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    UP Chunav 2022: पढ़ें भाजपा की प्रत्याशी बेबी रानी मौर्य के मेयर से राज्यपाल तक का सफर, हर बार पार्टी ने जताया भरोसा

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Sat, 15 Jan 2022 02:06 PM (IST)

    UP Vidhan Sabha Election 2022 1995 में बेबीरानी मौर्य का भाजपा के साथ राजनीतिक सफर शुरू हुआ था इससे पहले वे घरेलू महिला थीं। पार्टी में आते ही उन्हें मेयर पद के लिए मैदान में उतारा गया था। वे आगरा की पहली महिला मेयर बनी थीं।

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    यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बेबी रानी मौर्य।

    आगरा, जागरण संवाददाता। भाजपा ने एक बार फिर आगरा की पहली महिला मेयर के पद पर काबिज रह चुकीं बेबी रानी मौर्य पर भरोसा जताया है। बेबी रानी मौर्य का राजनीति सफर बहुत की रोचक रहा है। किसी महिला का गृहस्थी से निकलकर माननीय पद पर पहुंचना आसान नहीं होता। आइये जानते हैं बेबी रानी मौर्य के आम से खास बनने की कहानी। 

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    वर्ष 1995 में बेबीरानी मौर्य का भाजपा के साथ राजनीतिक सफर शुरू हुआ था, इससे पहले वे घरेलू महिला थीं। पार्टी में आते ही उन्हें मेयर पद के लिए मैदान में उतारा गया था। वे आगरा की पहली महिला मेयर बनी थीं। इसके बाद भी राजनीतिक सक्रिय रहीं। वर्ष 2007 में उन्हें भाजपा ने एत्मादपुर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था। इसके पहले और बाद वे लंबे समय तक विभिन्न पदों पर रहीं। वर्ष 1997 में बेबीरानी मौर्य को भाजपा के राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा की कोषाध्यक्ष बनाया गया था। वर्ष 2002 में राष्ट्रीय महिला आयोग का सदस्य बनाया गया था। 2018 में उन्हें बाल अधिकार सरंक्षण आयोग का सदस्य बनाया गया था। वे उस समय विदेश में थीं। जब तक पदभार ग्रहण करती तब तक राज्यपाल के लिए उनकी घोषणा हो गई थी। बेबीरानी मौर्य के पति प्रदीप कुमार पंजाब नेशनल बैंक में डायरेक्टर पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। वे राजनीति में सक्रिय नहीं है, लेकिन उनका सहयोग करते हैं।  

    2022 के विधानसभा चुनाव में बनीं भाजपा की प्रत्याशी

    आगरा ग्रामीण से प्रत्याशी घोषित की गई बेबी रानी मौर्य के उत्तराखंड राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के बाद ही कयास लगाए जा रहे थे कि वह विस चुनाव लड़ेगी। भाजपा हाईकमान ने शनिवार को कयास पर मुहर लगा दी है। मूलरूप से आगरा की निवासी बेबीरानी मौर्य का मायका बेलनगंज में हैं और उनकी ससुराल करियप्पा रोड पर है। राज्यपाल बनने से पहले वे छावनी विधानसभा क्षेत्र से प्रबल दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था।