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    अब एक ओर पटरी पर दौड़ेगी ट्रेन, दूसरी तरफ बनेगी बिजली; दिल्ली-आगरा-झांसी रूट पर अनोखी पहल

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 06:30 PM (IST)

    आगरा में अब रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों के साथ-साथ बिजली भी बनेगी। नई दिल्ली-आगरा-झांसी रेल खंड पर एक से दो हजार मीटर में सोलर पैनल लगाए जाएंगे। इनसे रेलवे को हर महीने लाखों रुपये की बचत होगी और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। वर्तमान में आगरा रेल मंडल में 1502.35 किलोवाट क्षमता के सोलर प्लांट लगे हैं जिनसे रेलवे को अच्छी खासी बचत हो रही है।

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    नई दिल्ली-आगरा-झांसी रेल खंड के एक से दो हजार मीटर में लगेंगे सोलर पैनल। प्रतीकात्‍मक

    जासं, आगरा। छोटा लेकिन अच्छा प्रयास। बनारस रेल कारखाना के बाद अब उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज जोन के आगरा मंडल में पटरी पर ट्रेनों के संचालन के साथ सोलर एनर्जी का भी उत्पादन होगा।

    नई दिल्ली-आगरा-झांसी रेल खंड में एक से दो हजार मीटर के हिस्से में सोलर पैनल लगाए जाएंगे। जल्द ही इसका सर्वे होने जा रहा है। यह पैनल ऐसी जगह लगाए जाएंगे। जहां पर चोरी का डर कम रहेगा। सोलर एनर्जी का उत्पादन होने से रेलवे को हर माह लाखों रुपये का फायदा होगा। पावर ग्रिड को बिजली भी बेची जा सकेगी। जरूरत पड़ने पर सोलर पैनल को आसानी से हटाया भी जा सकेगा।

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    आगरा रेल मंडल में सोलर एनर्जी का बेहतर तरीके से उत्पादन किया जा रहा है। वर्तमान में आगरा कैंट, आगरा फोर्ट, मथुरा जंक्शन, ईदगाह, डीआरएम कार्यालय सहित अन्य में सोलर पावर प्लांट लगे हुए हैं। मंडल में 1502.35 किलोवाट पीक की क्षमता वाले सोलर प्लांट लगे हुए हैं। इसमें आगरा में 1034.9 और मथुरा में 467.45 किलोवाट पीक के हैं।

    वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले पांच माह में रेल मंडल आगरा द्वारा सोलर एनर्जी से 7.05 लाख यूनिट का उत्पादन किया गया। इससे रेलवे को 29.57 लाख रुपये की बचत हुई। 599.95 मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई। इसमें आगरा परिक्षेत्र में 399.53 मीट्रिक टन और मथुरा में 200.42 मीट्रिक टन शामिल है। बनारस रेल इंजन कारखाना में 70 मीटर में पहली बार सोलर पैनल लगाए गए हैं।

    पैनल को पटरियों के मध्य लगाया गया है। सोलर पैनल सिस्टम को हटाया जा सकता है। रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि नई दिल्ली-आगरा-झांसी रेल खंड में भी पटरियों के मध्य सोलर पैनल लगाए जाएंगे। इससे ट्रेनों के चलने के साथ ही बिजली भी बनेगी। इसे पावर ग्रिड में भेजा जाएगा।

    सर्वे के बाद तय होगा कि सोलर पैनल किन-किन जगहों पर लगेंगे और यह कितने किलोवाट के होंगे। सोलर एनर्जी से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और रेलवे को हर माह लाखों रुपये की बचत भी होगी।