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    Triple Talaq: तीन तलाक के खिलाफ सबसे आगे अलीगढ़ की महिलाएं, तीन साल बाद भी हक को लेकर जागरूकता कम

    Triple Talaq संसद में एक अगस्त 2019 को मिली थी तीन तलाक अधिनियम को मंजूरी। कानून लागू होने के बाद वर्ष 2021 तक अलीगढ़ सर्वाधिक 161 मैनपुरी में तीन महिलाओं ने दर्ज कराए मुकदमे। आगरा मंडल में तीन तलाक का दंश झेल रही हैं महिलाएं।

    By Prateek GuptaEdited By: Updated: Mon, 01 Aug 2022 12:10 PM (IST)
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    Triple Talaq:तीन तलाक अधिनियम पारित हुए तीन साल हो गए लेकिन मुस्लिम महिलाएं आज भी पीड़ित हैं।

    आगरा, अली अब्बास। जगदीशपुरा की रहने वाली युवती का निकाह वर्ष 2019 में अब्दुल के साथ हुआ था। शौहर ठेकेदारी करता है। आरोप है कि शौहर ने निकाह में पर्याप्त दहेज लिया। इसके बाद कार की मांग को लेकर घर से निकाल दिया। स्वजन सुलह की बात करने बेटी को लेकर ससुराल गए।

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    शौहर ने सुलह की जगह तीन तलाक कहकर लौटा दिया। निकाह के एक साल के अंदर ही तलाक देने वाले शौहर के खिलाफ पीड़िता ने तीन तलाक कानून का सहारा लिया। उसके खिलाफ जगदीशपुरा थाने में मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने आरोपित के खिलाफ चार्जशीट लगा अदालत में प्रस्तुत कर दी। पीड़िता शौहर को अब अदालत से सजा दिलाने के लिए पैरवी कर रही है।

    केस दो: शाहगंज की रहने वाली युवती का निकाह वर्ष 2018 में नवेद के साथ हुआ था।आरोप है कि शौहर ने पहले धोखे से गर्भपात करा दिया। दहेज के लिए परेशान करने लगा। जनवरी 2020 में तीन तलाक बोलकर निकाल दिया। पीड़िता ने शाहगंज थाने में तीन तलाक अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया।

    शौहर ने वर्ष 2021 में समर्पण कर दिया, जमानत पर बाहर है। इस महीने जुलाई में शौहर द्वारा दूसरा निकाह करने की तैयारी का पता चलने पर स्वजन कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गए। निकाह को रुकवा दिया। इसे लेकर विवाद के चलते मारपीट हो गई। जिसमें ससुराल पक्ष के लोग घायल हो गए। युवती पक्ष के तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया।

    अलीगढ़ की महिलाएं मुखर

    तीन तलाक के मामलों में ताला नगरी अलीगढ़ की महिलाएं सबसे ज्यादा मुखर हैं। उन्होंने तलाक देने वाले शौहरों के खिलाफ तीन तलाक अधिनियम का सबसे ज्यादा उपयोग किया। एक अगस्त 2019 को तीन तलाक अधिनियम को संसद में मंजूरी मिली थी। अगस्त 2019 में तीन तलाक कानून बनने के बाद से अक्टूबर 2021 के दौरान अलीगढ़ की महिलाओं ने सबसे ज्यादा 161 मुकदमे दर्ज कराए। जबकि 61 मुकदमों के साथ आगरा दूसरे नंबर पर है। इसके अलावा कासगंज में 47, मथुरा में 43, फिरोजाबाद में 38 और हाथरस में तीन तलाक के 13 मुकदमे दर्ज किए गए। वहीं, सबसे कम तीन मुकदमे मैनपुरी में महिलाओं ने दर्ज कराए।

    पुलिस ने हटा दी तीन तलाक की धारा

    शाहगंज की रहने वाली युवती का निकाह वर्ष 2018 में हाथरस के रहने वाले इमरान के साथ हुआ। पीड़िता के अनुसार शौहर ने तीन लाख रुपये सगाई और साढ़े तीन लाख निकाह में लिए। खुद को अलीगढ़ मुस्लिम विवि में प्रोफेसर बताया था। निकाह के बाद पता चला कि वह एक निजी स्कूल में शिक्षक है। बाद में पता चला कि शौहर इस रिश्ते के लिए राजी नहीं था।

    स्वजन के दबाव में निकाल कर लिया, लेकिन बाद में तलाक दे दिया। पीड़िता ने शौहर के खिलाफ तीन तलाक कानून सहारा लिया। शौहर और ससुराल वालों के खिलाफ तीन तलाक एवं दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया। पीड़िता का अारोप है कि पुलिस ने विवेचना के बाद तीन तलाक की धारा को हटा दिया। सिर्फ दहेज उत्पीड़न की धारा के तहत चार्जशीट अदालत में प्रस्तुत कर दी।

    क्या कहते हैं विधि विशेषज्ञ

    तीन तलाक कानून लागू होने के बाद मुस्लिम महिलाओं में अधिकार के प्रति जागरूकता आई है। अब वह अधिकार के लिए लड़ना सीख गई हैं। काफी हद तक पहले सुधार आया है, परिवार में झगड़े भी कम हुए है। तीन तलाक के मामलों में भी कमी आई है।

    अर्चना शर्मा, अधिवक्ता सर्वोच्च न्यायालय, संस्थापक एवं अध्यक्ष फ्यूचर फाउंडेशन