देवी गृहणी हैं। दो बहन, एक भाई हैं। परिवार में अभाव और सीमित संसाधनों के बाद भी सपना ने हार नहीं मानी और यह सफलता अर्जित की। यह आइएएस बनना चाहती हैं।

पिता की मृत्यु से भी नहीं टूटी

आजाद नगर खंदारी निवासी आरुषी शर्मा के पिता राजेश शर्मा का निधन चार वर्ष पूर्व हो गया। परिवार पर आर्थिक संकट था। मान नीलम शर्मा ने दादी, बहन और भाई के साथ उन्हें संभाला। उनकी बड़ी बहन गौरी शर्मा ने इंटर में 70 और आरुषी ने हाईस्कूल में 87 प्रतिशत प्राप्त किए हैं। आरुषी 12वीं के बाद जेईई के माध्यम से इंजीनियरिंग करके अपने परिवार को संभालना चाहती हैं।